कोरबा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) व्यूरो रिपोर्ट – कोरोना काल मे कोरबा के जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ अरुण तिवारी लगातार नियम कानूनों का माखौल उड़ा रहे है लेकिन प्रशासन और पुलिस अमला अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। ताज़ा मामला सिविल सर्जन का पेड कोरेन्टीन सेंटर से बलात अपनी बेटी को घर ले जाने का है। सिविल सर्जन डॉ अरुण तिवारी ने बेटी का बिना कोरोना रिपोर्ट आये कोरेन्टीन सेंटर के प्रभारी को भ्रामक जानकारी देकर उसे अपने घर लेकर चले गए। कोरेन्टीन सेंटर में उनकी बेटी का निर्धारित 14 दिवस पूर्ण भी नहीं हुआ था। लेकिन सिविल सर्जन के प्रभाव के आगे कोरेन्टीन सेंटर के प्रभारी ने कोई सवाल – जवाब भी करना जरूरी नहीं समझा। इस बात की जानकारी जैसे ही प्रशासनिक हलकों में पहुंची तत्काल कोरेन्टीन सेंटर से फरार हुई लड़की की खोजबीन शुरू हुई। इसके बाद उसे उसके ही निहारिका स्थित घर में पाया गया जिसके बाद उसे वापस से कोरेन्टीन सेंटर लेकर आया गया। इससे पहले भी रेड जोन इलाके से आने के बाद भी सिविल सर्जन ने अपनी बेटी को घर में ही रखा हुआ था और इसकी जानकारी बकायदा प्रशासन और पुलिस से छुपाई थी। बाद में मामले का खुलासा होने पर भी सिविल सर्जन कोरेन्टीन करने गए प्रशासनिक अधिकारियों से ही हुज्जत करने लगे थे बाद में उनकी बेटी को करीब 10 दिन पहले शहर के एक निजी सेंटर में कोरेन्टीन कराया गया था लेकिन इससे पहले रेड जोन से पहुंची लड़की की जांच रिपोर्ट मिलती या उसके 14 दिन की निर्धारित अवधि पूरी होती उसके पिता सिविल सर्जन डॉ अरुण तिवारी ने अपने प्रभाव का प्रयोग करते उसे अपने घर ले आये। अब मामले की जानकारी सामने आने के प्रशासन ने उनकी बेटी को वापस से कोरेन्टीन करा दिया है लेकिन अब तक सिविल सर्जन और उसके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है जबकि इसी तरह के मामले में कई लोगो पर धारा 188 सहित महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई की जा चुकी है।
कई लोगो पर दर्ज हो चुकी है FIR
कोरबा पुलिस ने ऐसे ही कई मामलों में कार्रवाई की है।जानकारी छिपाने के मामले में एक बड़े ट्रांसपोर्टर सहित कांग्रेसी नेताओं पर FIR किया जा चुका है। कोरेन्टीन सेंटर जाने से इनकार करने वाले एक युवक सहित बस से कूदने वाले एक अन्य व्यक्ति पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है। सिविल सर्जन जिस जो स्वास्थ्य विभाग का प्रशासनिक अधिकारी है जिस पर नियमों के पालन कराने की जिम्मेदारी है उस पर अब तक कार्रवाई सुनिश्चित न किया जाना कई सवालों को जन्म देता है। देखना होगा मामले में रसूखदार और अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले सिविल सर्जन पर प्रशासन और पुलिस कब कार्रवाई करती है।