गौरेला पेंड्रा मरवाही(सेंट्रल छत्तीसगढ़):- किसानों के सजग प्रहरी कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल किसानों के हितों के सुरक्षा पर लगातार जोर देते रहते है,
पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में 1 नवंबर से धान खरीदी की शुरुआत हो चुकी है
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जहां किसानों के दाने दाने को खरीदने के लिए प्रतिबद्ध है, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सभी धान उपार्जन केंद्रों में धान समर्थन मूल्य ग्रेड ए 2060, ग्रेड बी 2040 रुपए लिया जा रहा है,
छत्तीसगढ़ की सभी किसान धान खरीदी को उत्सव की तरह मना कर धान खरीदी कर रहे हैं,वही इन दिनों जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही के अंतर राज्य मध्यप्रदेश सीमा में वन रक्षकों की खुली मनमानी सामने आ रही है ,
बता दें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सपनों को साकार करने के लिए जिला कलेक्टर गौरेला पेन्ड्रा मरवाही ऋचा प्रकाश चौधरी जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही में सघन निरीक्षण कर रहे हैं, जिला प्रशासन की तमाम सुविधाओं एवं इंतजाम के बाद जिला प्रशासन के निर्देशानुसार वन मंडल अधिकारी मरवाही के आदेशानुसार गौरेला पेंड्रा मरवाही के छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश की सीमाओं मे वनविभाग के द्वारा बैरियर में कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, ताकि अनाधिकृत रूप से छत्तीसगढ़ की सीमा में धान तस्करी अपने मंसूबों को अंजाम न दे सकें,
बता दें अंतर राज्य सीमा मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ में आने वाली बरौर नाका में अक्सर वनरक्षक नदारद रहते हैं, सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार वन विभाग के वनरक्षक जानबूझकर धान तस्करों के लिए रास्ता साफ कर रखे हैं,
वन मंडल अधिकारी मरवाही के नाक के नीचे वनमंडल अधिकारी के आदेशों का धज्जियां उड़ाते उनके ही वन विभाग की वनरक्षक अक्सर बैरियर ड्यूटी में नदारद रहते हैं, जिसके कारण मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ की सीमा में आने जाने वाले धान तस्करों को आने-जाने की खुली छूट मिली हुई है, शाम होते ही धान तस्कर अपने मंसूबे की जुगत में लगे रहते हैं वह बेखौफ होकर छत्तीसगढ़ की बॉर्डर में मध्य प्रदेश की धान को खफा रहें हैं, वन विभाग की मौन सहमति एवं सुस्त रवैया अवैध धन तस्करों की हिम्मत बढ़ा रहा है,
वन विभाग मरवाही के वनरक्षको लापरवाह और गैर जिम्मेदार सुस्त रवैया सर चढ़कर बोल रहा है,
वही वन मंडल अधिकारी मरवाही कुंभकरण की गहरी निद्रा में सोए हुए हैं, वन रक्षकों की करनी से वह अंजान है जिसका फायदा उठाते हुए वनरक्षक बैरियर ड्यूटी पर नदारद रहते हैं,
वही आमजन लोगों की माने तो बैरियर ड्यूटी में वन रक्षकों की अनुपस्थिति कहीं ना कहीं धान तस्करो के लिए रास्ता साफ करना है जिससे वह आसानी से मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ के सीमा में आकर आसानी से अपने अवैध धान को खफा सके,
आखिर किसानों की हितैषी सरकार लाख प्रयासों के बाद भी किसानों के लिए यह कैसी व्यवस्था है,
जिसका दंश किसानों को झेलना पड़ रहा है, लापरवाही और बदहाल व्यवस्था की तस्वीरें देख कर किसान मजबूर होकर अक्सर व्यवस्था और सरकार को कोसते नजर आते है,
और यही मन ही मन यही सवाल करता है कि किसानों की हितैषी सरकार होने के बाद भी भूपेश सरकार का यह सपना क्यों टूटता नजर आ रहा है,
कौन है इसका जिम्मेदार, कब बदलेगी यह बदहाल व्यवस्था की तस्वीरें, कब होगी पूरी किसानों के हितों की प्रतिपूर्ति,