कोरबा/कटघोरा 20 फरवरी 2024 ( सेंट्रल छत्तीसगढ़ ) : कटघोरा वनमण्डल में पदस्थ एसडीओ द्वारा मरवाही के बाद अब कटघोरा वनमण्डल को भी भ्रष्टाचार का गढ़ बनाते हुए भोले भाले रेंजर को बलि का बकरा बनाया जा रहा है । कसनिया डिपो में जितनी राशि में 1500 मीटर सड़क बनती उतने में 633 मीटर सड़क बना कर 70प्रतिशत राशि याने 42 लाख रुपए एक झटके में अंदर करने का जुगाड फिट कर चुके हैं। इसके पूर्व नेचर कैंप तथा चिचगोहना समिति की तरह जल बिहार बुका में फर्जी समिति बनाकर बिस्कुट ,अगरबत्ती ,वाशिंग पाउडर बनाने के प्रशिक्षण कराने का कागज तैयार कर एक और घोटाले की नीव रखी जा चुकी गई है ।
दरअसल जटगा रेंज के कसनिया डिपो में बहुत पहले से सीसी रोड की स्वीकृति पी डी मद से मिली हुई है। उच्चाधिकारियों की मोटी कमीशन खोरी के चलते पूर्व रेंजरों ने कार्य प्रारंभ नही कराया ,जिस पर तत्कालीन एडीओ संजय तिपाठी की नजर पड़ी तो ये आनन फानन में सीसी रोड के गाइड लाइन में छेड़खानी करते हुए 42 लाख रुपए का मार्जिन रखते हुए 633 मीटर लंबी सीसी रोड के लिए गैरतकनिकी ढंग से 60 लाख रुपए का प्राक्कलन बनवा दिया गया । RES sor में स्टैंडर्ड स्टीमेट का प्रति 100 मीटर /4 मीटर चौड़ी सीसी रोड की लागत साढ़े तीन लाख से चार लाख तक आती है परंतु इन्होंने प्रति 100 मीटर लगभग 10 लाख रुपए लागत का स्टीमेट तैयार कर तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति भी प्राप्त कर कार्य प्रारंभ करवा दिया गया।
हालाकि अभी मात्र गड्ढा खोदकर सुखी गिट्टी ही बिछाई गयी है ,एसडीओ की इस चालाकी में डीएफओ का बराबर का हाथ होना साफ तौर पर प्रतीत हो रहा है, क्योंकि डीएफओ से पूछे जाने पर अनभिज्ञता जाहिर किया जाता है। इस कार्य को अंजाम देने उस विशेष समुदाय के ठेकेदार को बुलाया गया है जिसने पूर्व में मरवाही के मटिया डांड ग्राम में वन विभाग के रकम से इन्ही एसडीओ के मार्गदर्शन पर मस्जिद बनवाया था। एसडीओ के लिए ये ठेकेदार इतने महत्वपूर्ण हैं कि इनके ठहरने का इंतजाम वन विभाग के रेस्ट हाउस में किया गया था ,इसकी शिकायत भी हो चुकी है परंतु डीएफओ भी चुप्पी साधे हैं। यही नहीं इस ठेकेदार द्वारा जल बिहार बुका में तीन अलग अलग भवन को जोड़कर एक शॉपिंग सेंटर बनाया जा रहा था ,जो आज तक अधूरा पड़ा है।इस तरह से घटिया और अधूरा काम करने में महारत हासिल ये एसडीओ के चहेते ठेकेदार के रूप में जाने जाते हैं। एसडीओ संजय त्रिपाठी द्वारा हमेशा उल्टे सीधे काम किया जाता है और जब फंसते दिखे तो बलि का बकरा नीचे के अधिकारी ,रेंजर को बना देना इनकी कार्यशैली का एक हिस्सा है। कसनिया में निर्माण हो रहे सीसी रोड में जिन मजदूरों से कार्य करवाया जा रहा था वो 10 वी कक्षा के महज 14 – 15 वर्ष के स्कूली बच्चे थे , सरकारी कामों में यदि इस तरह से खुलेआम बाल मजदूरी कराकर भारतीय संविधान के शोषण के विरुद्ध अधिकार के अनुच्छेद 24 का उल्लंघन करना या तो अपनी ऊंची पहुंच का घमंड हो या फिर मोटे बुद्धि का परिमाण ।
पूर्व वनमंत्री का संरक्षण होने से नही हुई अब तक कार्यवाही.
मरवाही वनमंडल में हुए चर्चित नेचर कैम्प में हुए करोड़ो के घोटाले में दोषी पाए गए छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाकर निलंबित कर दिया गया, मगर फर्जी समिति गठित कर शासन को करोड़ो रूपये का चूना लगाने वाले दोषी तत्कालीन प्रभारी डीएफओ पर मो.अकबर का संरक्षण प्राप्त होने के कारण आज पर्यंत कार्यवाही लंबित है।