कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़): प्रदेश के अनूसूचित, जनजातीय क्षेत्रो में मूल निवासियों के अधिकार, सम्मान, न्याय और उनकी सामाजिक अस्मिता के लिए अहिंसक लड़ाई लड़ने वाली एकता परिषद ने भी कटघोरा को जिला बनाये जाने की मांग को पुरजोर तरीके से अपना समर्थन दिया है. उन्होंने इसे ना सिर्फ कटघोरा अनुविभाग के लिए बल्कि क्षेत्र के हर एक आदिवासी जन जो वनांचलों में रहकर अपना जीवन-यापन करता है उसके लिए जरूरी बताया है. परिषद ने साफ किया है कि अधिवक्ता संघ, पत्रकार साथी व दूसरे जिन गैर-सरकारी, सामाजिक व स्वयंसेवी संगठनों ने जिले के लिए आंदोलन की शुरुआत की है एकता परिषद मजबूती से उनके साथ खड़ा है. एकता परिषद ने यह भी कहा कि क्षेत्र को जिले का दर्जा कोई मांग नही बल्कि यहां निवासरत हर वर्ग, हर समुदाय का अधिकार है और इस अधिकार को देने में राज्य की सरकार क्यो टालमटोल कर रही है यह समझ से परे है?
कटघोरा जिला बनाओ महाभियान के बैनर तले आज क्रमिक धरना प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे एकता परिषद के प्रदेश संयोजक मुरली महंत ने मीडिया से चर्चा की और परिषद की तरफ से जिले के मुद्दे पर रुख स्पष्ट किया. उन्होंने साफतौर पर कहा कि एकता परिषद सदैव ही छोटे जिलो की हिमायती रही है. यह हर वर्ग के विकास के लिए नितांत जरूरी है. सरकार ने इस ओर कदम भी बढ़ाये है. 16 से 27 और आज प्रदेश में 32 जिलो का निर्माण पूरा हो चुका हूं लेकिन वो हैरान है कि कटघोरा जैसे प्रदेश के सबसे पुराने तहसील को जिले का दर्जा देने में सरकार क्यो टालमटोल कर रही है.
सरकार के इस उपेक्षा का ठीकरा उन्होंने नेताओ के सिर फोड़ते हुए कहा कि सभी राजनीतिज्ञों ने अपने मुंह पर ताला लगा लिया है. मुरली महंत ने कहा कि क्षेत्रीय नेता और जनप्रतिनिधि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस मांग को मजबूती के साथ सरकार के सामने रखे. उन्होंने सरकार से पूछा कि एक ओर 25 फीसदी यात्री किराया बढ़ा दिया है. ऐसे में वनांचल क्षेत्र में निवासरत ग्रामीण आदिवासी आखिर डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी तय कर किस तरह कोरबा जिला मुख्यालय जाएगा? इतनी दूरी के लिए वह कहा से किराये के रकम की व्यवस्था करेगा. इसलिए जरूरी है कि कटघोरा तहसील को तत्काल जिले का दर्जा देकर इस दूरी को खत्म किया जाए. मुरली महंत ने बताया है कि जल्द ही पसान क्षेत्र में जिले के मुद्दे पर एक विशाल पदयात्रा व रैली का आयोजन किया जाएगा.