नई दिल्ली (सेंट्रल छत्तीसगढ़) :- भारत में चल रहे टीकाकरण अभियान के बीच लोगों में डर की स्थिति पैदा हो गई है। भारत ने अपनी तीन फीसदी आबादी को वैक्सीन की दोनों ख़ुराकें दे दी हैं, लेकिन इसके बाद संक्रमण के मामले बढ़ते दिख रहे हैं। ऐसे में लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो गए हैं। इन सभी सवालों का जवाब मिलेगा ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) की एक स्टडी में। इसमें बताया गया है कि कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन क्यों जरूरी है।
अप्रैल से मई के बीच नहीं हुई एक भी मौत
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स की तरफ से की गई स्टडी में दावा किया गया है वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना संक्रमित होने वाले किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमित होने वाले लोगों में से किसी की भी अप्रैल से मई के दौरान मौत नहीं हुई। एम्स ने ब्रेक थ्रू इन्फेक्शन के कुल 63 मामलों की जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए स्टडी की है, इनमें से 36 मरीज वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके थे, जबकि 27 ने कम से कम एक डोज लिया था।
वैक्सीन के बाद एंटीबॉडीज लंबे समय तक रह सकती है मौजूद
इस स्टडी में शामिल 10 मरीजों ने कोविशील्ड वैक्सीन ली थी, जबकि 53 ने कोवैक्सीन लगवाई थी, इनमें से किसी भी मरीज की कोराना संक्रमित होने से मौत नहीं हुई। स्टडी में कहा गया कि ऐसा नहीं है कि टीका लगाने के बाद लोग कोरोना से संक्रमित ही नहीं होंगे लेकिन उनके शरीर में इस वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडीज लंबे समय तक मौजूद रहेंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में कम से कम एक साल तक इसके प्रति इम्युनिटी रह सकती है। कुछ लोगों में यह इम्युनिटी दशकों तक रह सकती है।
वैक्सीन की असर हो सकता है अलग-अलग: वैज्ञानिक
अध्ययन के मुताबिक दिल्ली में संक्रमण के ज्यादातर मामले एक जैसे हैं और संक्रमण के केस में कोरोना का B.1.617.2 और B.1.17 स्ट्रेन ज्यादातर मामलों में देखा जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रेक थ्रू इंफेक्शन के मामले पहले भी सामने आए थे, लेकिन ज्यादातर मामलों में संक्रमण हल्का था। किसी भी केस में व्यक्ति की तबीयत गंभीर नहीं हुई और ना ही किसी की मौत हुई। वैज्ञानिकों का कहना कि वैक्सीन का असर अलग-अलग हो सकता है, लेकिन ये लोगों को गंभीर बीमारी से बचाने में कारगर साबित हो रहे हैं।