मध्यप्रदेश: प्रधानमंत्री ने 750 मेगावाट की सौर परियोजना राष्ट्र को समर्पित की

सेंट्रल छत्तीसगढ़ ब्यूरो रिपोर्ट


नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश के रीवा में स्थापित 750 मेगावाट की सौर परियोजना राष्ट्र को समर्पित की. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई अन्य मंत्रियों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस परियोजना के तहत 250-250 मेगावाट क्षमता की तीन इकाइयां लगाई गई हैं.

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आज रीवा ने वाकई इतिहास रच दिया है. रीवा की पहचान मां नर्मदा के नाम और सफेद बाघ से रही है. अब इसमें एशिया के सबसे बड़े सोलर पावर प्रोजेक्ट का नाम भी जुड़ गया है. इस सोलर प्लांट से मध्य प्रदेश के लोगों को, उद्योगों को तो बिजली मिलेगी ही, दिल्ली में मेट्रो रेल तक को इसका लाभ मिलेगा.

बयान के अनुसार इस सौर पार्क को रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड (आरयूएमएसएल) ने विकसित किया है. यह मध्य प्रदेश उर्जा विकास निगम लिमिटेड (एमपीयूवीएन) और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की ईकाई सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) की संयुक्त उद्यम कंपनी है.

आरयूएमएसएल को सौर पार्क के विकास के लिये 138 करोड़ रुपये की केंद्रीय वितीय सहायता प्रदान की गई. पार्क के विकास के बाद रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड ने पार्क के अंदर 250 मेगावाट की तीन सौर उत्पादन इकाइयों का निर्माण करने के लिए नीलामी के माध्यम से महिंद्रा रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड, एसीएमई जयपुर सोलर पावर प्राइवेट लिमिटेड और ऑरिन्सन क्लीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का चयन किया था

बयान के अनुसार इस परियोजना से उत्पादित बिजली की दर 15 वर्षों तक 0.05 रुपये प्रति यूनिट की वृद्धि के साथ पहले साल 2.97 रुपये प्रति यूनिट होगी. इस आधार पर 25 साल की अवधि के लिए 3.30 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलेगी.

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परियोजना सालाना लगभग 15 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) के बराबर कार्बन उत्सर्जन को कम करेगी.

परियोजना से उत्पादित बिजली में से 24 प्रतिशत दिल्ली मेट्रो को जबकि शेष 76 प्रतिशत बिजली मध्य प्रदेश के राज्य बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को आपूर्ति की जाएगी. इस लिहाज से पहली नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना है जिससे राज्य के बाहर किसी संस्थागत ग्राहक को बिजली मिलेगी.

रीवा परियोजना 1,00,000 मेगावाट की सौर ऊर्जा स्थापित क्षमता के साथ 2022 तक 1,75,000 मेगावाट की स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता को बताता है.