कोरबा : 10 साल की उम्र में माता-पिता का हुआ देहांत, के बाद आशीष ने CGPSC पाई सफलता..डिप्टी कलेक्टर के लिए चयनित..जानिए उनकी संघर्ष की कहानी…

कोरबा 12 सितंबर 2023 ( सेंट्रल छत्तीसगढ़ ): कहते हैं न कि होसलो से ही उड़ान होती है जी हाँ हम बात कर रहे हैं कोरबा जिले के अंतिम छोर पोंडी उपरोडा ब्लॉक के ग्राम सीरिमीना के बाबूपारा में निवासरत आशिष कुमार पेन्द्रों की। उन्होंने CGPSC की दूसरी परीक्षा में सफलता पाते हुए डिप्टी कलेक्टर बने हैं। उनका पूरा जीवन संघर्षों के बीच बीता है। बचपन मे ही महज़ 10 वर्ष की उम्र में ही माता पिता का देहांत हो गया। चाचा बनवारी लाल पेन्द्रों व चाची कलेश्वरी सिंह पेन्द्रों ने आशीष कुमार पेन्द्रों का पालन पोषण किया और आगे की पढ़ाई कराई। लेकिन एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले आशीष को आर्थिक परेशानियों से भी जूझना पड़ा।

शासकीय स्कूल में ही प्राप्त की शिक्षा

डिप्टी कलेक्टर बने आशीष कुमार पेन्द्रों ने शासकीय स्कूल से ही शिक्षा ग्रहण की जहां उन्होंने कक्षा 1 से 5 तक कि पढ़ाई गाव के ही शासकीय स्कूल से प्राप्त की फिर कक्षा 6 से 10 तक कि शिक्षा शासकीय स्कूल छुरी से प्राप्त करने के बाद कक्षा 11 से 12 तक शासकीय स्कूल कटघोरा से प्राप्त की। आशीष पेन्द्रों ने अपनी मेहनत से शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय बिलासपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की। तथा इसी बीच वे सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी भी करते रहे। उन्होंने इसके लिए कोई भी ट्यूशन नही किया। आशीष ने CGPSC की प्रथम परीक्षा में ही कड़ी मेहनत कर जिला सेनानी पद पर सफकता पाई। लेकिन उनका मुकाम और सोच बड़ी थी इसलिए उन्होंने आगे की तैयारी प्रारम्भ रखी और CGPSC के दूसरे प्रयास में एक बड़ी सफलता पाते हुए डिप्टी कलेक्टर के लिए चयनित हुए।

CGPSC की तैयारी में आई आर्थिक परेशानी

CGPSC की तैयारी करने के लिए उन्होंने दिल्ली के कोचिंग सेंटर से शिक्षा लेने का प्रयास किया लेकिन दुर्भाग्य से उसी वक्त कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने से लॉक डाउन की स्थिति निर्मित हो गई साथ ही आर्थिक समस्या के कारण वे आगे की पढ़ाई नही कर सके और वे कोचिंग छोड़ वापस अपने घर आ गए। आशीष को आगे की पढ़ाई कोरोना काल मे घर पर ही रह कर करनी पड़ी। लेकिन उनके कठिन परिश्रम से उन्होंने CGPSC में दूसरी बड़ी सफलता पाई और डिप्टी कलेक्टर में उनका चयन हुआ। उनकी सफलता में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उन्हें 1 लाख के पुरुस्कार से सम्मानित किया। आशिष कुमार पेन्द्रों के हौसले से ही आज वे इस मुकाम पर पहुंचे है जो आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा के समान है।