रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): कोरोना की दूसरी लहर (corona second wave) ने रियल इस्टेट सेक्टर (real estate sector) की सुस्ती को और बढ़ा दिया है. पहली लहर ने रियल एस्टेट सेक्टर पर तगड़ा असर डाला. अर्थव्यवस्था अभी मुश्किल के दौर से निकलने की कोशिश ही कर रही थी कि तब तक कोविड की दूसरी लहर ने तबाही पैदा कर दी है. छत्तीसगढ़ में कोरोना और लॉकडाउन के चलते सरकारी और निजी निर्माण कार्यों को भी प्रभावित किया है. लॉकडाउन के दौरान बीते साल के मुकाबले इस बार काम बुरी तरह से बंद रहा. यही नहीं लॉकडाउन धीरे-धीरे खुलने के बाद भी रियल एस्टेट मार्केट को पटरी में आने काफी समय लगेगा. सरकारी काम मे लगे कांट्रेक्टर के साथ ही रियल एस्टेट के विशेषज्ञों ने भी इसके दूरगामी असर को लेकर चिंता जताई है.
कोरोना की दूसरी लहर ने रियल एस्टेट सेक्टर को किया चौपट
दूसरी लहर में भी रियल एस्टेट पर गहरा असर
कोरोना की दूसरी लहर के चलते छत्तीसगढ़ में संक्रमण इतनी तेजी से फैला कि, इसकी रोकथाम करने के लिए सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में लॉकडाउन लगाना पड़ा. पिछले करीब डेढ़ महीने से प्रदेश में आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ी हुई है. इससे तमाम सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. वहीं रियल एस्टेट पर भी गहरा असर देखा जा रहा है. सरकारी और निजी कांट्रेक्टर को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
कोरोना की दूसरी लहर ने रियल एस्टेट सेक्टर को किया चौपट
मजदूरों का खर्च और बिल पास न होने की चिंता
कांट्रेक्टर के सामने कई तरह की परेशानियां हैं. लॉकडाउन और कोरोना से निर्माण कार्य बंद पड़े हैं. ऐसे में इतने लंबे समय तक मजदूरों को रखना और विभागों में भी बिलों के भी पास न हो पाने चिंता सता रही है. राजधानी रायपुर समेत प्रदेश भर में करोड़ों रुपए के काम अटके पड़े हैं. सरकार ने निर्माण कार्यों में फिलहाल छूट तो दी है, लेकिन ठेकेदारों की माने तो कोविड-19 जारी गाइडलाइन के अनुसार काम करना भी बेहद मुश्किल है. छूट मिलने के बाद अब तक काम पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाया है. वहीं आगामी दिनों में मानसून भी दस्तक देगा. ऐसे में नए काम शुरू फिलहाल शुरू नहीं हो पाएगा.
कोरोना और लॉकडाउन से निर्माण कार्यों में सुस्ती
करोड़ों के निर्माण कार्य अटके
छत्तीसगढ़ में 13000 सरकारी और 50,000 से ज्यादा निजी कांट्रेक्टर हैं. लॉकडाउन में यह सेक्टर लगभग 30,000 करोड़ का घाटा उठा रहा है. सरकारी विभागों में करीब 20000 करोड़ का काम अटका पड़ा है प्रदेश में सरकारी ठेके पर काम करने वाले नगरीय निकाय से लेकर लोक निर्माण विभाग, वन विभाग, पीएचई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, कृषि विभाग, नगर निगम, हाउसिंग बोर्ड, नेशनल हाईवे और रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी जैसे तमाम एजेंसियों में निर्माण कार्य बंद हो चुके हैं. इतना ही नहीं राज्य सरकार ने अब नए रायपुर में चल रहे नए विधानसभा भवन और अन्य निर्माण कार्यों के टेंडर अभी निरस्त कर दिए हैं. ऐसे में निर्माण कार्य से जुड़े हुए तमाम ठेकेदार और मजदूरों के सामने भी आने वाला समय मुसीबत से कम नहीं होगी.
कोरोना और लॉकडाउन से निर्माण कार्यों में सुस्ती
कोरोना और लॉकडाउन से घर लौटे मजदूर
निर्माण सेक्टर में सबसे ज्यादा मजदूरों की कमी हो गई है. कोरोना और लॉकडाउन के चलते मजदूर अपने घर लौट चुके हैं. इसके साथ ही लोकल मजदूर भी काम नहीं करना चाह रहे हैं. ठेकेदार मजदूरों को रहने खाने की व्यवस्था भी दे रहे हैं. लेकिन मजदूरों में कोरोना को लेकर डर बना हुआ है. जिसके चलते वे गांव से शहर नहीं लौटना चाह रहे हैं.
