कटघोरा : वन तथा राजस्व भूमि में लगे साल के वृक्षों की एक सप्ताह से हो रही अंधाधुंध कटाई.. कब्जा करने की फिराक में भू माफिया दे रहे काम को अंजाम.. वन अधिकारियों को खबर नहीं.

कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़) : साल का वृक्ष हमारे देश तथा प्रदेश के लिए कितना महत्वपूर्ण है, यह बताने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए । सभी जानते हैं कि साल के वृक्ष अपनी जलग्रहण क्षमता के कारण जहां भी रहेंगे, उस इलाके को ठंडा रखेंगे। पर्यावरण को स्वच्छ, स्वस्थ, रखेंगे। प्रदेश के साहित्यकार स्वर्गीय शानी जी ने साल वृक्षों के जंगलों के कारण ही बस्तर अंचल को साल वनों का द्वीप नाम दिया था और एक उपयोगी ग्रंथ ‘शाल वनों का द्वीप’ शीर्षक से लिखा था।

छत्तीसगढ़ के विद्युत उत्पादक ऊर्जा जिले कोरबा के कटघोरा में वन विभाग एवं राजस्व विभाग की भूमि पर कब्ज़ा कर बेशकीमती वृक्षों सरई, साल की अंधाधुंध कटाई की गयी है। राजस्व विभाग एवं वन विभाग के आला अधिकारी कार्यवाही करने से डर रहे हैं। कटघोरा वन मंडल घोर कटाई तथा भ्रष्टाचार में काफी नाम कमा चुका है, वहीं सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा कराने में भी साथ दिया जा रहा है।

विगत एक सप्ताह से सुतर्रा नर्सरी एवं एन.एच रोड से लगे हुए सरकारी ज़मीन के पके पकाये सरई (साल) के 70 से 80 पेड़ों की कटाई का अवैध कार्य किया गया है। सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा कराने में वन विभाग एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों की महती भूमिका, बाड़ ही खेत को खाने लगे, वाले मुहावरे को चरितार्थ करते हुए दिख रही है । कंधे से कंधा मिला कर विभागीय ज़िम्मेदारियों को तिलांजलि दी जा रही है। जिसके कारण आज दिनांक तक इस प्रकार के थोक भाव में साल वृक्षों की कटाई करने वाले एक भी व्यक्ति के विरुद्ध कार्यवाही नहीँ की गयी है!

वन परिक्षेत्र अधिकारी जटगा के द्वारा किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं किया जाना अनेक तरह के संदेह पैदा करा रहा है, मामला उजागर न हो जाये, इस डर के कारण किसी प्रकार से भी अवैध कटाई एवं सरकारी ज़मीन पर हो रहे कब्ज़े पर रोक नहीं लगाया जा रहा है। जो हर प्रकार से ज़िम्मेदार अमले की संलिप्तता की चुगली करता है! वन विभाग एवं राजस्व विभाग का गठजोड़ कहा जाना भी कोई गलत नहीं हो सकता है ? इतनी बेशकीमती ही नहीं, किसी भी तरह के वृक्षों की अवैध कटाई कर देना दंडनीय अपराध है! साल के पेड़ अगर निजी ज़मीन में भी हैं ,तो नियमानुसार कलेक्टर की अनुमति लेनी पड़ती है जोकि आसानी से नहीं मिल पाती है, किन्तु साल वृक्षों की अवैध कटाई करा देना, जिनकी संख्या 70 से 80 पेड़ों के क़रीब हो, इतनी संख्या में अंधाधुंध कटाई करा देना, अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है! एक सप्ताह के भीतर लगातार हो रही पेड़ों की कटाई की जानकारी होने के बाद पहुंचे वन अधिकारी व राजस्व अधिकारी जांच करने। जांच की रिपोर्ट कब तक आएगी यह अभी देखना बाकी है।