मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल व विस्तार आज, सभी वरिष्ठ नेता पहुंचे दिल्ली

नई दिल्ली (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़) : प्रधानमंत्री के रूप में मई 2019 में 57 मंत्रियों के साथ अपना दूसरा कार्यकाल आरंभ करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को पहली बार केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल व विस्तार कर सकते हैं. सूत्रों की माने तो 48 घंटे के अंदर ही ये तमाम नए चेहरे मोदी कैबिनेट में शामिल हो जाएंगे और इन तमाम नेताओं को आलाकमान का फोन जा चुका है. इसी क्रम में मंगलवार को गठबंधन के नेताओं का भी दिल्ली पहुंचना जारी रहा. बुधवार शाम को नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है.

2024 के लोकसभा व 2022 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखा जाएगा

बताया जाता है कि मोदी मंत्रिमंडल में जिन नए चेहरों को शामिल किया जाना है उनके नाम लगभग तय हो चुके हैं. इसको लेकर इस बार पार्टी ने कई दौर की बैठक करने के साथ ही 2024 में होने वाले लोकसभा और 2022 के महत्वपूर्ण राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को भी ध्यान में रखा है.

हालांकि मंत्री बनाने को लेकर मंत्री परिषद के साथ प्रधानमंत्री की बैठक के बाद वरिष्ठ मंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की बैठक हुई. गृह मंत्री, भाजपा के संगठन मंत्री, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री की बैठक के बाद इस पर आखिरी मुहर लगाई गई है. जिन नेताओं को मंत्री बनाया जाना है उनके ना सिर्फ परफॉर्मेंस रिकॉर्ड चेक किए गए हैं बल्कि जब तक इंटेलिजेंस ब्यूरो ने इन नेताओं के ऊपर चल रहे तमाम मामलों और इनके बायोडाटा से संबंधित तमाम जानकारी इकट्ठा कर ग्रीन सिग्नल नहीं दिया, तब तक इन पर अंतिम मुहर नहीं लगाई गई.

मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए नेता पहुंचने लगे दिल्ली

सूत्रों की मानें तो आईबी ने लगभग 25 नेताओं के नाम कि क्लीयरेंस सूची सरकार को दी है. यह सूची इन तमाम नेताओं के बैकग्राउंडर को खंगालने के बाद दी गई है जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, सर्बानंद सोनोवाल, अनुप्रिया पटेल, सुशील मोदी, शांतनु ठाकुर, प्रमाणिक, नारायण राणे, अश्विनी वैष्णव, राहुल कासवान, आरसीपी सिंह, लल्लन सिंह, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, महाराष्ट्र के नन्दुरबार से सांसद हिना गावित, भाजपा महासचिव व राज्यसभा सदस्य भूपेंद्र यादव, ओडिशा से राज्यसभा के सदस्य अश्विनी वैष्णव आदि के नाम शामिल हैं. इनमें से कई नेता मंगलवार को दिल्ली भी पहुंच गए. सूत्रों की मानें तो इनमें से ज्यादातर नेताओं को गृह मंत्री अमित शाह का दिल्ली पहुंचने के लिए फोन जा चुका है.

सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्री अमित शाह के फोन जाने के बाद एलजेपी नेता पशुपति पारस दिल्ली पहुंच गए हैं. यही नहीं पशुपति पारस का कपड़ों की खरीदारी करते हुए वीडियो भी वायरल हो चुका है जिसमें वह कुर्तों की खरीदारी कर रहे हैं. हालांकि एलजेपी के नेता चिराग पासवान ने यह दावा किया है कि यदि एलजीपी कोटे से पशुपति पारस केंद्रीय मंत्रिमंडल में लिए जाते हैं तो वह मजबूरन कोर्ट का सहारा ले सकते हैं, खबरें यह भी है कि एलजेपी कोटे से एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री बनाए जा रहे हैं.सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व भी इस विस्तार में बढ़ सकता है.

