पंजाब चुनाव में सोशल मीडिया में आप का पलड़ा भारी , कांग्रेश और अकाली दल भी टक्कर में

(सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ): देश के पांच राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है. ओमीक्रोन के बढ़ते खतरे और कोरोना के खौफ के कारण निर्वाचन आयोग ने 31 जनवरी तक प्रचार रैलियों, रोड शो आदि पर प्रतिबंध लगा रखा है, मगर चुनावी गहमा-गहमी में कोई कमी नहीं है. रैली न सही, सोशल मीडिया के जरिये राजनीतिक दल अपने दावे और वादों को लेकर जनता तक पहुंच रहे हैं. सभी राजनीतिक दलों के वॉर रूम से संदेश और वीडियो अपलोड किए जा रहे हैं. फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर जहां प्रतिद्वंद्वी की खिंचाई हो रही है, वहीं राजनीतिक दल अपनी तारीफ का मौका नहीं चूक रहे हैं. नेताओं के छोटे-छोटे बयान के अलावा विरोधियों पर मीम्स से हमले किए जा रहे हैं. वजह भले ही कोरोना हो, मगर इस बार पांच राज्यों के चुनाव में डिजिटल प्रचार का तरीका काफी लोकप्रिय हो रहा है. ऐसे में देश में सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर्स वाला राज्य पंजाब देश में डिजिटल चुनाव अभियानों के मामले में इतिहास रचने जा रहा है.

बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में डिजिटल प्रचार की ताकत से राजनीतिक दलों का परिचय कराया था.पंजाब में चारों ओर चुनावी माहौल है, मगर शोर नहीं है क्योंकि सभी राजनीतिक दल डिजिटल माध्यम से चुनाव प्रचार में जुटे हैं. रैली, जनसभा और रोड शो के बैन होने के कारण नेता भी ऑनलाइन मीटिंग कर रहे हैं. कार्यकर्ता पार्टी के वॉर-रूम से निकले डिजिटल प्रचार सामग्री को वॉट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर वायरल करने में जुटे हैं. यानी अभी सभी राजनीतिक दल कुल मिलाकर डिजिटल माध्यम से चुनाव प्रचार का अनुभव ले रहे हैं. भले ही आज डिजिटल चुनाव प्रचार सुर्खियां बन रही हैं, मगर इसका आगाज 2014 में ही हो गया था. तब भारतीय जनता पार्टी ने डिजिटल ताकत का हुनर दिखाया और अपने विरोधियों को मात दी. उसके बाद से चुनाव प्रचार को तौर-तरीकों में बड़ा मोड़ आया और सभी राजनीतिक दलों ने खुद को डिजिटल माध्यम में खुद को सशक्त करना शुरू कर दिया. अब पंजाब में ही बीजेपी सोशल मीडिया पर कमजोर दिख रही है, जबकि उसके प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल अपने फॉलोअर्स के बूते प्रचार में बाजी मार रहे हैं.पंजाब देश का एक ऐसा राज्य है जहां 84 फीसदी लोग इंटरनेट यूजर हैं, जो देश में सबसे ज्यादा है. वर्ष 2020-21 के लिए नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर 100 में से केवल 55 लोगों के पास इंटरनेट कनेक्शन है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पंजाब में हर 100 में से 84.32 लोग इंटरनेट के सब्सक्राइबर हैं. पंजाब में सार्वजनिक डिजिटल प्रचार कुछ साल पहले तब शुरू हुआ जब दूर-दराज के इलाकों में यूट्यूब और फेसबुक लाइव के जरिये राजनीतिक रैलियां की गईं. इसके अलावा डिजिटल स्क्रीन लगाकर रैलियों का लाइव टेलिकास्ट किया गया. करीब एक साल तक चले किसान आंदोलन ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कम पढ़े-लिखे लोगों को भी इंटरनेट यूजर बना दिया है. हालांकि देश के अन्य राज्यों की तरह पंजाब के शहरी क्षेत्रों में इंटरनेट यूजर्स ग्रामीण इलाकों के मुकाबले अधिक हैं. सच यह भी है कि इंटरनेट और ऑनलाइन डिजिटल माध्यमों की पहुंच पंजाब के गांव-गलियों तक हो गई है.