मंदी से सालों बाद उबर पाया था रियल एस्टेट मार्केट
सेंट्रल इंडिया में छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट सेक्टर बड़े मार्केट के रूप में जाना जाता है. सरकारी निर्माण कार्यो के अलावा छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर रियल एस्टेट सेक्टर के कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं और कई अपकमिंग प्रोजेक्ट भी लगातार लांच हुए हैं. पिछले कई वर्षों से रियल एस्टेट मार्केट में वैसे ही मंदी की मार चल रही थी, लेकिन छत्तीसगढ़ में सत्ता सरकार बदलने के साथ ही किसानों को धान का समर्थन मूल्य और कर्जा माफी करने जैसे बड़े निर्णय का असर पूरे मार्केट पर देखने को मिला था. यही कारण है कि कोरोना की पहली लहर के बाद मार्केट में एक फ्लो पकड़ा था.
रॉ-मटेरियल की बढ़ी कॉस्ट
रियल एस्टेट सेक्टर के विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर से रियल एस्टेट मार्केट को बुरी तरह प्रभावित किया है. इससे उबरना इतना आसान नहीं होगा, इन्वेस्टर को हम जिस रेट में कमेंट कर चुके हैं उस रेट पर हमें फ्लैट या मकान की डिलीवरी देनी होगी, लेकिन रॉ-मटेरियल की कॉस्ट काफी बढ़ती जा रही है. ऐसे में लोगों का इस साल गृह प्रवेश का सपना टूट सकता है.
बैंकों की ओर से दी जा रही है विशेष छूट
बैंकों में भी होम लोन की ब्याज दरें सालों पुरानी स्थिति में आ चुकी है. बैंक की ओर से होम लोन 6. 90 फीसदी के लिहाज से कस्टमर को उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके साथ ही महिलाओं को पाइंट जीरो फाइव (.05) प्रतिशत की छूट अतिरिक्त दी जा रही है. साथ ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से पुराने लोन जो कि पुराने ब्याज दर पर चल रहे हैं उन्हें भी फिक्स अमाउंट के साथ में वर्तमान ब्याज दर पर कन्वर्ट कराने के लिए ग्राहकों को सुविधा दी जा रही है. इतना ही नहीं एसबीआई प्रोसेसिंग फीस में भी कस्टमर्स को छूट दे रही है.
मीडियम रेंज के प्रोजेक्ट पर ही फोकस
रियल स्टेट एक्सपर्ट्स के मुताबिक जिस तरह से बीते कुछ सालों में रियल एस्टेट सेक्टर में ट्रेंड रहा है कि लोग लग्जरी फ्लैट्स और महंगी कॉलोनियों पर ही फोकस कर रहे थे. शहर के तमाम प्राइम लोकेशन पर लाखों- करोड़ों के महंगे फ्लैट और रो-हाउस से रिलेटेड प्रोजेक्ट धड़ाधड़ आ रहे थे. कोविड के इस दौर में अब जब लंबे समय तक लॉकडाउन रहा है. ऐसे में लोग कम खर्चों के साथ अपनी आवश्यकताओं और जीवन को चलाने में फोकस किए हैं. यही वजह है कि लोग अब खुद के घरों पर जोर दे रहे हैं. इसीलिए रियल एस्टेट सेक्टर में भी महंगे रो-हाउस और महंगे फ्लैट की जगह मिडिल क्लास सेक्टर ही फोकस करते हुए मिडिल रेंज के कालोनियों की बुकिंग करवा रहे हैं.
किराए की जगह खुद की प्रॉपर्टी पर रुझान
जिस तरह से राजधानी बनने के बाद सही रायपुर में प्रदेश ही नहीं बल्कि दूसरे प्रदेश से भी बड़ी संख्या में लोग आकर नौकरी और बिजनेस कर रहे हैं, लेकिन सालों से काफी संख्या में लोग किराए पर ही रह रहे थे. पिछले कोरोना काल में नौकरियां और व्यापार ठप होने से कई लोग किराया तक नहीं भर पाए थे. कई मकान मालिकों ने किराए पर छूट दी थी, वहीं कुछ ने दबाव भी बनाया. ऐसे में लोग खुद का घर खरीदने की योजना बना रहे हैं. अब लोग अपने घरों पर फोकस कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि बैंकों के होम लोन भी काफी कम ब्याज पर उपलब्ध हो रहे हैं. ऐसे में घरों का किराया देने की जगह अब खुद के घरों की EMI पटाने में भरोसा कर रहे हैं.