सिंधिया व राणे ने अटकलों पर चुप्पी बरकरार रखी

कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार में मंत्री रह चुके सिंधिया ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा, ‘मेरा उज्जैन का दौरा समाप्त हो गया है और अब मैं दिल्ली जा रहा हूं. मैं अगले हफ्ते लौटूंगा.’ उन्होंने हालांकि केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल होने की अटकलों पर औपचारिक रूप से चुप्पी बरकरार रखी और कहा कि उन्हें इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं है. वहीं राणे ने दिल्ली हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘मैं सांसद हूं तो दिल्ली आना ही पड़ता है. संसद सत्र से पहले हम आते ही हैं.’ केंद्रीय मंत्रिपरिषद में विस्तार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘विशेष कुछ होगा तो जरूर बताएंगे. आप लोगों से कुछ छुपा सकते हैं क्या?’

बिहार के सीएम नीतीश की दो कैबिनेट व एक राज्यमंत्री की मांग नहीं मानी

हालांकि जेडीयू के नेता व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो कैबिनेट और एक राज्यमंत्री की मांग रखी थी जिसे भाजपा ने नहीं माना है. इसी तरह अगर देखा जाए तो सूत्रों के मुताबिक बिहार से सुशील मोदी,आरसीपी सिंह, ललन सिंह, संजय जयसवाल और रामनाथ ठाकुर के नाम पर चर्चा चल रही है. सूत्रों के मुताबिक सहयोगियों में जदयू के साथ-साथ अपना दल एस को भी प्रतिनिधित्व मिलने जा रहा है. साथ ही इस विस्तार में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार का प्रतिनिधित्व बढ़ सकता है.

वर्तमान में आरपीआई के कोटे से रामदास अठावले के अलावा नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में कोई भी गैर भाजपाई नेता शामिल नहीं है. मौजूदा मंत्रिमंडल में कुल 53 मंत्री हैं और संवैधानिक नियमानुसार अधिकतम मंत्रियों की संख्या 81 हो सकती है. सूत्रों की माने तो आईबी ने भी तमाम जांच पड़ताल के बाद 25 प्रतिनिधियों के नाम केंद्र को थमाए हैं जिनमें से कुछ नाम ड्राप भी किए जा सकते हैं.

मंत्रिमंडल में शामिल होने वालों में 5 की उम्र 50 साल से कम

इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि विस्तार में शामिल होने वाले चेहरों में लगभग 5 नाम ऐसे हैं जो 50 साल से नीचे की उम्र के हैं जिससे यह साफ है कि मोदी सरकार इस बार के विस्तार में युवा मंत्रियों को प्रमुखता दे रही है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी ऐसे नेताओं को तैयार करना चाहती है जो आने वाले 5 से 10 सालों तक पार्टी के लिए चेहरा बन सकें, इसके अलावा इस विस्तार में 10 प्रतिनिधि ऐसे हैं जो 60 साल के अधिक उम्र के हैं.

यही नहीं अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल मात्र 35 साल की हैं और यदि देखा जाए तो पूरे मंत्रिमंडल मे सबसे कम उम्र की प्रतिनिधि हो सकती हैं. इसके बाद 46 साल के उत्तराखंड से सांसद अजय टम्टा का भी नाम संभावित उम्मीदवारों में आगे चल रहा है.

भाजपा अनुभव और युवा दोनों को साथ लेकर चलती है : निगमराजनीतिक विश्लेषक देश रतन निगम

इस मुद्दे पर वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक देश रतन निगम का कहना है कि भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो अनुभव और युवा दोनों को साथ लेकर चलती है. उन्होंने कहा कि यदि आप देखें तो पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी किस तरह धीरे-धीरे अनेक पद पर रहते हुए आगे बढ़े, पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी कई पदों पर रहते हुए आगे बढ़े और आज के युवा ही कल के अनुभवी मंत्री होंगे और यह संतुलन राजनीति में बहुत जरूरी भी है.

उन्होंने कहा कि जो राजनीति में सीनियर होता है वही युवाओं को आगे अनुभव भी देता है, इसीलिए मंत्रिमंडल में एक तालमेल की अत्यंत आवश्यकता होती है और दूसरी बात यह कि राजनीति में जनता को एक स्वस्थ ईमानदार और श्रेष्ठ छवि का प्रतिनिधित्व देना भी सरकार का कर्तव्य है. इसके अलावा सरकार को सहयोगी पार्टियों का भी ध्यान रखना पड़ता है, यही वजह है कि अपना दल, जेडीयू के लोगों को भी अपने मंत्रिमंडल में शामिल करना पड़ेगा.