भगवंत मान को सीएम कैंडिडेट घोषित करने से पहले आम आदमी पार्टी ने जो वोटिंग कैंपेन चलाया, उससे उसने अपने प्रतिद्वंद्वियों से बाजी मार ली.आम आदमी पार्टी ने डिजिटल माध्यम का बखूबी इस्तेमाल किया. पार्टी ने पॉलिटिकल कैंपेन के तहत सीएम कैंडिडेट चुनने के लिए ऑनलाइन वोटिंग कराई. हालांकि उससे पहले ही भगवंत मान मुख्यमंत्री कैंडिडेट घोषित हो चुके थे. मगर अरविंद केजरीवाल ने इस मौके का इस्तेमाल पार्टी के डिजिटल कैंपेन को मजबूत बनाने के लिए किया. उन्होंने वोटिंग के जरिये सीएम का चेहरा चुनने के लिए जो अभियान चलाया, उससे उसे प्रचार में खूब फायदा मिला. आप के सीएम चेहरे भगवंत मान ने कहा कि यह एक तरह का प्रचार है जो पार्टी को काफी सूट करता है. 20 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए पार्टी जल्द ही ऑनलाइन प्रचार के लिए तैयार हो जाएगी. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान के ट्विटर पर 5.61 लाख, फेसबुक पर 5.57 लाख और इंस्टाग्राम पर 23 लाख फॉलोअर्स हैं. वहीं, आप के ट्विटर पर 1.52 लाख, फेसबुक पर 17.63 लाख और इंस्टाग्राम पर 1.51 लाख फॉलोअर्स हैं. हालांकि बाद में इसको लेकर विवाद भी हुआ. पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की थी. सिद्धू ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी ने ऐसा करके आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है. फिलहाल सभी दलों के नेता अभी डिजिटल बैठक कर रहे हैं. इसका फायदा यह है कि उनके समय और पैसे की बचत हो रही है. पंजाब चुनाव में लगभग हर पार्टी ने डिजिटल प्रचार के लिए वॉर रूम बनाए हैं. पार्टी का संदेश देने के लिए वॉट्सएप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब के साथ-साथ बड़े-बड़े एलईडी से सजी गाड़ियों को गांवों में भेजा जा रहा है.punjab assembly election 2022सुखबीर सिंह बादल के सबसे ज्यादा फॉलोअर्स वाले अकाली दल के नेता हैं.
शिरोमणि अकाली दल : अकाली दल ने चुनाव में डिजिटल प्रचार के लिए अपने वॉर रूम में 30 लोगों को तैनात किया है. पार्टी 23,000 वाट्सएप ग्रुपों में जुड़ी हुई है, जिसमें अकाली दल की प्रचार सामग्री एक क्लिक से लोगों तक पहुंच जाती है. वॉर रूम में बैठे सोशल मीडिया एक्सपर्ट न केवल प्रचार सामग्री देते हैं बल्कि पार्टी के खिलाफ किसी भी अपमानजनक पोस्ट पर भी नजर रखते हैं और इसे ब्लॉक की कोशिश करते हैं. ट्विटर पर अकाली दल के 83,447, फेसबुक पर 5.90 लाख और इंस्टाग्राम पर 1.55 लाख फॉलोअर्स हैं. शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के ट्विटर पर 4.14 लाख, फेसबुक पर 23.75 लाख और इंस्टाग्राम पर 1.08 लाख फॉलोअर्स हैं.

punjab assembly election 2022सोशल मीडिया पर फॉलोअर के मामले में नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी से आगे हैं.
कांग्रेस: पंजाब कांग्रेस ने अपना वॉर रूम मोहाली में बनाया है, जहां 32 एक्सपर्ट की टीम चौबीसों घंटे काम कर रही है. कांग्रेस ने पंजाब विधानसभा चुनाव की घोषणा से चार महीने पहले ही अपना वॉर रूम बना लिया था. कांग्रेस की टीमें पार्टी के प्रचार के लिए फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर अभियान चलाती हैं, लेकिन उन संदेशों को रोकने की भी कोशिश करती हैं जो पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं. फिलहाल यह टीम केंद्र सरकार की कमियों और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार की बखिया उधेड़ने पर फोकस कर ही है. कांग्रेस अब तक पंजाब में करीब 60 डिजिटल रैलियां कर चुकी है. ट्विटर पर कांग्रेस के दो लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. इसके अलावा फेसबुक पर 6.22 लाख और इंस्टाग्राम पर 41,000 फॉलोअर्स हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिद्धू के ट्विटर पर 10 लाख, फेसबुक पर 16 लाख और इंस्टाग्राम पर 1.63 लाख फॉलोअर्स हैं जबकि सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के ट्विटर पर 1.89 लाख, फेसबुक पर 4.44 लाख और इंस्टाग्राम पर 1.07 लाख फॉलोअर्स हैं. कांग्रेस सोशल मीडिया के प्रमुख गौरव पांधी ने बताया कि पार्टी चुनाव आयोग के प्रतिबंधों को एक अवसर मान रही है. उनका कहना है यह चुनाव प्रचार को डिजिटलाइज़ करने का एक अवसर है. हम इसे एक चुनौती के रूप में ले रहे हैं. कांग्रेस ने कोविड की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर अक्टूबर में वॉर रूम बना लिया था


