कोरबा (सेंट्रल छत्तीसगढ़):- अपनी विवादित कार्यशैली से अक्सर सुर्खियां बटोरने वाली चर्चित कटघोरा फारेस्ट डिपार्टमेंट की वनमण्डलाधिकारी आईएफएस शमां फारूकी एक बार फिर से विवादों में घिरती नजर आ रही है. इस बार मामला महिला समूहों से कराए गए काम और उनकी लंबित मजदूरी से जुड़ा हुआ है. वनमंडल की करीब पांच महिला समूहों ने डीएफओ शमां फारूकी पर काम के एवज में भुगतान नही करने का आरोप लगाया है. लंबित भुगतान की राशि करीब 16 लाख रुपये है. समूह की महिलाओं को लॉकडाउन के पहले ही पेमेंट हो जाने की उम्मीद थी लेकिन अब पूरा इलाका कोरोना संकट से उबरकर अनलॉक की स्थिति में है बावजूद लंबित भुगतान लंबित ही है. महिला समूहों ने इसकी शिकायत जिला पंचायत उपाध्यक्ष रीना जायसवाल के माध्यम से जिला कलेक्टर से की है.
दरसअल कटघोरा वनमंडल अंतर्गत 2020 के अप्रेल-मई सत्र में बांकीमोंगरा के शुक्लाखार, सिंघाली और ढेलवाडीह क्षेत्र में वृहद वृक्षारोपण का कार्य कराया गया था. डीएफओ के देखरेख में हुए इस शासकीय कार्य हेतु क्षेत्र में सेवारत पांच महिला समूहों को इस बाबत ट्री-गार्ड निर्माण का कार्य सौंपा गया था. महिला समितियों ने बैंक से ऋण लेकर ट्री-गार्ड का काम तय वक़्त पर पूरा कर लिया था. इस पूरे काम की लागत 15 लाख 90 हजार रुपये थी. समितियों के मुताबिक इस कार्य मे ढपढप, कसरेंगा, जमीनीमुड़ा और शुक्लाखार की करीब 70 से 75 महिला मजदूरों ने दो माह तक कमरतोड़ मेहनत किया था.
जाहिर है काम के एवज में सभी समितियों को वनमंडल की तरफ से तत्काल भुगतान कर दिया जाना चाहिए था लेकिन आज एक साल बीत जाने के बाद भी महिला मजदूरों के हाथ खाली है. कोरोनाकाल से जूझ रहे इन मजदूरों पर ऋण के एवज में ब्याज का दबाव बढ़ता जा रहा है लेकिन उनकी कोई सुनवाई नही हो रही है. समितियों ने बताया कि तीन-तीन लॉकडाउन झेल चुके गरीब मजदूरों के परिवार की आर्थिक हालात पूरी तरह से डगमगा चुकी है. आय के सारे रास्ते बंद हो चुके है ऐसे में उम्मीद थी कि वनमंडल से मिलने वाली मजदूरी का भुगतान उन्हें वक़्त रहते हो जाएगा लेकिन एक महिला अफसर ही गरीब महिलाओं की मजबूरी नही समझ रही. वह अपने ही पैसो को पाने दर-दर भटकने पर मजबूर है. महिलाओं ने शिकायत की प्रति जिला कलेक्टर के अलावा शासन के वनमंत्री, राजस्व मंत्री व क्षेत्रीय सांसद कार्यालय को प्रेषित किया है.