पाठ्यपुस्तक निगम का बड़ा कारनामा ,टेंडर किसी और को और प्रिंटिंग किसी और से करवा

रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम (chhattisgarh text book corporation) एक बार फिर से विवादों में है. भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास और बिरगांव नगर निगम की महापौर अंबिका यदु ने पाठ्य पुस्तक निगम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. दोनों नेता अचानक प्रिटिंग प्रेस में धावा बोल दिया. यहां पहुंचने पर भाजपा नेता ने देखा कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को बांटी जाने वाली किताबों की छपाई का काम हो रहा था. इस दौरान देखा कि टेंडर किसी और को और प्रिंटिंग किसी और से करवाई जा रही है. भाजपा (B J P) ने मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.

रायपुर पुस्तक छपाई ठेके में पाठ्य पुस्तक निगम में गड़बड़ी

भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि कांग्रेस सरकार के आने के बाद से पाठ्य पुस्तक निगम में भ्रष्टाचार का खेल हो रहा है. इसका भंडाफोड़ हमने किया है. करोड़ों रुपए का टेंडर पुस्तक छपाई के लिए निकाला गया, लेकिन जिसे टेंडर दिया गया उसकी जगह, छपाई कोई और कर रहा है. बड़े पैमाने पर कमीशनखोरी की जा रही है. सरकार की ओर से जिस तरह से कागज में टैक्स की छूट मिलती है, इन कागजों को लाखों की संख्या में खा पाया जा रहा है.

जिन कागजों के नाम से छूट मिली वो दूसरे प्रिंटिंग प्रेस में रखवाया

गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि जिन कागजों के नाम से छूट मिलती है. उन कागजों को लाखों की संख्या में अवैध तरीके से दूसरे प्रिंटिंग प्रेस में रखवाया गया है. बड़े पैमाने पर घालमेल कर आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. पूरे मामले में पाठ्य पुस्तक निगम की भूमिका संदिग्ध है छूट मिलने वाले कागजों को अवैध तरीके से दूसरे प्रिंटिंग प्रेस में ले जाकर सफाई करना पूरी तरह से गोलमाल को दर्शाता है.


प्रोग्रेसिव ऑफसेट को पुस्तक छपाई का मिला है टेंडर

गौरतलब है कि इस मामले में सबसे बड़ी बात है कि छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम ने प्रोग्रेसिव ऑफसेट को पुस्तक छपाई के लिए वर्क आर्डर दिया था, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि जिसे पुस्तक छपाई के लिए ऑर्डर नहीं मिला, वो भी पुस्तकों की छपाई कर रहा है.


तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी पर 72 करोड़ की हेराफेरी का आरोप

बता दें कि छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में बड़ी वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ था. जिसमें तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी के खिलाफ 72 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने का आरोप लगा था. इस पूरे मामले में जांच के आदेश दिए गए थे. इस मामले को लेकर सत्ता सरकार के संसदीय सचिव और विधायकों ने भी राज्य सरकार से कार्रवाई की मांग की थी.