बद से बदतर होते है हालात: दो वक्त की रोटी के साथ बैंक लोन ने बड़ाई कैब ड्राइवरो की मुश्किलें.

रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़): कोरोना और लॉकडाउन ने हर वर्ग के लोगों की जिंदगी पर ब्रेक लगा दिया है. सामान्य दिनों में ओला और उबर टैक्सी वालों को रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट या अन्य जगहों के लिए बुकिंग मिल जाया करती थी, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर और एक महीने से लॉकडाउन ने इनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब कर रखी है. धीरे-धीरे टैक्सी संचालकों और ड्राइवरों के कारोबार पर ग्रहण लग गया है. हालात इतने बुरे हो गए हैं कि टैक्सी संचालकों को परिवार पालना भी मुश्किल हो रहा है. कई टैक्सी ड्राइवर के सामने दो वक्त की रोटी का भी संटक आ गया है.

आर्थिक तंगी से जूझ रहे कैब ड्राइवर

कंगाली की स्थिति में 25 से 30 हजार कमाने वाले कैब संचालक

राजधानी रायपुर से बुकिंग में चलने वाली इन गाड़ियों की बात की जाए तो शहर में लगभग 500 ओला-उबर टैक्सी मौजूद है. सामान्य दिनों में एक टैक्सी ड्राइवर महीने में 25 से 30 हजार रुपए की आमदनी होती थी. कोरोना कोरोना का बाद हालात काफी बिगड़ गए हैं. कई टैक्सी बैंक से फाइनेंस कराई गई. जिसका किश्त पटाना भी मुश्किल होते जा रहा है. कई गाड़ियों का पिछले कई महीने से किस्त नहीं पटा है. जिसके कारण संबंधित बैंक और निजी फाइनेंसर इनके ऊपर दबाव बना रहे हैं. ऐसे में टैक्सी ड्राइवर के सामने बड़ी समस्या आ गई है.

cab drivers are facing big financial problem during second lockdown in raipur

पार्किंग में खड़ी कैब

बढ़ती महंगाई ने भी किया है परेशान

रायपुर में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए लगाए गए लॉकडाउन में कैब को भी पूरी तरह से बंद रखा गया है. इसके साथ ही पेट्रोल और डीजल के दाम भी आसमान छू रहे हैं. जिसका असर भी इन गाड़ियों पर देखने को मिल रही है. टैक्सी किराये पर नहीं जाने की वजह से टैक्सी ड्राइवर हालात और परिस्थितियों से जूझ रहे हैं. सामान्य दिनों में लोग टैक्सी लेकर घूमने फिरने या फिर ऑफिस के काम से छत्तीसगढ़ प्रदेश के साथ ही दूसरे राज्यों में भ्रमण के लिए जाया करते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से कोई भी कहीं बाहर नहीं जा रहा है. इससे इस व्यापार में और परेशानियां सामने आ रही है.

परिवार चलाना हो गया है मुश्किल

इनोवा, स्विफ्ट डिजायर, स्कॉर्पियो, विस्टा, वैगन आर, सूमो और आर्टिका जैसे सामान्य से लेकर लग्जरी गाड़ी राजधानी की सड़कों पर फर्राटे भरती थी, लेकिन लॉकडाउन ने सभी गाड़ियों को टैक्सी स्टैंडों में खड़ी दी है. इन टैक्सी ड्राइवरों की जिंदगी बद से बदतर होती जा रही है. टैक्सी ड्राइवरों का कहना है कि अब धीरे-धीरे परिवार चलाना और भी मुश्किल होता जा रहा है. अभी तक जैसे-तैसे परिवार चला रहे हैं, लेकिन आने वाले समय में परिवार कैसे चलेगा इसकी चिंता सताने लगी है.

बैंक लोन का बढ़ता दवाब

बढ़ते कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर परिवहन पर पड़ा है. कैब ड्राइवरों के द्वारा निजी फाइनेंसर या बैंकों से लिए गए लोन के किस्त भी नहीं पटा पाने के कारण अबतक किसी भी बैंक या निजी फाइनेंसर के द्वारा वाहनों को जब्त करने की सूचना तो ट्रैफिक विभाग को नहीं मिली है, लेकिन अगर हालात यहीं रहे तो बैंकों के पास क्या विकल्प बच जाएंगे औप सोच सकते हैं.