रायपुर सेंट्रल छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में काफी बड़ा बदलाव (big change) किया गया है. राज्य सरकार की ओर से अब ऐसी व्यवस्था की गई है कि जो छात्र आईटीआई (I t i) करना चाहते हैं, वह अपने 11वीं और 12वीं की पढ़ाई यानी हायर सेकेंडरी (Higher Secondary) की पढ़ाई के साथ-साथ आईटीआई भी कर सकते हैं.
छत्तीसगढ़ में सेकेंडरी के साथ-साथ अब आईटीआई की पढ़ाई भी
इस पाठ्यक्रम की शुरुआत राज्य सरकार ने कर दी है. राज्य सरकार की योजना के तहत दुर्गे के पाटन स्थित स्वामी आत्मानंद स्कूल में हाई सेकेंडरी की पढ़ाई के साथ-साथ आईटीआई करने की व्यवस्था भी की गई है.
योजना के तहत 12वीं पास करने के बाद जहां एक ओर स्कूल शिक्षा विभाग (school education department) के द्वारा बच्चों को 12वीं का प्रमाण पत्र (certificate) दिया जाएगा वहीं दूसरी ओर उच्च शिक्षा (Higher education) के लिए प्रवेश ले सकेंगे. साथ ही साथ उनके हाथ में आईटीआई (I t i) का प्रमाण पत्र भी होगा. इससे वह रोजगार प्राप्त कर सकेंगे.
अलग-अलग तबके से ईटीवी भारत की बातचीत
सरकार की इस योजना से बच्चे लाभान्वित होंगे या फिर उन पर कोई विपरित प्रभाव पड़ेगा, इन तमाम सवालों के जवाब के लिए ईटीवी भारत ने विभिन्न वर्गों से बातचीत की और उनसे जाना कि आखिर शिक्षा के क्षेत्र में आए इस बदलाव को वह किस रूप में देख रहे हैं.
डर है कि कहीं बढ़ न जाए मानसिक बोझ
सबसे पहले हमने अभिभावक हेमलता नामदेव से बात की. पूछा कि जिस तरह से राज्य सरकार के द्वारा 11वीं, 12वीं में आईटीआई पाठ्यक्रम (ITI Courses) लाया जा रहा है, इससे बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? तो अभिभावक का कहना था कि सरकार की पहल तो अच्छी है लेकिन जिस तरह से वर्तमान में छात्रों पर पढ़ाई का बोझ है, उसे यदि कम किया जाता है तो यह ज्यादा बेहतर होगा. एक ओर पढ़ाई और दूसरी ओर तकनीकी ज्ञान (technical knowledge) के बोझ से कहीं ना कहीं बच्चों पर अतिरिक्त मानसिक दबाव बनेगा. इसका असर हो सकता है कि आने वाले समय में उनकी शिक्षा पर देखने को मिले.
अब मिलेगा प्रैक्टिकली का ज्ञान
इस संबंध में हमने स्कूली छात्र से बात की तो उसका कहना था कि पढ़ाई के साथ-साथ यदि आईटीआई किया जाता है तो उनका इंटरेस्ट और बढ़ेगा. पहले बेसिक किताबों से पढ़ते थे लेकिन यदि वही चीजें प्रैक्टिकल (Practical) में होगा तो उससे उन्हें पढ़ाई में मदद मिलेगी.
किताबों तक ही सीमित थी प्रतिभा
शासकीय स्कूल (government school) के प्राचार्य (principal) एम.आर सावंत का कहना है कि यह एक अच्छी पहल है. अब तक सिर्फ बच्चों को किताबी ज्ञान दिया जाता था और शिक्षित बेरोजगार पैदा किए जा रहे थे. लेकिन सरकार के द्वारा लाई गई इस योजना से कहीं ना कहीं बच्चे हुनरमंद होंगे और जब वह 12वीं पास होकर निकलेंगे तो उन्हें बेरोजगारी का सामना नहीं करना पड़ेगा. सावंत ने कहा कि आज 11वीं, 12वीं पढ़ाई करने वाले तकनीकी पढ़ाई तो करते हैं लेकिन घर का अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक सामान (electronic goods) खराब हो जाता है तो उन्हें आठवीं पास व्यक्ति को बुलाना पड़ता है. ऐसे में यदि बच्चों को पढ़ाई के साथ तकनीकी ज्ञान दिया जाता है तो वह उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए एक कारगर कदम साबित होगा.
पुराने पाठ्यक्रमों की जगह हो नवाचार
वरिष्ठ पत्रकार राम अवतार तिवारी ने भी सरकार की इस पहल की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि सरकार की इस योजना से छात्र जरूर लाभान्वित होंगे. कहा कि योजना की शुरुआत हुई है तो हो सकता है कि उसमें थोड़ी बहुत खामी हो, लेकिन इन खामियों को दूर कर के इस योजना को सफल बनाया जा सकता है. तिवारी ने कहा कि आज भी कई पाठ्यक्रमों में काफी पुरानी चीजों को पढ़ाया जाता है, उनका खासा महत्व नहीं है. उन चीजों को पाठ्यक्रमों से अलग कर नए पाठ्यक्रम को शामिल किया जाना बच्चों की भविष्य के लिए लाभकारी होगा.
रोजगार में मिलेगी मदद
अब सेकेंडरी की पढ़ाई के साथ बच्चे आईटीआई की पढ़ाई भी बच्चे कर सकेंगे. इसकी व्यवस्था सरकार के द्वारा की गई है. इस नई शिक्षा नीति से छात्रों को हुनरमंद बनाने की पहल की गई है. अब देखने वाली बात है कि राज्य सरकार की यह पहल आने वाले समय में कितनी कारगर साबित होती है? कितने युवा छत्तीसगढ़ में हुनरमंद बनते हैं? यदि यह योजना सफल रही तो संभावित तौर पर प्रदेश में बेरोजगारी की दर में थोड़ी कम जरूर आएगी.