कोरबा : समृद्ध वन संपदा बचाने ‘”हसदेव बचाओ पदयात्रा” आज तीसरे दिन पहुंची कटघोरा..300 किमी की पदयात्रा 13 को पहुँचेगी राजधानी.. हसदेव अरण्य क्षेत्र की समस्त कोयला खनन परियोजना निरस्त करने उठी मांग.

कोरबा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ): हसदेव अरण्य क्षेत्र की 5 कोल खनन परियोजनाओ में पांचवी अनुसूचित क्षेत्र की ग्रामसभाओं के विरोध के बाबजूद किए गए जबरन, गैरकानूनी भूमि अधिग्रहण एवं वनाधिकार मान्यता कानून का उल्लंघन कर परसा कोल ब्लॉक हेतु हासिल की गई फर्जी वन स्वीकृति को निरस्त करने । हसदेव नदी उसके जलागम क्षेत्र की समृद्ध वन संपदा को बचाने शुरू हुई हसदेव बचाओ पदयात्रा आज तीसरे दिन कोरबा जिले के कटघोरा पहुँची। यह पदयात्रा दस दिनों तक 300 किलोमीटर पैदल चलते हुए 13 अक्टूबर को रायपुर पहुंचेगी।

हसदेव बचाओ पदयात्रा को कोरबा की सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने भी अपना समर्थन प्रदान किया है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष आलोक शुक्ला ने बताया कि यह बहुत दुखद है कि आदिवासी हितों का खुद को रक्षक बताने वाली पार्टी, संवैधानिक अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों पर विश्वास करने वाली राजनीतिक दल के सत्ता में होने के बावजूद भी हमें अपने अधिकारों की रक्षा के लिए यह पदयात्रा निकालनी पड़ रही है| अडानी को जिस प्रकार मोदी सरकार देश के तमाम संसाधनों को सौंपने की कोशिश कर रही है उस प्रक्रिया में छत्तीसगढ़ सरकार भी अपनी पूर्ण सहभागिता निभा रही है| उन्होंने कहा कि हमारी मांग है, हसदेव अरण्य क्षेत्र की समस्त कोयला खनन परियोजना निरस्त करो।

बिना ग्रामसभा सहमती के हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल बेयरिंग एक्ट 1957 के तहत किए गए सभी भूमि अधिग्रहण को तत्काल निरस्त करो l पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी कानून से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के पूर्व ग्रामसभा से अनिवार्य सहमती के प्रावधान को लागू करो l परसा कोल ब्लाक के लिए फर्जी प्रस्ताव बनाकर हासिल की गई वन स्वीकृति को तत्काल निरस्त करो एवं ग्रामसभा का फर्जी प्रस्ताव बनाने वाले अधिकारी और कम्पनी पर FIR दर्ज करो l घाट्बर्रा के निरस्त सामुदायिक वनाधिकार को बहाल करते हुए सभी गाँव में सामुदायिक वन संसाधन और व्यक्तिगत वन अधिकारों को मान्यता दो l पेसा कानून 1996 का पालन किया जाए।