कटघोरा : मोहित केरकेट्टा पाली तानाखार विधायक ने मोदी सरकार की बेतहाशा महंगाई को लेकर की प्रेसवार्ता कहा – आम जनता कोरोना की मार से नहीं महंगाई की मार से मर रहे .

कोरबा (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) : छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष माननीय श्री मोहन मरकाम जी के निर्देशानुसार 6 जून को प्रदेश के समस्त जिला मुख्यालय में केंद्र सरकार की गलत नीतियों से देश में बढ़ रही बेतहाशा महंगाई के मुद्दे को लेकर पत्रकार वार्ता का आयोजन किया जाना था जिसे लेकर देश में बढ़ती महंगाई के मुद्दे को लेकर स्थानीय प्रदेश पदाधिकारियों, सांसद, पूर्व सांसद प्रत्याशी, विधायक पूर्व प्रत्याशी, पूर्व विधायकों को अनिवार्य रूप से आमंत्रित करते हुए 6 जून को जिला मुख्यालय में पत्रकार वार्ता के द्वारा मोदी सरकार के महंगाई को लेकर अपने विचार रखे. पाली तानाखार विधायक मोहितराम केरकेट्टा ने आज कटघोरा के PWD विश्राम गृह में मोदी सरकार द्वारा बेतहाशा महंगाई को लेकर प्रेस वार्ता की और जनता को मोदी सरकार की कट्टरपंथी पर बताया.

केंद्र की मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण वस्तुओं के दाम आज दोगुने से अधिक हो गए हैं जिसमें पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस एवं दवाइयों के दाम दोगुने हो चुके हैं. साथ ही खाद्य पदार्थों के दाम सब्जियों के दाम, किसानों के द्वारा खेतों को रख के दाम भी बढ़े हुए हैं एक तरफ खाद्य पदार्थों के दाम बढ़े दूसरी ओर किसानों की आमदनी घट खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने का फायदा बिचौलियों को मिला किसानों को इसका फायदा नहीं मिल सका. खाद्य तेलों के दाम पिछले 2 वर्षों में लगभग दोगुने हो चुके हैं. देश में खाद्य तेल का सबसे बड़ा निर्माता मोदी के प्रिय गौतम अडानी हैं. आप समझ सकते हैं. खाद्य तेल के दामों के बढ़ने का सबसे ज्यादा फायदा अडानी को हो रहा है.

एक तरफ तो महंगाई बड़ी दूसरी तरफ मोदी सरकार के आर्थिक प्रबंधन के कारण लोगों की कमाई घटी रोजगार के संसाधन घटे नौकरियां गई नोटबंदी जीएसटी से लेकर व्यापार-व्यवसाय तक तबाह हुए कुरौना जैसी महामारी में मोदी सरकार की अर्थव्यवस्था के कारण इलाज और दवाइयों में लोगों की जमा पूंजी जमीन जायदाद सब खत्म हो चुके हैं.

कोरोना से बचेगी तो महंगाई से मर रही देश की जनता – कांग्रेस

डेढ़ साल से भारत की जनता करुणा महामारी की मार झेल रही है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अदूरदर्शी और जनविरोधी नीतियों ने करुणा की बीमारी के समय में जीवन को और कठिन बनाया है चाहे वह अचानक किया हुआ लाभ डाउन हो या अस्पतालों से लेकर ऑक्सीजन तक का इंतजाम हो या फिर वैक्सीन की नीति हर जगह नरेंद्र मोदी सरकार विफल दिखाई देती है. इस विकट परिस्थिति में भी नरेंद्र मोदी के सरकार देश में महंगाई बढ़ाने में लगी हुई है पेट्रोल डीजल और केरोसिन के दाम हो या गैस सिलेंडर के खाने के तेल की कीमत हो या फिर साधारण बीमारियों में काम में आने वाली दवाओं की हर चीज लगातार महंगी होती जा रही है लगता है कि कोना महामारी से किसी तरह बच गए लोग अब महंगाई नाम की महामारी की चपेट में आने वाले हैं.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम की वजह से पेट्रोल डीजल की कीमत बढ़ने पर साइकिल पर सवार होकर सड़क पर उतरने वाले रमन सिंह इस समय फर्जी दस्तावेज दिखाकर लोगों को बताने की कोशिश कर रहे हैं कि कोई षड्यंत्र हो रहा है दरअसल महंगाई नरेंद्र मोदी सरकार का असली षड्यंत्र है और यह अपने प्रिय कारोबारियों और उद्योगपतियों की जेब भरने का नतीजा है. आश्चर्य नहीं है कि किसी समय रसोई गैस की कीमत में ₹500 की बढ़ोतरी होने पर गले में सुरेंद्र टांग का प्रदर्शन करने वाले भाजपा के नेता इस समय अनावश्यक विवादों के जरिए जनता का ध्यान भटकाने में लगे हुए हैं

