रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): छत्तीसगढ़के 141 उद्योगपति, बिल्डर और व्यापारियों का पिछले कई दशक से लगभग 407 करोड़ रुपए बिजली बिल बकाया है. जिसे वसूलने में अब तक बिजली विभाग नाकाम रहा है. विभाग अब तक इन सभी से अब तक ना तो राशि वसूल पाया है और ना ही उनके बिजली कनेक्शन काट पाया है.
407 करोड़ रुपए का करंट!
आलम यह है कि भूपेश सरकार भी इस बिजली बिल की वसूली को लेकर उदासीन नजर आ रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) से जब 141 उद्योगपति, व्यापारी और बिल्डरों (industrialists, traders and builders) के 407 करोड़ रुपए के बिजली बिल बकाया को लेकर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि उसकी एक प्रक्रिया है, जिसके तहत राशि वसूली की जाएगी.
उद्योगपति, बिल्डर और व्यापारियों पर सरकार है मेहरबान
सीएम भूपेश बघेल के इस बयान से साफ झलक रहा था कि मुख्यमंत्री इन बड़े-बड़े उद्योगपतियों, बिल्डरों और व्यापारियों से 407 करोड़ के बिजली बिल बकाया की वसूली को लेकर ‘उदासीन’ हैं. बघेल के इस बयान से अब यह लगने लगा है कि इस राशि को न तो पूर्व की भाजपा सरकार (BJP government) इन लोगों से वसूल सकी है और ना ही वर्तमान कांग्रेस सरकार इसकी वसूली को लेकर सक्रिय है.
ऐसे में यह कहा जा सकता है कि जो सरकार हजार 1000-2000 का बिजली बिल बकाया होने पर घरेलू उपभोक्ताओं का कनेक्शन काट देती है, वहीं सरकार उद्योगपति, बिल्डर और व्यापारियों (Industrialists, builders and traders) का करोड़ों रुपए का बिजली बिल बकाया (electricity bill arrears) वसूलने में हीला-हवाली कर रही है.
विधानसभा में हुआ मामले का खुलासा
इस बात का खुलासा विधानसभा से मिली जानकारी में हुआ है. विधानसभा सत्र (assembly session) के दौरान विधायक (MLA) डमरूधर पुजारी ने सवाल लगाया था जिसमें उन्होंने बकाया बिल से संबंधित जानकारी मांगी थी और डमरूधर के सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा यह जानकारी लिखित रूप में दी गई है.
141 उपभोक्ताओं के यहां 407 करोड़ रुपए बिजली बिल लंबित
जानकारी के मुताबिक साल 1975 से अब तक 141 उपभोक्ताओं जिसमें कई बड़े उद्योगपति बिल्डर और होटल शामिल हैं ने 407 करोड़ 42 लाख 46 हजार रुपए के बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है. छत्तीसगढ़ के 141 बड़े उद्योगपतियों और कंपनियों के मालिकों ने साल 1975, 1986, 1990, 1991, 1992 से लेकर 2021 तक में बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है.
सरकार के अगले कदम का इंतजार
अब देखने वाली बात है कि कोरोना कॉल में तंगी से गुजर रही राज्य सरकार इस भारी-भरकम रकम की वसूली के लिए क्या कदम उठाती है? या फिर आने वाले समय में जिस तरह से राज्य सरकार ने किसानों, महिला समूह सहित अन्य वर्गों का कर्जा माफ किया है, उसी तर्ज पर इन 143 उद्योगपति, बिल्डर और व्यापारियों का बिजली बिल भी माफ ना कर दे. यदि ऐसा होता है तो यह कहीं ना कहीं प्रदेश के उन छोटे और मध्यम वर्ग के बिजली उपभोक्ताओं के साथ यह एक बड़ा कुठाराघात होगा. जो हर महीने समय पर अपना बिजली बिल भरते हैं यहां तक कि कई बार बिजली बिल ज्यादा आने के बाद भी उनकी सुनवाई नहीं होती है.