कोरबा/कटघोरा 20 दिसंबर 2022 ( सेंट्रल छत्तीसगढ़ ) : कटघोरा वन मण्डल में विगत 8 साल से हाथियों का उत्पात जारी है। हाथी उत्पात मचाते हैं आर्थिक क्षतिपूर्ति वन विभाग करता है। वन क्षेत्र से लगे गावों में हाथियों की आमद से ग्रामीणजन प्रभावित सभी जगह है। इससे रहवासियों में चिंता बढ़ी है। वन विभाग भी गंभीर घटनाओं को टालने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद है।
हाल ही में जंगली हाथियों के अचानक हमले से हुई मौतों पर वन मण्डल ने हाथी मानव द्वंद प्रबंधन कार्यशाला भी आयोजित की। वन विभाग द्वारा हाथी प्रभावित इलाके के ग्रामीणों को जागरूक करने के समय-समय पर अधिकारी-कर्मचारी की कार्यशाला भी आयोजित करता आया है। इसके अलावा प्रभावित इलाकों के ग्रामीणों को हाथी के व्यवहार आदि के बारे में बारीकी से भी बताया गया है। लोगों को हाथी के पास न जाने की हिदायतें और सेल्फी इत्यादि न लेने की भी अपील की जा रही है। इसके अलावा पुलिस के सूचना तंत्र का सहयोग और ग्रामीणों से हाथी की लोकेशन संबंध में सूचना एकत्रित की जाती है।
ग्रामीणों से सुझाव भी लिए जा रहे हैं। धान कटाई कार्य शुरू होने पर हाथियों के लिए यह मौसम अनुकूल हो जाता है। उन्हें जंगल में पर्याप्त भोजन नहीं मिलने के कारण हाथियों का दल जंगल से गांवों में घूंसता है विशेषकर धान कटाई के समय हाथियों की आवाजाही बढ़ जाती है। ये हाथी किसानों के खेत एवं खलिहानों में आकर फसल खा जाते है।
कटघोरा वन मण्डल में हांथीयों का उत्पात लगातार जारी है। हांथीयों के उत्पात से ग्रामीण जन सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। कटघोरा वनमण्डल की डीएफओ प्रेमलता यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि वनमण्डल में अप्रैल से लेकर वर्तमान तक 1306 प्रकरण दर्ज किये गए। जिसमें जनघायल, जनहानि, पशु हानि, फसल हानि के प्रकरण आये थे जिसमें वर्तमान तक 1 करोड़ 43 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। दिसंबर माह में भी कई प्रकरणों के बिल पास किये गए हैं जिनका भुगतान जल्द किया जाएगा। लेमरू प्रोजेक्ट के तहत लोगो के लिए रोजगार उन्मूलक कार्य किये जा रहे हैं। जिसे लेकर उनको बुका में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
आधुनिक तकनीकी का बेहतर उपयोग कर व्हाट्स एप्प ग्रुप के जरिए गॉव के लोगों को जोड़ा जा रहा है। वन विभाग द्वारा ग्रामीणों को जागरूक भी किया जा रहा है। राज्य शासन की वन विभाग ने वर्ष 2019 से वन्य प्राणियों के हमले से घायलों, अपंगता की स्थिति और किसी की मृत्यु हो जाने पर दिए जाने वाले मुआवजे में बढ़ोतरी की है। राज्य शासन के वन विभाग द्वारा वन्य पशुओं के हमले से यदि मृत्यु हो जाए तो मृतक के परिजन को वन विभाग चार लाख के बजाए पिछले वर्ष से छह लाख रुपये मुआवजा दे रहा है। शासन ने वन्य पशुओं से होने वाली घटनाओं पर पीड़ित को दिए जाने वाले मुआवजा राशि में वृद्धि की है। शासन ने यह आदेश वन विभाग को वर्ष वर्ष 2019 से ही जारी कर दिया है, जिसे लागू कर दिया गया है।
ज्ञात रहे कि पहले वन्य पशुओं से होने वाली घटनाओं में मुआवजा राशि बहुत ही कम थी। नए आदेश से वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को राहत मिल रही है। वन क्षेत्रों में ज्यादातर वन्य प्राणी मवेशियों को अपना शिकार बनाते हैं। इससे ग्रामीणों को पशुधन की हानि अधिक होती है। पशु धन हानि होने पर प्रभावित किसान को 30 हजार रुपये मुआवजा दिया जाता है। वन्य प्राणियों के हमले से मनुष्य के स्थाई रूप से अपंग होने पर दो लाख रुपये मुआवजा दिया जा रहा है। वहीं घायल होने पर इलाज के लिए 59 हजार 100 रुपये की मदद दी जाती है।