छत्तीसगढ़: लाॅकडाउन के दौरान 29 लाख स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन के तहत सूखा राशन दिया गया है. यह राशन सरकार की ओर से बच्चों के घर पहुंचाकर दिया गया. अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ राज्य की प्रशंसा की जा रही है

रायपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) : छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने मध्यान्ह भोजन योजना के तहत स्कूली बच्चों को घर-घर पहुंचाकर सूखा राशन देने के कदम की सराहना देशभर में की जा रही है. मार्च के महीने में कोरोना संक्रमण की रोकथाम और बचाव के लिए जब देश में लाॅकडाउन लागू किया जा रहा था, तब राज्य सरकार ने स्कूली बच्चों को लाॅकडाउन के 40 दिनों का सूखा राशन का वितरण किया.

29 lakh school children got dry ration in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में 29 लाख स्कूली बच्चों को मिला सूखा राशन

सूखा राशन के लिए जारी किए गए थे निर्देश

राज्य सरकार ने स्कूली बच्चों और उनके परिजन की कठिनाईयों पर संवेदनशीलता के साथ विचार करते हुए मध्यान्ह भोजन का सूखा राशन वितरण करने के लिए तत्परता से कदम उठाए. 22 मार्च को पूरे देश में जनता कर्फ्यू के एक दिन पहले ही छत्तीसगढ़ सरकार ने 21 मार्च को ही जिला कलेक्टरों और जिला शिक्षा अधिकारियों को स्कूली बच्चों को सूखा राशन वितरण करने के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए. गांव-गांव में इसकी मुनादी कराई गई. जबकि देश के अन्य राज्यों में सूखा राशन वितरण की प्रकिया काफी बाद में शुरू की गई.

29 लाख बच्चों को मिला योजना का लाभ

छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के पहले 40 दिनों के लिए स्कूली बच्चों को सूखा राशन दिया गया. बाद में राज्य सरकार ने स्कूली बच्चों को 45 दिनों के लिए सूखा राशन वितरित किया गया. प्रदेश के करीब 43 हजार स्कूलों में लगभग 29 लाख बच्चे इस योजना से लाभान्वित हुए. वितरित किए गए सूखा राशन पैकेट में चावल, तेल, सोयाबीन, दाल, नमक और अचार था.

सूखा राशन के पैकेटों की होम डिलीवरी की सुविधा दी

राज्य सरकार ने स्थानीय स्तर पर स्कूली बच्चों और पालकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह व्यवस्था भी की गई. यदि माता-पिता पैकेट लेने के लिए स्कूल नहीं जा सकते हैं, तो स्वयं सहायता समूह और स्कूल स्टाफ के माध्यम से घर-घर जाकर सूखा राशन के पैकेटों की होम डिलीवरी की सुविधा दी.

मध्यान्ह भोजन के तहत गरम पका भोजन नहीं दिया जा सकता

कोरोना संक्रमण काल में स्कूल बंद रहने की अवधि में बच्चों को मध्यान्ह भोजन के तहत गरम पका भोजन नहीं दिया जा सकता. खाद्य सुरक्षा भत्ता के रूप में बच्चों को सूखा चावल और कुकिंग कॉस्ट की राशि से अन्य आवश्यक सामग्री दाल, तेल, सूखी सब्जी इत्यादि वितरित की गई. मध्यान्ह भोजन योजना की गाइडलाइन के अनुसार कक्षा पहली से 8वीं तक के उन बच्चों को जिनका नाम शासकीय शाला, अनुदान प्राप्त अशासकीय शाला अथवा मदरसा-मकतब में दर्ज है, उन्हें मध्यान्ह भोजन दिया गया.

कई राज्यों में 10 जुलाई के बाद दिया गया सूखा राशन

उत्तर प्रदेश, गोवा, तमिलनाडु और तेलंगाना में स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन योजना के तहत सूखा राशन देने का काम 10 जुलाई के बाद ही शुरू किया गया. रिपोर्ट के अनुसार मध्यान्ह भोजन योजना में बेहतर प्रदर्शन करने वाले छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, मध्यप्रदेश, ओडिसा और उत्तराखंड शामिल हैं, इनमें से मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, ओडिसा और गुजरात ने खाद्यान्न और खाना पकाने की लागत दी. जबकि आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक ने खाद्यान्न के अलावा खाना पकाने की लागत के बदले तेल, सोयाबीन और दालों जैसे अतिरिक्त सामान दिए. उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन के तहत सूखा राशन लेने के लिए काफी इंतजार करना पड़ा.

साकेत वर्मा की रिपोर्ट…!