कच्चा तेल सस्ता फिर भी बढ़ रही पेट्रोल-डीजल की कीमतें

केंद्र की मोदी सरकार के 7 सालों के कुशासन में पेट्रोल डीजल के दामों में अभिव्यक्त पूर्ण बढ़ोतरी की है अप्रैल 2014 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 103 डॉलर प्रति बैरल थी. तब मनमोहन सिंह जी देश के प्रधानमंत्री थे और उन्होंने पेट्रोल-डीजल के दामों को बढ़ने नहीं दिया, उस समय पेट्रोल की कीमत 72 रुपये प्रति लीटर, डीजल की कीमत 55 रुपये प्रति लीटर थी.आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत 69.15 डॉलर प्रति बैरल है जबकि रायपुर में पेट्रोल की कीमत 92.76 प्रति लीटर एवं डीजल की कीमत 92.38 रुपए है कुछ शहरों में पेट्रोल की कीमत ₹100 से भी ज्यादा हो गई है मई महीने में ही पेट्रोल डीजल के दामों में 16 बार बढ़ोतरी की गई और जून महीने में भी यह सिलसिला जारी रहा. पेट्रोल और डीजल में टैक्स वृद्धि से केंद्र सरकार के राजस्व संग्रहण में 459 प्रतिशत की वृद्धि हुई है आम आदमी की जेब पर डाका डालकर मोदी सरकार अपना खजाना भरने में लगी हुई है

घरेलू रसोई गैस की कीमतों में 7 सालों में दोगुनी वृद्धि

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में स्पष्ट रूप से बताया था कि भारतीय जनता पार्टी की पिछले 7 साल के शासन काल में घरेलू रसोई गैस की कीमत दुगनी हो गई है. 1 मार्च 2014 को 14.2 केजी एलपीजी सिलेंडर की कीमत 410 रुपये प्रति सिलेंडर थी जबकि आज सिलेंडर की कीमत 880.50 रुपए प्रति सिलेंडर पहुंच गई है. सिर्फ 2021 में घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतों में 225 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. जाहिर है कि रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों का बोझ दुगना हो गया है.

केरोसिन की कीमतों में दोगुने से ज्यादा वृद्धि

केरोसिन यानी मिट्टी तेल को गरीबों का इंधन माना जाता है जो लोग रसोई गैस नहीं खरीद पाते उनके लिए मिट्टी तेल ही सहारा होता है.मिट्टी तेल की कीमत मई 2020 में 13.96 रुपए प्रति लीटर थी जबकि आज इसकी कीमत 3.38 रुपए प्रति लीटर पहुंच चुकी है. यानी केरोसिन की कीमत दोगुनी से भी ज्यादा बढ़ चुकी है अगर गरीबों का इंधन इतना महंगा कर दिया गया है. कि उसकी कमाई का बड़ा हिस्सा इन धन जुटाने में ही निकल जा रहा है.

खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि का रिकॉर्ड टूटा

भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार पिछले 1 साल में खाद्य तेलों के दामों में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस मूल्यवृद्धि ने खाद्य तेलों जैसे मूंगफली तेल सरसों तेल सोयाबीन तेल सूरजमुखी तेल और पाम आयल के मूल्य वृद्धि के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. वनस्पति के दाम भी इसी तरह से बड़े हैं अगर सरसों तेल की बात करें तो मई 2020 में 1 लीटर सरसों तेल का दाम 90 रुपये प्रति लीटर था जो आज बढ़कर 200 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गए हैं. मतलब दोगुने से भी ज्यादा. इसी प्रकार पिछले साल ₹100 से ₹110 प्रति लीटर बिकने वाले दूसरे खाद्य तेलों की कीमतें वर्तमान में ₹200 तक पहुंच गई है. खाद्य तेलों की कीमतों में इस असामान्य वृद्धि ने आम जनता की कमर तोड़ दी है.

दवाओं की कीमतों में बेहिसाब वृद्धि

कोरोना काल में दवाओं की जितनी जरूरत लोगों को पड़ रही है, इससे पहले शायद भारत के इतिहास में कभी नहीं पढ़ी होगी. अंग्रेजी दवाओं में जीवन रक्षक सहित ऐसी कई दवाएं हैं जिन पर केंद्र सरकार का नियंत्रण है. इनमें शुगर, ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी की दवाई सहित 364 दवाई सम्मिलित हैं. लेकिन अब यह दवाएं भी आम आदमी की पहुंच में नहीं है. केंद्र सरकार के अधीन होते हुए भी दवा कंपनियां लगातार कीमतों में वृद्धि करती जा रही हैं. बल्क ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ( BDMA ) के आंकड़ों के अनुसार एंटीबायोटिक, एजिथ्रोमाइसिन, और अर्निडाजोल और बुखार की दवा निमेसुलाइड और पेरासिटामोल की कीमतों में जनवरी से 60 से 190% का उछाल आया है. मरीजों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पूरे देश में प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के तहत सस्ती जेनेरिक दवाइयों की कई दुकानें खोली गई, मानक के अनुसार यहां 650 दवाइयां होनी चाहिए, मगर किसी भी केंद्र पर जरूरी दवाओं का बराबर अभाव बना रहता है.

कोरोना के बाद अब महंगाई की राष्ट्रीय आपदा

पेट्रोल डीजल के दामों में वृद्धि से परिवहन महंगा हो जाता.. यह सब जानते हैं यानी आने वाले दिनों में सब्जी भाजी से लेकर राशन पानी तक सबका परिवहन महंगा होगा और कीमतें बेतहाशा बढ़ेंगे यानी आने वाले दिनों में रसोई गैस,मिट्टी तेल खाने के तेल के अलावा सब्जी, भाजी और राशन भी महंगे दामों में मिलने वालें है. दवाएं भी महंगी हो चुकी हैं. कपड़े लत्ते भी महंगे होने वाले हैं. इसका मतलब साफ है, कि नरेंद्र मोदी जी ने सारे इंतजाम कर लिए हैं कि भारत की जनता कोरोना के मार से उतरने से पहले ही महंगाई की चपेट में आ जाए. नरेंद्र मोदी जी की सरकार नहीं बता रही है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम अगर नहीं बढ़ रहे हैं तो पेट्रोल के दाम क्यों बढ़ रहे हैं. क्यों सरकार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर अपना खजाना भरने में लगी हुई है. भारतीय जनता पार्टी के नेता क्यों अनावश्यक बयानबाजी करके जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं यह किसी से छुपा नहीं हैं. हम मांग करते हैं कि रमन सिंह, धर्म लाल कौशिक से लेकर अजय चंद्राकर, बृजमोहन अग्रवाल जैसे नेता महंगाई पर अपना रुख स्पष्ट करें और जनता से माफी मांगें, कोरोना महामारी के काल में उनकी सरकार महंगाई बढ़ाने में लगी हुई है.

पाली तानाखार विधायक मोहितराम केरकेट्टा ने कहा कि देश की जनता अब मोदी सरकार की रणनीति को समझ चुकी है. अब आने वाले समय के लिए तैयार रहें . देश में बढ़ते महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है. मध्यम वर्गीय व निम्न वर्गीय इस बेतहाशा महंगाई में अपना जीवन गुजारने में मजबूर है.