कोरबा 18 दिसंबर 2022 ( सेंट्रल छत्तीसगढ़ ) : अफ्रीका व थाईलैंड में पाई जाने वाली थाई मांगुर मछलियों के पालन व बिक्री पर भले ही केंद्र सरकार ने रोक लगा रखी हो, पर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में इसका व्यापार खुलेआम हो रहा है। विसाखापट्टनम से रोजाना लिंक एक्सप्रेस से आयात की जा रही थाईलैंड मांगुर मछली इस समय कोरबा जिले में मछली व्यापारी चोरी छुपे मोटी रकम 500 से 600 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से बेची जा रही हैं। लेकिन प्रतिबंद के बावजूद मतस्य विभाग के आला अधिकारी इन सब मामलों से अंजान हैं।
खुले आम बिक रही
कोरबा में जिस तरह से यह सरकारी मछली मंडी में उतरती है और बाज़ारों में खुलेआम बिक रही है।निश्चित रूप से शर्मनाक है वही इस बारे में जानकारों का कहना है कि थाईलैंड मांगुर मछली मांसाहारी है और इसकी ग्रोथ बहुत अधिक है। मत्स्य पालक लालच के कारण इसको पालते हैं जबकि देश के प्रतिबंधित होने के बावजूद पड़ोसी देशों के माध्यम से यह भारत आ रही हैं।
ज्यादा मुनाफे का चक्कर
अफ्रीका की नदियों में पाई जाने वाली यह मछली पूरी तरीके से मांसाहारी है इस मछली की ग्रोथ बहुत तेज होती है,इसी कारण इस मछली को लोग ज्यादा मुनाफे के चक्कर में पालते हैं।
मछली खाने से होता है कैंसर
जानकारों का कहना है कि सरकार भले ही मत्स्य पालन के बड़े-बड़े दावे कर ले, पर यह थाई मछली खूब बिक रही है। इस मछली को खाने से कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं। यह मछली तालाब की तलहटी में रहती हैं और शीशा और लेड की मात्रा अधिक होने के कारण इन्हें खाने से अल्सरेटिव फिश सिंड्रोम नामक बीमारी होती है जिससे मस्तिष्क काम नहीं करता है