कोरबा ( सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ) हिमांशु डिक्सेना :- आज पूरा देश और प्रदेश कोरोना के कहर से जूझ रहा है.. छत्तीसगढ़ की ही बता करे तो प्रदेश के लगभग हर जिले इन दिनों इस अदृश्य महामारी कोरोना की चपेट में है. जिलो के अस्पताल पॉजिटिव मरीजो से भरे पड़े है. आलम ये है कि सरकार को हर जिले में एक अलग कोविड अस्पतालों का इंतज़ाम करना पड़ रहा.. जाहिर है ऐसे में सिविल मरीज यानी ऐसे मरीज जो कोरोना के चपेट में नही आये है वो अस्पताल जाने से कतराने लगे है.. समूचा स्वास्थ्य अमला लोगो को राहत पहुंचाने में जुटा है. ऐसे विपरीत हालात में भी कोरबा जिले के कटघोरा स्वास्थ्य केंद्र ने मानो एक नई मिशाल पेश की है. देखिये यह स्पेशल रिपोर्ट..
कोरोना काल में जहां हर जगह से बुरी खबरें सुनने को मिली हैं, वहीं कुछ अच्छी खबरें भी सामने आई हैं. दरअसल, हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में सबसे ज्यादा नॉर्मल डिलीवरी हुई है और सिजेरियन डिलीवरी की संख्या में काफी कमी आई है.
पिछले कोरोना काल में कटघोरा अस्पताल में 7 कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाएं भर्ती हुई थी जिनमें 4 की नार्मल सफल डिलीवरी कराई गई थी इस बार कोरोना काल में जनवरी से अब तक 8 गर्भवती महिलाओं में 4 लोगों की नॉर्मल डिलीवरी कराई गई गई बाकी 4 को कोरबा रिफर किया गया है. गर्भवति महिला को डिलीवरी के दौरान दो प्रकार की प्रक्रियाओं से गुजरना होता है या तो बच्चे का जन्म नॉर्मल डिलीवरी के जरिए होता है या फिर सिजेरियन प्रक्रिया से गुजरना होता है लेकिन लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा नॉर्मल डिलीवरी के जरिए बच्चों के जन्म हुए हैं इस पर बात करते हैं महिला रोग विशेषज्ञ डॉ नमिता सिंह जोकि कटघोरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना काल में गर्भवती महिला की नार्मल डिलीवरी कराती चली आ रही है
डॉक्टर ने बताया कि मां और बच्चे की जान के खतरा को देखते हुए सिजेरियन डिलीवरी करनी होती है वहीं महिलाओं का कहना है कि भले ही सिजेरियन डिलीवरी के दौरान महिलाओं को ज्यादा तकलीफ से ना गुजरना पड़े लेकिन बाद में कई समस्याएं इसको लेकर महिलाओं को झेलनी पड़ती है वहीं दूसरे बच्चे के जन्म के लिए भी परेशानी खड़ी हो जाती है. कटघोरा अस्पताल में कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं के अलग रूम बनाया गया है जिमें सभी सुविधाएं मौजूद हैं और हमारे यहां 8 स्टाफ है जो पूरी मेहनत और लगन से काम कर रहें हैं. कोरोना संक्रमण की इस भयावह स्थिति में सुरक्षा की दृष्टिकोण का पूरा ध्यान रखते हुए स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं का ध्यान रख रहा है.
डिलीवरी के दौरान खतरा होने पर करना होता है सिजेरियन
डॉक्टर नमिता सिंह ने बताया क्योंकि सिजेरियन डिलीवरी में जच्चा और बच्चा दोनों के लिए काफी खतरा होता है, वही इंफेक्शन फैलने का डर भी रहता है, और बाद में माता को तकलीफ भी होती है, और दूसरे बच्चे के समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में नार्मल डिलीवरी बेहतर रहती है. हालांकि जांच के दौरान यदि डॉक्टर को लगता है कि नार्मल डिलीवरी से बच्चे या मां की जान को खतरा हो सकता है, या बच्चे की ग्रोथ पेट में ही रुक गई है, तो फिर पेट को काटकर डिलीवरी की जाती है. इसके लिए जिला अस्पताल रिफर किया जाता है.
कोरोना संक्रमण के डर के चलते नहीं किया गया सिजेरियन
डॉक्टर ने बताया लॉकडाउन के दौरान क्योंकि अस्पतालों में कोरोना के मरीज संक्रमित माताओं की डिलीवरी भी करनी पड़ रही है, जिसके चलते डॉक्टर के मन में कहीं न कहीं यह डर रहता है कि अगर सिजेरियन डिलीवरी की जाएगी, तो संक्रमण ज्यादा फैल सकता है. इसीलिए नॉर्मल डिलीवरी को ज्यादा तवज्जो दिया गया. यही कारण रहा कि कोरोना काल में सबसे ज्यादा अस्पतालों में नॉर्मल डिलीवरी की गई.
कटघोरा स्वास्थ्य विभाग का सराहनीय कार्य
कटघोरा नगर के युवा समाज सेवी आलोक पांडेय ने मीडिया से चर्चा के दौरान बताया कि कटघोरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सभी कर्मचारी इस कोरोना महामारी जैसे गंभीर समय में बेहतर कार्य कर अपनी सेवा का परिचय दे रहें है. यहां महिला प्रसूति विभाग में ज्यादा कोशिश नॉर्मल डिलीवरी की होती है और डॉक्टर से लेकर महिला स्टाफ का कार्य व्यवहार तथा मरीज के साथ व्यवहार भी अच्छा रहता है. तथा कटघोरा नगर से लेकर आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को इसका लाभ मिलता है.