कटघोरा : हिंदू नववर्ष पर निकलेगी भव्य शोभायात्रा.. 11 हज़ार दीपों से राधासागर सरोवर में किया जाएगा दीपयज्ञ.. तैयारिया जोरो से शुरू.

कोरबा/कटघोरा 18 मार्च 2023 ( सेंट्रल छत्तीसगढ़ ) : कोरबा जिले उपनगरीय क्षेत्र कटघोरा मगर में भी नव संवत्सर हिंदू नव वर्ष के आगमन को लेकर जबरदस्त तैयारियां की जा रही है। नव संवत्सर के स्वागत के लिए नव वर्ष स्वागत दीपयज्ञ समिति कटघोरा द्वारा मंगलवार 21 मार्च को शहर में भव्य शोभायात्रा निकालने की तैयारियां की जा रही है।

कटघोरा नगर के नव वर्ष स्वागत दीपयज्ञ आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि नव संवत्सर के स्वागत हेतु कटघोरा नगर में 21 मार्च को दोपहर 2 बजे भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी जोकि अग्रसेन भवन कटघोरा से होते हुए नगर भृमण कर राधासागर सरोवर तक पहुंचेगी। जहां 51 जोड़ो द्वारा दीपयज्ञ सम्पन्न होगा तथा 11 हज़ार दीप के दीपयज्ञ किया जाएगा। जिसके लिए सभी हिंदूवादी संगठनों को सम्मिलित कर भव्य शोभायात्रा आयोजित की जाएगी। पूरे शहर को केसरिया पताकाओं और तोरण द्वारों से सजाया गया है। शोभा यात्रा के स्वागत हेतु शहर के विभिन्न चौराहों पर पुष्प वर्षा की जाएगी। इसके साथ ही कटघोरा सहित समीप के ग्रामीण इलाकों में भी नागरिकों को शोभायात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है।

आयोजन समिति ने नगर के लोगों से अपील की है कि हिन्दू नववर्ष के दिन लोग अपने घरों पर भगवा ध्वज लगाए तथा घर के बाहर रंगोली बनाकर दीप अवश्य जलाए। नववर्ष शोभायात्रा में ढोल ताशों का आकर्षण व अनेक प्रकार की आकर्षक झांकियों का प्रदर्शन किया जाएगा। शोभा यात्रा में बड़ी संख्या महिला, पुरुषों व युवाओं के शामिल होने का अंदेशा है। जिसकी तैयारी जोरशोर से की जा रही है।

सम्पूर्ण सृष्टि का नव वर्ष है नवसंवत्सर

नवसंवत्सर पर शोभा यात्रा के आयोजन के साथ बधाई देते हुए नववर्ष स्वागत दीपयज्ञ आयोजन समिति ने संदेश दिया कि नवसंवत्सर केवल भारत का ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि का है। इसी दिन सृष्टि की संरचना के साथ सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी तथा नक्षत्रों की रचना हुई थी। तभी से उनकी गति के आधार पर काल चक्र गणना शुरू हुई। इसी दिन मां जगतजननी भगवती दुर्गा का अवतरण होता है। जो नौ दिन तक चलता है। इसी दिन राजा विक्रम सिंह ने हूण शासक पर विजय पाकर राजगद्दी प्राप्त की। उनके शौर्य व पराक्रम के कारण उन्हें सूर्य के नाम आदित्य की उपाधि के साथ उनका नाम विक्रमादित्य हुआ। उन्हीं के नाम से संवत् की गणना होती है।