(सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) : – विद्युत वितरण कंपनी और वन विभाग की लापरवाही से हाथियों की हो रही मौत का मामला फिर हाईकोर्ट पहुंच चुका है. चीफ जस्टिस की डबल बेंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए विद्युत वितरण कंपनी और वन विभाग को नोटिस जारी किया है. 6 हफ्ते में जवाब तलब किया गया है.
छत्तीसगढ़ में हाथियों की बिजली करंट से लगातार हो रही मौत के चलते जनवरी 2018 में याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने एक जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में विद्युत वितरण कंपनी ने जवाब देकर कहा था कि उचित कार्रवाई किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा था कि याचिका का निराकरण करने का यह मतलब नहीं निकाला जाए कि अधिकारी गहन निद्रा में चले जाएं.
याचिका का निराकरण होने के बाद विद्युत वितरण कंपनी ने वन क्षेत्रों से गुजरने वाली नीचे झुकी हुई 4591 किलोमीटर लाइनों की ऊंचाई बढ़ाने और 3976 किलोमीटर लाइन को कवर्ड कंडक्टर लगाने के लिए वन विभाग से 1674 करोड़ रुपए की मांग की. इस पर वन विभाग ने भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से 1674 करोड़ रुपए देने के लिए कहा.
स्ट्रिक्ट लायबिलिटी सिद्धांत के तहत है विभाग की बड़ी जिम्मेवारी
पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने पत्र लिख कर वन विभाग को कहा कि बिजली लाइनों का सुधार कार्य करने का कार्य ‘स्ट्रिक्ट लायबिलिटी’ सिद्धांत के तहत विद्युत वितरण कंपनी का है. वितरण कंपनी और राज्य सरकार को अपने बजट से सुधार कार्य कराना चाहिए. 2019 के बाद से दायर की गई नई याचिका तक वन विभाग विद्युत वितरण कंपनी को सुधार कार्य करने को कह रहा है और वितरण कंपनी वन विभाग से 1674 करोड़ का भुगतान करने को कह रही है.
याचिका में मांग की गई है कि यह निर्धारित करवाया जाय कि 1674 करोड़ रुपए की जवाबदारी किसकी है और लाइनों में सुधार कार्य करवाया जाय. पिछली याचिका के निराकरण के बाद 15 हाथियों की मौत करंट से हो चुकी है और छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद अबतक 174 हाथियों की मौत हो चुकी है.