धमतरी: नौकरी की मांग को लेकर गंगरेल के विस्थापितों का धरना.


धमतरी( सेंट्रल छत्तीसगढ़): 
जिन परिवारों ने साल 1978 में प्रदेश के प्रमुख गंगरेल बांध को बनाने के लिए अपनी जमीन और मकान समेत संपत्ति कुर्बान कर दी थी. आज उन्हीं परिवारों के बेरोजगार युवक-युवतियों को नौकरी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. गंगरेल के विस्थापित युवाओं ने जल संसाधन विभाग में सीधी भर्ती किए जाने की मांग की है.

धमतरी में गंगरेल के विस्थापितों का प्रदर्शन

धमतरी जिले के जल संसाधन विभाग में चतुर्थ और तृतीय श्रेणी के करीब 546 पद रिक्त हैं. ये पद गंगरेल बांध, दुधावा, माड़मसिल्ली, सोंढूर और रुद्री बैराज समेत जल संसाधन विभाग में कई वर्षों से खाली हैं. इन पदों पर भर्ती के लिए शासन से अब तक कोई निर्देश जारी नहीं किए गए हैं. प्रभावित परिवारों ने चतुर्थ श्रेणी समेत विभिन्न पदों पर प्रभावित परिवारों के सदस्यों को सीधे नौकरी देने की मांग की है. इसे लेकर बेरोजगार डूबान संघर्ष समिति के लोग 22 मार्च से गंगरेल में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं.

शासन ने नौकरी देने का किया था वादा

प्रभावित परिवारों के बेरोजगार युवक-युवतियों का कहना है कि शासन ने डूबान प्रभावित सभी परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया था. लेकिन अब तक उन्हें नौकरी नहीं दी गई है. ऐसे में उनकी मांग है कि इन पदों पर सीधी भर्ती कर और उन्हें मौका दें. यदि ऐसा नहीं किया जाएगा तो वह अपने हक की लड़ाई के लिए लगातार आंदोलन करते रहेंगे.

नाममात्र के लिए मिला मुआवजा
गौरतलब है कि 5 जून 1972 को गंगरेल बांध बनने के लिए शिलान्यास हुआ था. 1973 से गांवों को हटाने का काम शुरु किया गया था. गंगरेल बांध बनने के बाद उसके जलभराव क्षेत्र में आने के कारण 52 गांव डूब गए थे. इससे 8 हजार 275 परिवार प्रभावित हुए. इन परिवारों को अपना घर, खेत और आबाद गांव छोड़कर दूसरे गांवों में बसना पड़ा. लोगों का कहना है कि उस समय उन्हें नाममात्र का मुआवजा दिया गया था. इसके अलावा कई परिवारों को मुआवजा भी नहीं मिला. 42 सालों से डूबान प्रभावित पुनर्वास के लिए जंग लड़ रहे है.

मांगों पर किया जाएगा विचार: कलेक्टर
इस मामले में कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य का कहना है कि इनकी मांग वाजिब है. शासन तक उनकी मांगों को पहुंचाया जाएगा. उन्होंने प्रदर्शनकारियों से साथ बैठकर उनकी मांगों पर विचार किए जाने की बात कही है. बहरहाल गंगरेल डूब प्रभावित इन परिवारों का अब तक पुनर्वास नहीं हो सका है. न ही शासन ने इन परिवारों के विकास के लिए कोई योजना तैयार की है. ऐसे में अब क्या शासन डूब प्रभावित युवा बेरोजगारों को नौकरी दे पाएगी या यह युवा नौकरी की आस में भटकते रहेंगे. ये देखने वाली बात होगी.