कोरबा : अयोध्या राम मंदिर जन्मभूमि को लेकर कटघोरा के कार सेवक ने बताया 1990 का आंखों देखा हाल.. कहा- श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने से यह जीवन हुआ सफल…

कोरबा/कटघोरा 20 जनवरी 2024 ( सेंट्रल छत्तीसगढ़ ) : 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। अयोध्या आंदोलन में कारसेवा के लिए छत्तीसगढ़ के कोरबा और कटघोरा से भी 56 लोग गए थे, जिसमें एक को गोली लगी थी, जिनकी मौत 2023 में हुई है। इनका नाम गैस राम चौहान था। 56 में 5 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे जबकि अन्य लोगों को हल्की चोटें आई थी। इस दिन के भयंकर मंजर के बारे में कटघोरा के कार सेवक पवन अग्रवाल ने पूरी व्यथा सुनाई।

कटघोरा के कार सेवक व भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता व पवन अग्रवाल पिता कृष्ण कुमार अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आह्वान पर श्रीराम मंदिर आंदोलन के लिए 24 अक्टूबर 1990 को कार सेवक ठाकुर जुड़ावन सिंह के नेतृत्व में 56 लोगों का जत्था अयोध्या जाने के लिए निकला था। जिसमे कटघोरा के मैं स्वयं साथ मे राजकुमार अग्रवाल, राम प्रताप जायसवाल, स्वर्गीय नत्थू श्रीवास, कृष्णा महराज ,शिव जायसवाल, विनोद जायसवाल , लाल मोहम्मद, बसंत जायसवाल, विजय साहू व छुरी के डाल चंद्र सोनी शामिल थे ।

उन्होंने बताया कि कोरबा जिला के अनेक कार सेवक ट्रेन के माध्यम से बिलासपुर से इलाहाबाद के रास्ते अयोध्या गए थे। उसमें जनता दल की सरकार थी। मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे। इलाहाबाद में कार सेवकों को पुलिस गिरफ्तार कर रही थी। इसकी सूचना मिलने पर एक स्टेशन पहले नैनी में उतरकर नाव के माध्यम से यमुना नदी को पार कर इलाहाबाद पहुंचे। इलाहाबाद में एक आम सभा के बाद सभी को अयोध्या कूच करने का आदेश हुआ। इलाहाबाद के आगे बड़े पुल पर अंधेरा का फायदा उठाकर हम सभी गए थे, लेकिन सभी को गिरफ्तार कर लिया गया। बड़ी बर्बरता से सभी को मारा गया। छोटे, बड़े, बूढ़े सबको लाठी डंडे से पीटा गया। उस भगदड़ में अनेक कार सेवक घायल हो गए। भगदड़ में हमसे कई साथी बिछड़ गए। हमें रात में गिरफ्तार किया गया था। जिसमे पवन अग्रवाल, राम प्रताप जायसवाल तथा स्व. कृष्णा महराज को गाजीपुर के कॉलेज में बने अस्थाई जेल में 9 दिनों तक रखा गया था।

पवन अग्रवाल ने बताया कि अनजान जगह अस्थाई जेल में रातभर रखा गया। हम सभी लोग सुबह होते ही जेल के गेट को तोड़कर अयोध्या जाने लगे। सभी उसी ओर चल पड़े, कोई साधन नहीं था। पैदल चलकर इलाहाबाद सुल्तानगंज और फिर फैजाबाद जिले को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि 2 नवंबर 1990 को उसे विवादित ढांचा को ढहाने के लिए चारों तरफ कार सेवकों की टोली बढ़ने लगी। पुलिस ने पहले आंसू गैस छोड़े, फिर लाठी चार्ज कर बड़ी बर्बरता के साथ पुलिस ने प्रहार किया गया। लाठी चार्ज के साथ पुलिस ने गोली फायरिंग भी चालू कर दिया, जिसमे कई कारसेवकों ने वहीं दम तोड़ दिया। बहुत लोग मची भगदड़ में घायल हो गए, जिन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती भी कराया गया।

इतने बड़े संघर्ष के बाद आखिरकार आज राम मंदिर बन रहा है और देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयास से 22 जनवरी को अयोध्या में प्रभु रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रहा है। हम सभी को गर्व होना चाहिए कि की हमारा यह जन्म सार्थक हुआ और आज प्रभु श्रीराम जी आगमन का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।