छत्तीसगढ़: सरकारी तंत्र एक और समस्या से जूझ रहा, रोज 45-50 पॉजिटिव के यही नंबर; ढूंढ नहीं पा रहा सरकारी अमला, जानते हैं तो जरूर बताएं- 90000-00000, 98000-00000, 91000-00000

रायपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) :- राजधानी में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के साथ अब सरकारी तंत्र एक और समस्या से जूझ रहा है। दरअसल, हर दिन कोरोना पॉजिटिव की जो लिस्ट ट्रेसिंग के लिए कॉलसेंटर तक पहुंच रही है। उसमें 25 से 30 प्रतिशत तक मोबाइल नंबर फर्जी निकल रहे हैं। मंगलवार को रायपुर में 4168 मरीज मिले हैं।

मंगलवार देर रात से बुधवार दिन भर कॉल सेंटर की टीमें 1320 से ज्यादा लोगो को ट्रेस ही नहीं कर पाई। इनमें से ज्यादातर के नंबर या तो बंद मिले या गलत पाए गए हैं। दरअसल, बहुत सारे लोग कोरोना जांच करवाते वक्त जो मोबाइल नंबर टेस्ट के लिए फॉर्म में जानकारी के रूप में दे रहे हैं। उसमें ज्यादातर नंबर 9 के आगे नौ शून्य, 98 के आगे आठ शून्य, 91 के आगे आठ शून्य जैसे नंबर है।

 दिन ऐसे 50 से 80 लोग़ों के नाम के आगे ऐसे ही अटपटे नंबर आ रहे हैं। मंगलवार को 4168 कोरोना पॉजिटिव में से 49 लोग़ों के नंबर 9000000000, 98 के आगे 8 शून्य और 91 के आगे 8 शून्य नंबर रहे जिनको ट्रेस नहीं किया जा सका। कोरोना पॉजिटिव आने के बाद ऐसे लोग कहां जा रहे हैं। इसका पता तक नहीं चल पा रहा है। इस तरह के फर्जी या गलत नंबर के चलते ही कोरोना नियंत्रण के मूल मंत्रों में से एक यानी ट्रेसिंग का मामला फेल हो रहा है। इसका बैकलाॅग इतना ज्यादा है कि पिछले सात दिन में राजधानी के ही लगभग 5 हजार मरीजों को सरकारी अमला ढूंढ नहीं पाया है। हर दिन औसतन 500 से 1300 के बीच ऐसे मरीज हैं, जो ट्रेस ही नहीं हो पा रहे हैं। बुधवार को इसका रिकार्ड भी टूटा, जब 1320 मरीज ऐसे सामने अाए, जिनके काॅल नहीं लग रहे हैं और पता भी गलत है।

एक बड़ी मुसीबत यह भी
पड़ताल में पता चला कि ऐसे अनट्रेस लोग बगैर संपर्क के किसी भी दवा दुकान या डॉक्टर से संपर्क कर बिना किसी काउंसलिंग के दवाएं शुरु कर देते हैं। जब इनकी हालत बिगड़ने लगती है तब वो उल्टा कॉलसेंटर में फोन करके टीम पर इसका दोष मढ़ देते हैं कि वो एक हफ्ता पहले संक्रमित हुए, लेकिन कोई टीम उन्हें लेने नहीं आई। कई मरीज तो इसी गफलत के कारण दम तोड़ने की स्थिति में पहुंच जाते हैं।

प्राइवेट लैब से भी गोलमाल
पड़ताल में पता चला है कि प्राइवेट लैब में कोरोना जांच के नाम पर इस तरह के नंबरों की शिकायतें ज्यादा आ रही है, वो भी आरटीपीसीआर टेस्ट में। प्राइवेट लैब में कोरोना जांच करवाने वाले शख्स के नाम के आगे कई बार लैब का ही कांटेक्ट नंबर लिखा हुआ आ रहा है। आरसीएमआर के पोर्टल पर भी इसी नंबर से एंट्री हो रही है। पॉजिटिव लाइन लिस्ट में संक्रमित व्यक्ति के नाम के आगे जो नंबर आते हैं उसमें कई बार कॉल करने पर वो नंबर प्राइवेट लैब के लैब टेक्नीशियन का होता है। वह संक्रमित की सही जानकारी दे ही नहीं पाता है।

जांच में गलत नंबर दिया, मरीज पाजिटिव निकला तो ये बड़ी परेशानियां
1.
 मरीज कहां है, आइसोलेट है या नहीं, कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है, यह पता नहीं चल सकता।
2. मरीज की खुद की हालत क्या है, वह सामान्य है या हालत खराब है, इसकी भी जानकारी नहीं मिलती।
3. इनमें से अधिकांश मरीज सांस में तकलीफ के साथ अस्पताल अाते हैं, तब हालत बिगड़ चुकी होती है।
4. इनकी वजह से इनके पूरे परिवार के संक्रमित होने का खतरा बढ़ता है। अभी शहर में ऐसे ही हालात हैं।

होम आइसोलेशन में फोन ऑफ
टेस्टिंग के बाद ही नहीं होम आइसोलेशन में बहुत से मरीज फोन बंद कर लेते हैं। ऐसे मरीजों को सख्त हिदायत दी जा रही है। उनके इलाज दवा से जुड़ी जानकारी हमारी टीम मैसेज करके भी भेजती है ताकि जब भी फोन ऑन हो मरीज कम से कम उसे देख सके। अजीब किस्म के नंबर वाले मरीजों का कुछ किया ही नहीं जा सकता क्योंकि उनकी पूरी जानकारी गलत होती है।
-डॉ. अंजलि शर्मा, नोडल अधिकारी, होम आइसोलेशन

टेस्टिंग सेंटर को हिदायत
^ ऐसे लोग जो गलत नंबर दे रहे हैं, उनकी ट्रेसिंग के लिए हम दिए हुए पते के जरिए भी कोशिश करते हैं। लेकिन कई बार पता भी गलत होता है। लैब में गलत जानकारी देने की शिकायतें आ रही हैं। हमने टेस्टिंग सेंटरों में भी सख्त हिदायत दे रखी है कि टेस्ट करवाते समय सही पता और नंबर लिखा जाए। ताकि ट्रेसिंग में कोई दिक्कत न आए।
-पद्ममनी भोई, नोडल अधिकारी, जिला कॉल सेंटर