कोरबा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) : जिस प्रेम में प्रेम की क्रिया ना हो वह प्रेम, प्रेम नही पाखंड है. आज की स्थिति विचित्र है. प्रेम है पर गर्व नही है. कृष्ण से प्रेम है पर गीता से लगाव नही है. प्रेम परंपरा से उपजती है जो निरन्तर युगानुकूल बदलती रहती है. यही आध्यात्म है, यही मोक्ष भी है. उक्त उद्गार श्री आनंदम निधि वनधाम वृंदावन के पीठाधीश्वर व प्रख्यात धर्मगुरु श्री ऋतेश्वर जी महाराज के है. ऋतेश्वर महाराज आज अपने अल्प प्रवास पर कटघोरा पहुंचे हुए थे. डुडगा मार्ग स्थित आश्रम पर उनके अनुयायियों ने ऋतेश्वर महाराज का आशीर्वाद लिया और उनके सत्संग में शामिल भी हुए. कृष्ण भक्ति, श्रीराम चरित्र, हिंदू आध्यात्म, दर्शन आदि पर उन्होंने उपस्थित जनसमूह को अपना प्रवचन भी दिया. इससे पूर्व कटघोरा मुख्य चौक पर भी उनके शिष्यों ने फूल माला व आतिशबाजी से ऋतेश्वर महाराज का आत्मीय स्वागत किया जिसके बाद उनका काफिला आगे बढ़ चला.
प्रवचन व भेंट के बाद ऋतेश्वर महाराज ने मीडियाकर्मियों से भी चर्चा की और धर्म, राष्ट्र तथा राजनैतिक सवालों का जवाब भी दिया. दक्षिण राज्य कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद से जुड़े सवाल पर ऋतेश्वर महाराज ने साफ किया कि समानता और न्याय के सिद्धांत पर निर्मित भारतीय संविधान में सभी के हितों की व्यवस्था की गई है. कोई भी राष्ट्र के कानून से ऊपर नही है. धर्मगुरु ने कहा कि वे दलों के दलदल में नही पड़ना चाहते बावजूद अगर देश के संविधान में सभी के लिए एक समान शिक्षा नीति की व्यवस्था है तो हम सभी को उसे आत्मसात करना होगा, उसके अनुरूप आचरण करना होगा. धर्म आधारित नियमो के अनुपालन से संविधान का कोई मूल्य नही रह जायेगा. तीन तलाक, हिजाब, भगवा वस्त्र को लेकर सभी के लिए एक कानून बने. इस पर किसी भी राजनीतिक दल, धर्म, सम्प्रदाय में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए.
देश के पांच राज्यो में जारी विधानसभा चुनावो में विकास, शिक्षा, रोजगार के बजाए धर्म, जाति जैसे मुद्दे हावी होने के प्रश्न पर ऋतेश्वर महाराज ने कहा कि चुनावी मुद्दे नेता नही बल्कि जनता तय करती है. उन्हें पांच सालों में एक बार यह अधिकार मिलता है कि उनकी प्राथमिकताओ में क्या है. यदि जनता विकास पसंद है तो विकास अथवा धर्म जाति, शराब, पैसे इन मुद्दों पर चुनावो को केंद्रित कर चुनावो में हिस्सा लेती है.
बीते दिनों कवर्धा में बिगड़े साम्प्रदायिक सौहार्द के प्रश्न पर कहा कि वे छग काफी समय के बाद पहुंचे है. इसलिए उन्हें इस सम्बंध में कुछ ज्यादा मालूम नही हालांकि साम्प्रदायिक सौहार्द तभी कायम रह सकता है जब सभी को अपने मतों के पालन का अधिकार मिले. साम्प्रदायिकता का आशय किसी को मारना, काटना नही है. ऋतेश्वर महाराज ने रामराज्य की परिकल्पना को परिभाषित करते हुए बताया कि निःशुल्क शिक्षा, निःशुल्क चिकित्सा व अविलंब न्याय ही रामराज्य का आधार है. यही यह सिद्धांत अगर पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी लागू हो जाए तो वहां भी रामराज्य की स्थापना हो सकती है. सद्भाव कायम रखना हर मज़हब, धर्म, सम्प्रदाय की सर्वोच्च जिम्मेदारी है न कि किसी एक कि.
कटघोरा वासियों के लिए अपने संदेश के उन्होंने सभी को आनंदमय व तनावमुक्त रहकर जीवन जीने का उपदेश दिया. छत्तीसगढ़ उनकी कर्मभूमि रही है और उन्हें इस धरती से अथाह प्रेम भी है. आने वाले कल की चिंता छोड़कर आज के आनंद को अपने मे शामिल करने का संदेश वह अपने सभी शिष्यों, अनुयायियों को देना चाहते है.