जांजगीर-चांपा: महोल्ला क्लास के जरिये बच्चों को मिल रही शिक्षा, चौपाल लगाकर पढ़ा रहें शिक्षक..

जांजगीर-चांपा (सेंट्रल छत्तीसगढ़) : कोरोना काल के कारण प्रदेश भर के स्कूलों को बंद रखा गया है. वहीं बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार के पढ़ई तुंहर दुआर अभियान के तहत गांवों में मोहल्ला क्लास शुरू किया गया है, जिसके तहत शिक्षक चौपाल लगाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

दरअसल, जिले के मालखरौदा जनपद पंचायत क्षेत्र के डोंगरीडीह गांव के शासकीय प्राथमिक शाला के दो शिक्षक राम कुमार जायसवाल और घासीराम जायसवाल ने बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है. जो छात्र-छात्राओं को घर-घर जाकर बुलाते हैं और उन्हें शिक्षा दे रहे हैं. मोहल्ला क्लास के तहत गांव के पारा टोला के चबूतरा में बैठाकर दोनों शिक्षक स्कूली बच्चों को पढ़ाई करा रहे हैं. इस दौरान शिक्षकों द्वारा सैनिटाइजर का उपयोग और बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बिठाया जाता है. वहीं कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए बच्चों को सावधानीपूर्वक शिक्षा दी जा रही है.

कोरोना के कारण स्कूल बंद

कोरोना के नियंत्रण के मद्देनजर प्रदेशभर के स्कूलों को सरकार ने बंद करने का फैसला लिया था, लेकिन कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते प्रकोप की वजह से स्कूल 6 महीने बाद भी नहीं खुल पाई है. जिससे बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर न पड़े इसलिए सरकार ने पढ़ई तुंहर दुआर अभियान शुरू किया. इसके अंतर्गत शिक्षकों की ओर से अभिभावकों को जागरूक कर मोहल्ला क्लास की शुरूआत की गई है, जिससे बच्चों को लगातार शिक्षा मिलती रहे.

मोहल्ला क्लास से बच्चों को दी जा रही शिक्षा

पारा टोला गांव में रोजाना 20 से 25 बच्चे पढ़ाई करने आते हैं. जबकि स्कूल में लगभग 50 बच्चे हैं, जिसकी वजह से बाकी बच्चों को गांव के दूसरे मुहल्ले या बरामदे में पढ़ाया जाता है. गांव के ग्रामीण भी इसमें रुचि लेकर अपने बच्चों को पढ़ाई तुंहर दुआर के तहत चल रहे मोहल्ला क्लास में पढ़ने के लिए भेज रहे हैं.

शिक्षक रामकुमार जायसवाल पढ़ाई के साथ-साथ स्कूली बच्चों को कोरोना संक्रमण फैलने और बचाव के बारे में भी जानकारी देते हैं. साथ ही बच्चों को सावधानी बरतने के लिए कहा जा रहा है. बता दें कि शिक्षक राम कुमार जायसवाल सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बच्चों को दूर-दूर बैठाते है. वहीं शिक्षक छात्र-छात्राओं को मास्क पहनकर आने की सलाह देते हैं. साथ ही शिक्षक हाथों को साबुन से धोने और भीड़-भाड़ वाले इलाके में नहीं जाने की सलाह भी स्कूली बच्चों को दे रहे हैं.

डोगरीडीह गांव के ग्रामीण भोजराम साहू ने बताया कि स्कूल के शिक्षक हर रोज गांव के चबूतरे में बैठाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. जो अच्छा काम है. ग्रामीण का कहना है कि वे रोज अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए मोहल्ला क्लास में भेजते हैं.

हर साल जून-जुलाई से शुरू हो जाता था स्कूल

शिक्षा सत्र हर साल जून-जुलाई से शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से स्कूल समय पर शुरू नहीं हो पाया है. वहीं राज्य शासन ने छात्रों की शिक्षा को सुचारू तरीके से जारी रखने के लिए पढ़ई तुंहर दुआर योजनाओं के जरिए ऑनलाइन पढ़ाई कराने का काम शुरू किया है, जिससे उनकी पढ़ाई में किसी तरह की कोई परेशानी न आए.

साकेत वर्मा की रिपोर्ट…!