सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नया आदेश प्रवासी मजदूर को घर भेजने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो प्रवासी श्रमिक पैदल यात्रा करते हुए पाए जा रहे हैं, उन्हें तुरंत आश्रय स्थलों पर ले जाया जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने भोजन और सभी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने का भी निर्देश दिया है.

नई दिल्ली (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) : – सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो प्रवासी श्रमिक पैदल यात्रा करते हुए पाए जा रहे हैं, उन्हें तुरंत आश्रय स्थलों पर ले जाया जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने भोजन और सभी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने का भी निर्देश दिया है.

आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि प्रवासी श्रमिकों से ट्रेन या बस का कोई किराया नहीं लिया जाएगा.
कोर्ट ने कहा कि अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए सभी प्रवासी मजदूरों को संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उन स्थानों पर भोजन उपलब्ध कराया जाए.
इसके अलावा मजदूरों को ट्रेन या बसों में चढ़ने का समय भी बताया जाएगा.
मामले की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बीच तीखी बहस हो गई. मेहता ने कहा कि आप कोर्ट को राजनीतिक फोरम न बनाएं.
इस पर सिब्बल ने कहा कि यह एक मानवीय त्रासदी है. इसलिए मैं बोल रहा हूं. मैं सर्व हर जन आंदोलन, दिल्ली श्रमिक संगठन की ओर से आया हूं.
मेहता ने पूछा तो आपने अब तक क्या किया. सिब्बल ने कहा कि ऐसी बातें न करें.
सिब्बल ने कहा कि चार करोड़ प्रवासी मजदूर हैं. इनमें से सरकार के दावे के मुताबिक 91 लाख लोगों को घर पहुंचाया जा चुका है. लेकिन बाकी के लोगों का क्या हुआ.
अदालत में जारी बहस के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि और अधिक ट्रेनें चलाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि फिलहाल सिर्फ तीन प्रतिशत ट्रेनों का ही इस्तेमाल हो रहा है.
सिब्बल की बात की वकालत करते हुए एक अन्य वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि चार करोड़ मजदूरों के लिए सिर्फ तीन फीसदी ट्रेनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे काम नहीं चलेगा. ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए.
कपिल सिब्बल ने पिछली जनगणना का हवाला देते हुए कहा कि उसमें तीन करोड़ प्रवासी मजदूर थे. लेकिन अब चार करोड़ हो चुके हैं.
उन्होंने कहा कि जिस तरह सरकार ने 27 दिनों में 91 लाख कामगारों को घर भेजा है, उस तरह तो चार करोड़ को भेजने में तीन महीने लग जाएंगे.
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सिब्बल से कहा कि यह आप कैसे कह सकते हैं कि सभी मजदूर लौटना चाहते हैं. जवाब देते हुए सिब्बल कहते हैं कि आपको कैसे पता कि सब नहीं जाना चाहते हैं.
सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने उच्चतम न्यायालय को इस बात से अवगत कराया कि उसके राज्य में करीब 10 लाख कामगार पैदल की घर पहुंच गए हैं. हैरानी वाली बात यह है कि बिहार के लिए सैकड़ों ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं.
इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि यह एक अभूतपूर्व संकट है और हम भी अभूतपूर्व कदम उठा रहे हैं.
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया है कि प्रवासी मजदूरों को टिकट कौन दे रहा है, उसका भुगतान कौन कर रहा है?
कोर्ट ने कहा कि टिकट के पैसों को लेकर लोगों में भ्रम है और इस वजह से मिडिल मैन पूरी तरह शोषण कर रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि ऐसी घटनाएं भी हुई हैं, जहां कई राज्यों ने प्रवासी मजदूरों को प्रवेश से रोका है.
इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा राज्य सरकार कामगारों को लेने को तैयार है. उन्होंने कहा कि कोई भी राज्य प्रवासी के प्रवेश रोक नहीं सकता. वह सभी भारत के नागरिक हैं.