रायपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़)साकेत वर्मा : भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है. इस पावन मौके पर भगवान कान्हा की मोहक छवि को भक्त पूजते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस दिन भक्त भगवान की मोहक झांकी तैयार कर कान्हा को झूला झूलाते हैं. रातभर मंदिरों में भजन-कीर्तन होता है. कई जगहों पर रासलीला का आयोजन भी किया जाता है.
राधाकृष्ण
भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की भक्त पूजा करते हैं. भगवान को स्नान कराकर साफ वस्त्र पहनाए जाते हैं. कान्हा के लिए 56 प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते हैं. गोपाल को माखन मिश्री बहुत पसंद है. भोग में माखन मिश्री, दही, दूध और मेवा आवश्यक रूप से रखना चाहिए.
शुभ मुहूर्त
इस साल जन्माष्टमी 11, 12 और 13 अगस्त को मनाया जा रहा है. अष्टमी की तिथि आज सुबह 9.6 से शुरू होकर 12 अगस्त को 11.16 को समाप्त होगी. 11 अगस्त को भरणी नक्षत्र और 12 अगस्त को कृतिका नक्षत्र है. इसलिए इस साल दोनों ही दिन जन्माष्टमी मनायी जा रही है. जनमाष्टमी की पूजा रात 12 बजे के बाद ही की जाती है. इस साल जन्माष्टमी की पूजा का शुभ समय आज रात 12.5 से 12.47 तक का है. पूजा की अवधि 43 मिनट है.
श्रीकृष्ण की झांकी
11 अगस्त को अद्वैत और स्मार्त संप्रदाय के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे. 11 तारीख की सुबह 9.07 बजे से भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी. ये तिथि 12 अगस्त की सुबह 11.17 बजे तक रहेगी. 11 अगस्त की रात में अष्टमी तिथि रहेगी. इस वजह से बद्रीनाथ धाम में 11 की रात में जन्माष्टमी मनाई जाएगी, क्योंकि श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की रात में ही हुआ था.
वैष्णव संप्रदाय में उदयकालीन अष्टमी तिथि का महत्व है, इसीलिए ये 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे. जबकि श्री संप्रदाय और निंबार्क संप्रदाय में रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी मनाने की परंपरा है. इस वजह से ये लोग 13 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी मनाएंगे.
पूजा की विधि
जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, इसलिए इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल्य रूप की पूजा की जाती है. सबसे पहले भगवान को दूध, दही, शहद और जल से स्नान कराया जाता है. भगवान को पीतांबर रंग पसंद है, इसलिए उन्हें पीतांबर वस्त्र धारण कराया जाता है. इसके बाद भगवान का श्रृंगार कर उन्हें झूले में बैठाया जाता है. जिसके बाद गोपाल पर चंदन-फूल चढ़ाकर पूजा की जाती है.
बालगोपाल
मथुरा में 12 को मनाई जाएगी जन्माष्टमी
इस साल जगन्नाथ पुरी, बनारस और उज्जैन में जन्माष्टमी 11 अगस्त को मनाई जाएगी, जबकि मथुरा और द्वारका में 12 अगस्त को भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा.
जन्माष्टमी व्रत का महत्व
शास्त्रों में जन्माष्टमी को व्रतराज कहा गया है. इसे सभी व्रत से सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इस दिन व्रत कर नियम से पूजा-पाठ करने पर संतान, मोक्ष और भगवान की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि जन्माष्टमी का व्रत करने से सुख-समृद्धि और दीर्घायु का वरदान मिलता है. इस व्रत को करने से अनेकों व्रत के फल मिलते हैं.