मौजूदा श्रम कानूनों के संरक्षण की आवश्यकता – संजय कुमार सिंह

कोरबा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) आशुतोष शर्मा / कोरबा :- वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह से संपूर्ण विश्व प्रभावित है तथा हमारे देश में भी इससे संक्रमित लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है आपके कुशल नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य में इस संक्रमण से निपटने के लिए प्रशासन द्वारा समय पर प्रभावी कदम उठाए गए हैं जिसकी वजह से अन्य प्रदेशों की तुलना में कोविड-19 महामारी का सर हमारे प्रदेश में बहुत कम है देश के बड़े राज्यों की तुलना में हमारे प्रदेश में संक्रमित मरीजों की रिकवरी रेट सर्वश्रेष्ठ है इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं । इस महामारी से निपटने के लिए 25 मार्च से लाभ डाउन की वजह से इस देश का मजदूर वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है ज्यादातर उद्योग बंद है और केंद्र सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद नियोजक ओं ने मजदूरों को लाभ डाउन की अवधि का भुगतान नहीं किया है मजदूर वर्ग के प्रति केंद्र सरकार की बेरुखी व बेरोजगारी की वजह से साधन के अभाव में मजदूर हजारों किलोमीटर पैदल पलायन करने को मजबूर हैं भाजपा शासित प्रदेशों की सरकारों ने लाख डाउन की वजह से उद्योगों को हुए नुकसान से उबारने के नाम पर विभिन्न श्रम कानूनों में मनमाना संशोधन कर इस अवधि में बुरी तरह से टूट चुके मजदूर वर्ग पर एक और करारा प्रहार किया है ।
गुजरात सरकार ने दिनांक 17 4 2020 को आदेश जारी कर फैक्ट्री एक्ट 1948 में संशोधन करते हुए कार्य के घंटों को 8 घंटे प्रतिदिन से बढ़ाकर 12 घंटे प्रतिदिन कर दिया है गया है तथा अतिरिक्त 4 घंटे कार्य के लिए मिलने वाले ओवरटाइम को भी समाप्त कर दिया है ।
मध्य प्रदेश सरकार ने इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए 1000 दिन के लिए कई श्रम कानूनों में बदलाव कर दिया तथा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा पुनः कानून लागू किए गए मध्य प्रदेश औद्योगिक संबंध अधिनियम 1960 में परिवर्तित करते हुए 11 तरह के बड़े उद्योगों को इस कानून के दायरे से बाहर कर दिया ।
गुजरात और मध्य प्रदेश आदि भाजपा शासित राज्य उनके इन आदेशों से भाजपा के उद्योग पतियों को हुए नुकसान की भरपाई मजदूरों से करने की मंशा स्पष्ट हो जाती है जिसका हमारा संगठन पुरजोर विरोध करता है । कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों का सहारा लेकर भाजपा सरकारें मजदूरों के अधिकारों को छीनने का प्रयास कर रही है पूरी दुनिया के मजदूर ने लंबी लड़ाई और बलिदान के पश्चात 8 घंटे काम का अधिकार प्राप्त किया था जिसकी हमारे देश की कांग्रेसी सरकारों ने हमेशा रक्षा की थी कार्य के अवधि 8 घंटे के स्थान पर 12 घंटे बढ़ाने से नियोजक को कम लोगों को कार्य हेतु नियोजित करेंगे जिससे बेरोजगारी और बढ़ेगी हमारे संगठन का मानना है कि मौजूदा समय में उत्पादन के साथ-साथ रोजगार बढ़ाने से ही अर्थव्यवस्था में सुधार होगा अतः कार्य के घंटों को पूर्व की तरह 8 घंटा प्रतिदिन ही रखा जाना चाहिए ।

देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मजदूर वर्ग अपना पूरा योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है किंतु मजदूर को उनके श्रम की पूरी कीमत मिलनी चाहिए सरकारों द्वारा श्रम कानूनों में उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए किए जा रहे मनमाने संशोधन उन्हें मजदूरों का शोषण करने का लाइसेंस प्रदान कर देंगे जिसका प्रतिकूल प्रभाव आने वाले समय में न सिर्फ मजदूरों की आर्थिक स्थिति व स्वास्थ्य पर पड़ेगा बल्कि उनकी क्रय शक्ति घटने का नुकसान व्यापार व्यवसाय पर भी पड़ेगा साथ ही मजदूरों में व्याप्त असंतोष का प्रतिकूल असर औद्योगिक संबंधों पर भी पड़ेगा ।

माननीय मुख्यमंत्री जी आपके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में सरकार ने सदैव ही मजदूर हित में निर्णय लेकर कांग्रेस पार्टी की परंपरागत मजदूर हितैषी छवि को कायम रखा है आशा है कि आप के कार्यकाल में भी भविष्य मैं भी राज्य में मजदूरों के हितों का संरक्षण व संवर्धन होगा देश व प्रदेश में मजदूरों का सबसे बड़ा संगठन होने के नाते हम आपको आश्वस्त करते हैं कि कोविड-19 महामारी से निपटने हेतु प्रदेश का मजदूर वर्ग सदैव आपके साथ खड़ा है।

आशुतोष शर्मा की रिपोट……