कोरबा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) :- केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के सदस्य, नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल ने राज्य के गृह विभाग द्वारा प्रदेश में बिना अनुमति धरना, प्रदर्शन, जुलूस रैली पर पाबंदी लगाने का आदेश जारी करने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उनकी कुनीतियों, वादाखिलाफी के कारण बढ़ते जन आक्रोश, किसान आंदोलन और कांग्रेस द्वारा छले गए कर्मचारियों के लोकतांत्रिक प्रदर्शन से इतने भयभीत हो गए हैं कि राज्य में आपातकाल जैसी बंदिश लगा दी है।
भाजपा नेता हितानंद अग्रवाल ने कहा कि भूपेश बघेल सरकार ने अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने का वादा पूरा करने की बजाय उन पर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज कराने के साथ ही नया रायपुर में आंदोलन कर रहे किसानों का पंडाल भी उखाड़ कर फेंक दिया। इसका सीधा मतलब यही है कि भूपेश बघेल सरकार कांग्रेस के चरित्र के मुताबिक वही कृत्य छत्तीसगढ़ में कर रही है जो इंदिरा गांधी ने देश में किया था। भूपेश बघेल कांग्रेस की अलोकतांत्रिक संस्कृति के प्रतीक बनकर सामने आए हैं। विरोध के स्वर तो उन्हें पहले भी स्वीकार नहीं थे लेकिन अब तो बढ़ते विरोध के कारण जब उन्हें कोई रास्ता दिखाई नहीं दिया तो उन्होंने छत्तीसगढ़ पर आपातकाल थोपने की कोशिश की है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, भूपेश बघेल समझ चुके हैं कि अब उनकी चालबाजी से त्रस्त किसान, जनता और कर्मचारी खुलकर उनके विरोध में खड़े हो गए हैं तो उन्होंने दमनकारी नीतियों का खुलकर सहारा लेना शुरू किया है। भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के लोगों को उनके लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित करने के लिए पुलिस का सहारा लिया है। अब भूपेश बघेल सरकार का विरोध करने के लिए उस प्रशासन से अनुमति लेनी होगी जो भूपेश बघेल के इशारे पर उठक बैठक कर रहा है। क्या यह संभव है कि भूपेश सरकार का प्रशासन भूपेश बघेल की नीतियों के खिलाफ धरना, प्रदर्शन, जुलूस, रैली की अनुमति देगा।
अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में आज के हालात जोगी शासन काल के से भी बुरे है जनता बेहाल है उस पर अत्याचार किया जा रहा है। प्रदेश की जनता, किसानों तथा प्रदेश के हित में काम कर रहे कर्मचारियों को उनके लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित किए जाने के विरुद्ध संघर्ष करेगी। भाजपा भूपेश बघेल सरकार के अलोकतांत्रिक फैसले के विरुद्ध सड़क से लेकर हर उचित मंच पर न्याय के लिए जनता, किसान और कर्मचारियों के साथ है, भूपेश बघेल सरकार का अंत नजदीक आता जा रहा है। वह जनता की उम्मीदों पर पूरी तरह विफल साबित हुए हैं इसलिए उनके विरुद्ध राज्य में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह से वह आपा खो बैठे हैं। यदि भूपेश बघेल ने साढ़े 3 साल में जनता के हर वर्ग से वादाखिलाफी नहीं की होती तो आज उन्हें डर कर पुलिस को आगे नहीं करना पड़ता। राज्य सरकार की आलोचनाशासन में छत्तीसगढ़ में अभिव्यक्ति की आजादी को कुचला जाना एक दमनकारी कृत्य है जिसे जनता कभी नही भूलेगी।