कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़):-जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में खाली जगह पर विकसित किए गए पोषण वाटिका से पौष्टिक भोजन प्राप्त हो रहा है। आंगनबाड़ी केन्द्रों के पोषण वाटिका में पौष्टिक आहार प्रदान करने वाले फल और सब्जियां लगाई जा रहीं है। पोषण वाटिका में पौष्टिकता से युक्त फल और सब्जियां लगाए जाने से आंगनबाड़ी केन्द्र में आने वाले महिलाओं और बच्चों को स्वास्थ्यवर्धक पौष्टिक भोजन मिल रहा है। महिलाओं और बच्चों को पौष्टिक भोजन मिलने से उनमें कुपोषण की दर घट रही है और महिलाएं और बच्चे सुपोषित हो रहे हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों के पोषण वाटिका में स्वास्थ्यवर्धक भोजन से युक्त स्थानीय स्तर पर उपलब्ध चौलाई भाजी, लाल भाजी, मेथी, धनिया आदि सब्जी लगाए जा रहे हैं। इसके साथ ही मुनगा, अमरूद और पपीता भी लगाए जा रहे हैं। पोषण वाटिका में उत्पादित पौष्टिक फल और सब्जियों को गर्म भोजन में मिलाकर देने से बच्चे और महिलाएं पौष्टिक भोजन का सेवन कर रहे हैं। हरदीबाजार परियोजना के सेक्टर चोढ़ा के अंतर्गत आने वाले आंगनबाड़ी केन्द्र कसियाडीह का पोषण वाटिका आंगनबाड़ी केन्द्र को पोषित करने में योगदान दे रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती हरहर उईके और सहायिका चैती बाई ने केन्द्र में बेहतर तरीके से काम करके पौष्टिक सब्जी उगाने और पौष्टिक आहार को बच्चों के खाने में शामिल करने के लिए किचन गार्डन को विकसित किया। आंगनबाड़ी केन्द्र में विकसित पोषण वाटिका में लगाए गए फल और सब्जियों में हरियाली आई तथा धीरे-धीरे सब्जियां तेजी से बढ़ी। किचन गार्डन में जो सब्जियां खाने योग्य होते गए उन्हें बच्चों के गर्म भोजन में मिलाकर देने से बच्चों को पौष्टिक आहार प्राप्त हुआ।
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग कोरबा ने बताया कि एक समय था जब कसियाडीह केन्द्र में कोई सब्जी बाग का अस्तित्व नहीं था। केन्द्र के अंदर गार्डन के रहते हुए भी कोई सब्जी उपलब्ध नहीं रहता था। केन्द्र में सब्जी उगाने कई बार प्रयास किया गया किंतु जानवरों और केन्द्र संचालन के समय उपरांत बाहरी लोगों द्वारा गार्डन में लगाए जाने वाले पौधों को नष्ट कर दिया जाता था। उन्होंने बताया कि पोषण वाटिका लगाने के अभियान के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्र में पोषण वाटिका विकसित करने की दिशा में काम किया गया। केन्द्र के आसपास रहने वाले लोगों के साथ बैठक करके लोगों को पौष्टिक सब्जियां और पौधों के महत्व के बारे में बताया गया। केन्द्र में उगाए जाने वाले सब्जियों की देखभाल करने उन्हें जागरूक किया गया। इसके पश्चात आंगनबाड़ी केन्द्र कसियाडीह में पोषण वाटिका बनाया गया और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पौष्टिक फल और सब्जियों को वाटिका में लगाया गया। आसपास के लोग भी जागरूक होकर आंगनबाड़ी केन्द्र संचालन समय के बाद पोषण वाटिका का देखभाल करने में सहयोग किए। वाटिका के फल और सब्जियों को निरंतर पानी देने के लिए खाने-पीने एवं हाथ धोने के उपयोग उपरांत बचे हुए पानी को सब्जियों के सिंचाई में दिया गया। बर्तन धोने वाले पानी, सब्जी धोने वाले पानी एवं बच्चों द्वारा हाथ धोने वाले पानी का उपयोग बाहर फेंकने के बजाए सब्जी के बगीचे में किया जाने लगा। इस प्रकार से पोषण वाटिका में पानी की कमी महसूस नहीं हुई जिससे सब्जियों को बढ़ने में सहायक हुई। पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा पोषण वाटिका के लिए गोबर खाद भी उपलब्ध कराया गया। परिणाम स्वरूप केन्द्र में लगी सब्जियों में हरियाली आने लगी और धीरे-धीरे सब्जियां तेजी से बढ़ने लगी। आंगनबाड़ी केन्द्र के पोषण वाटिका में सब्जियों के उत्पादन के साथ फलदार पौधे पपीता भी फलने लगे हैं जिससे बच्चे पपीते का फल भी खा सकेंगे। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका ने गांव के परिवारों में किचन गार्डन लगाने के लिए प्रेरित किया है। प्रेरित होकर कई परिवारों ने सब्जियों का बाग विकसित किया है जिससे रोज के खाने में पौष्टिक सब्जियां उपयोग में आने लगी है। आंगनबाड़ी केन्द्र में पौष्टिक सब्जियों के मिलने से केन्द्र में आने वाले दो बच्चे पोषण स्तर के अंतर्गत मध्यम श्रेणी से सामान्य श्रेणी में आ गए हैं।