कोरबा/कटघोरा 27 फ़रवरी 2024 ( सेंट्रल छत्तीसगढ़ ) : कटघोरा को अलग जिला बनाने की मांग भले ही पूरी नहीं हुई लेकिन सरकार ने औपचारिकता के तौर पर अतिरिक्त कलेक्टर व अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक की पदस्थापना कटघोरा में कर दी। अधिकारियों ने कामकाज भी ग्रहण कर लिया लेकिन उनका बैठना कटघोरा में हो ही नहीं रहा है। इससे इलाके की जनता को कोई लाभ मिलने का सवाल ही नहीं है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि इस तरह की पदस्थापना आखिर क्यों की गई।
लंबे समय से अलग-अलग संगठन विभिन्न तर्कों और आधार के साथ कटघोरा को अलग राजस्व जिला बनाने की मांग करते आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि अपेक्षाकृत दूसरे क्षेत्रों को प्रशासनिक विकेंद्रीकरण के अंतर्गत इस तरह की सुविधा दी गई तो इस क्षेत्र को वंचित क्यों रखा गया। अलग-अलग तरीके से लोगों ने अपनी बात रखी और बदले में आश्वासन प्राप्त किये। बीच में अटकलें लगाई जा रही थी कि सत्तापक्ष की ओर से प्रभावी दावे किये गए हैं और इस पर नतीजे आएंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ओर से कटघोरा के लिए अतिरिक्त कलेक्टर की पदस्थापना कर दी गई थी। इससे लोगों को लगा कि आगे कांटे भरे रास्ते आसान हो सकते हैं। लेकिन उनका यह सोचना गलत साबित हुआ। इधर सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा को एक बार फिर से छत्तीसगढ़ की कमान मिली है जिसने कटघोरा का ख्याल रखने के साथ इसके नाम से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक का पद सृजित करते हुए अधिकारी की पोस्टिंग भी कर दी। हाल में ही नेहा वर्मा ने कटघोरा एएसपी का प्रभार भी ग्रहण कर लिया। उधर वर्तमान में दिनेश नाग को कटघोरा अतिरिक्त कलेक्टर के नाम से लोग जान रहे हैं। लेकिन गजब बात यह है कि ये दोनों ही अधिकारी कटघोरा में उपस्थित नहीं हो रहे हैं क्योंकि इनके लिए कार्यालय की कमी सबसे बड़ा मसला बनी हुई है।
इस चक्कर में कटघोरा पदस्थ किये गए अधिकारी कोरबा मुख्यालय में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं। इसके चलते कटघोरा और अन्य दो सब डिविजन से संबंधित लोगों को अपने संबंधित कामकाज के मामले में सरकार के द्वारा स्थानीय स्तर पर की गई व्यवस्था का कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है। अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब अधिकारियों को जिला मुख्यालय में ही बैठना था तो फिर कटघोरा पदस्थापना के नाम से ढिंढोरा क्यों पीटा गया।