मंत्री बनने वाले को सिद्ध करना होगा काम

रतन निगम ने कहा कि यह राजनीतिक पार्टियों का फर्ज भी होता है कि मंत्रिमंडल में प्रतिनिधियों को शामिल करते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि आगे 2024 का चुनाव भी है 2022 में भी कई महत्वपूर्ण राज्यों के चुनाव हैं. राजनीतिक विश्लेषक से निगम का यह भी कहना है कि मुझे लगता है कि मोदी सरकार इस बात का ध्यान रखेगी कि इस विस्तार में भी अनुभव और युवा दोनों का तालमेल रखा जाए, लेकिन जो भी प्रतिनिधि शामिल होंगे उन्हें अपने आप को सिद्ध करना पड़ेगा और उन्हें काम करना पड़ेगा. इस सरकार में यह बात हमेशा से चर्चित रही है कि प्रत्येक मंत्रियों के कार्यों का सुपरविजन पीएमओ करता रहा है और इसीलिए उन्हें अपने आप को सिद्ध करना बहुत जरूरी भी होगा.

प्रधानमंत्री कार्यालय की मॉनिटरिंग है सख्त

उनका कहना है कि जो बातें निकल कर सरकार से ही आती हैं उनमें यह बातें भी चर्चित है कि यदि कोई फाइल आगे बढ़ी हुई है और एक हफ्ते से ज्यादा उसमें देर हो रही है तो वह फाइलें रेड फ्लैग मार्क पीएमओ की तरफ से हो जाती हैं. यहां कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय की मॉनिटरिंग सख्त है और इसके लिए नए प्रतिनिधियों को भी अपने आप को सिद्ध करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि इस मंत्रिमंडल में यह बात चर्चित है कि यदि आप परफॉर्म नहीं करेंगे तो आप गायब हो जाएंगे और ऐसा आगे विस्तार में भी देखने को मिल सकता है जिनमें कई मंत्रियों को हटाया भी जाना है. इस सवाल पर कि क्या बीजेपी अगले 5 से 10 सालों के लिए चेहरा तैयार करने के लिए भी आगे बढ़ रही है इन बातों का भी ध्यान रखा जाएगा इस विस्तार में, इस पर निगम का कहना है कि यह बात हमेशा से बीजेपी की तरफ से ध्यान में रखी जाती है जो युवा एमपी है चाहे वह जामयांग टी शेरिंग की बात कर लें या तेजस्वी सूर्या की बात कर लें या अनुराग ठाकुर की बात कर लें.

उनका कहना है कि जिस तरह से राजनाथ सिंह के बेटे की अगर बात कर ले तो वह नीचे से काम करते आ रहे हैं और आज एमएलए बन पाए हैं. इसी तरह यदि सिंधिया को पार्टी ने लिया तो तुरंत उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई, लगभग 2 साल तक उन्हें पार्टी के लिए काम करना पड़ा. उन्हें अपने आप को सिद्ध करना पड़ा और अब जाकर यह बातें चर्चा में है कि इस बार के विस्तार में सिंधिया को मंत्रिमंडल में जगह मिल रही है.

चिराग को कानूनन कुछ ज्यादा नहीं मिल सकता

इस सवाल पर कि एनसीपी के नेता चिराग पासवान ने यह चेतावनी दी है कि यदि पशुपति पारस को मोदी मंत्रिमंडल में लिया जाता है तो वह कोर्ट भी जा सकते हैं पर राजनीतिक विश्लेषक देश रतन निगम का कहना था कि कानूनी तौर पर किसी पार्टी का कोई कोटा नहीं है. बस यह संवैधानिक नियम होता है कि इतने लोग मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं, या बनाए जा सकते हैं. इसलिए वह सिर्फ एंटी डिफेक्शन लॉ में कोर्ट जा सकते हैं लेकिन उसमें भी उन्हें यह सिद्ध करना होगा कि कितने सदस्य उनके साथ हैं यदि दो तिहाई लोग पार्टी से टूट कर चले जाते हैं तब वह कुछ नहीं कर पाएंगे. इसलिए चिराग पासवान यदि कानूनी चेतावनी दे रहे हैं तो उन्हें कुछ ज्यादा नहीं मिल सकता है क्योंकि एंटी डिफेक्शन लॉ में भी दो तिहाई लोग यदि दूसरे के साथ चले जाते हैं तो ऐसे में पार्टी खत्म हो जाती है और उसकी मान्यता भी रद्द की जा सकती है.