छत्तीसगढ़ में तीन सीएम ! सिंहदेव के बाद प्रेमसाय टेकाम भी बने मुख्यमंत्री.

रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): भूपेश सरकार के ढाई साल क्या पूरे हुए छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के चेहरे एक के बाद एक बदलते जा रहे हैं. सिंहदेव के बाद आदिम जाति विकास, स्कूल शिक्षा और सहकारिता विभाग के मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम को मुख्यमंत्री बताया गया है. इसके पहले छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को भी कोविन पोर्टल से मिल रहे प्रमाण पत्र में मुख्यमंत्री बताया जा चुका है. अब यह ढाई-ढाई साल के फार्मूले का नतीजा है या फिर इसके पीछे कोई और वजह फिलहाल पता नहीं, लेकिन इन सबके बीच छत्तीसगढ़ की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं दिख रहा है.

शनिवार को एक पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. जिसमें सहकारिता मंत्री प्रेमसाय सिंह को मुख्यमंत्री लिखा गया है. इस पोस्टर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तस्वीर भी है और उसके नीचे भी मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ लिखा हुआ है.

Premsai Singh tekam became Chief Minister

पहले जारी पोस्टर

एक पोस्टर में दो मुख्यमंत्री

बताया जा रहा है यह पोस्टर सहकारी बैंक यानी अपेक्स बैंक की ओर से लगाया गया था. जिसमें सात नेताओं की तस्वीरों के साथ उनके पदनाम लिखे हुए थे. पोस्टर की तस्वीर वायरल होते ही थोड़ी देर बाद एक दूसरा पोस्टर लगाया गया, जिसमें प्रेमसाय सिंह की तस्वीर के नीचे मुख्यमंत्री को ढंककर सहकारिता मंत्री लिखा गया.

Premsai Singh tekam became Chief Minister

बाद में जारी पोस्टर

साजिश या चूक !

पोस्टर वायरल होने के बाद इसपर चर्चा हो रही है कि क्या ये गलती से छपा है या इसके पीछे किसी की शरारत या कुछ और है. हालांकि पोस्टर में सुधार तो कर दिया गया है, लेकिन सियासी गलियारे में दोनों तस्वीरें वायरल हो रही है. इतनी बड़ी गलती कैसे हो सकती है. इसके पीछे क्या वजह है, क्या यह अधिकारी की चूक है या फिर किसी की सोची समझी साजिश इसका जबाव मिलना अभी बाकी है.

एक सप्ताह पहले ही हुई है ऐसी गलती

अभी एक सप्ताह पहले ही जांजगीर-चांपा जिले के शक्ति समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर टीकाकरण करा रहे लोगों को कोविन पोर्टल से मिल रहे प्रमाण पत्र के कॉपी में भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की फोटो लगी थी. दोनों नेताओं के परिचय में मुख्यमंत्री लिखा हुआ था. मामला सामने आया तो पूरे प्रदेश में हंगामा मच गया. कई लोगों ने इसे ढाई-ढाई के मुख्यमंत्री वाले फॉर्मूले के कन्फ्यूजन का परिणाम बताया. इसे लेकर सरकार की किरकिरी भी हुई. बाद में इसे बीएमओ की लापरवाही बताकर उन्हें हटा दिया गया. सरकार ने जांच के लिए कह दिया और लोगों को बांटे जा चुके 2500 प्रमाण पत्र वापस मंगाने के आदेश दे दिए गए. अब एक सप्ताह बाद एक और ऐसा की मामला सामने आया है.