बीजेपी ने पंजाब विधानसभा चुनाव में अपने डिजिटल कैंपेन के लिए चंडीगढ़ में 50 लोगों की टीम लगाई है. इस वॉर रूम को जालंधर शिफ्ट कर दिया गया है. बीजेपी का दावा है कि वह पंजाब चुनाव के लिए दस हजार से ज्यादा वॉट्सएप ग्रुपों में जुड़ी है. बीजेपी ने बूथ स्तर पर डिजिटल अभियानों के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग भी दी है. भाजपा नेता विनीत जोशी ने कहा कि पार्टी ने कोरोना के दौरान पार्टी ने अपनी सारी मीटिंग डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से की. कई राज्यों में तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बूथ स्तर की बैठकें भी हुईं. बूथ स्तर के पार्टी कार्यकर्ता आम लोगों तक पहुंचने के लिए वॉट्सएप का इस्तेमाल कर रहे हैं. बीजेपी सोशल मीडिया के टीम हेड रजत शर्मा के मुताबिक ऑनलाइन कैंपेन के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं से बात कर आगे की रणनीति तैयार की गई है. कई बार तुरंत फैसले लेने पड़ते हैं. मसलन, फिरोजपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक की घटना के बाद बीजेपी की टीम सक्रिय हो गई थी. पंजाब बीजेपी के ट्विटर पर 68,193, फेसबुक पर 3.89 लाख और इंस्टाग्राम पर 1135 फॉलोअर्स हैं.

पंजाब में बीजेपी के सोशल मीडिया फॉलोअर्स अन्य दलों की तुलना में कम हैं.किसान नेता भी कर रहे डिजिटल प्रचार: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन ने भी पंजाब के गांवों को डिजिटल बना दिया है. अब गांव के लोग भी डिजिटल सिस्टम का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव 2022 के चुनाव मैदान में कई किसान नेता भी जोर आजमाइश कर रहे हैं. वे डिजिटल माध्यम वॉट्सएप, फेसबुक और यूट्यूब से किसान उम्मीदवारों का प्रचार कर रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा के नेता और प्रत्याशी बलबीर सिंह राजेवेल ने बताया कि कठिन समय ने किसानों को सबक सिखाया है. उन्होंने बताया कि उनका प्रचार पूरी तरह से डिजिटल नहीं है, लेकिन सोशल मीडिया के जरिए किसानों को फायदे और नुकसान बताए जा रहे हैं.

डिजिटल कैंपेन के कारण पार्टियों और उम्मीदवारों की बचत भी खूब हो रही है. गाड़ियों की आवाजाही कम होने से पर्यावरण को बी प्रदूषण से राहत मिल रही है. रैलियां न होने से शोर और ध्वनि प्रदूषण भी काफी कम हो रहा है. चुनाव आयोग ने इस बार भी उम्मीदवारों के चुनावी खर्चों में डिजिटल अभियान को भी जोड़ा है. उम्मीदवारों की खर्च की सीमा भी 28 लाख रुपये से बढ़ाकर 40 लाख रुपये कर दी गई है. हालांकि रैली और जनसभा से रोक से छोटे दलों या निर्दलीय उम्मीदवारों को मुश्किल हो रही है. डिजिटल कैंपेन करने के लिए खर्च और टेक्नोसेवी कार्यकर्ता नहीं होने से वह इसमें पीछे छूट रहे हैं. 2017 के चुनावों में, 34 राजनीतिक दल और 1145 उम्मीदवार मैदान में थे. पंजाब में इस बार करीब आधा दर्जन नए राजनीतिक दल मैदान में हैं, जो डिजिटल तकनीक से भली-भांति परिचित भी नहीं हैं.पढ़ें : पंजाब की सत्ता के पांच दावेदार, मगर जीतेगा वही, जो जीतेगा मालवा