कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़): वनों की रक्षा संरक्षण हमारा नैतिक फर्ज है. क्योंकि वन होंगे तो पर्यावरण भी संतुलित होगा. इसलिए गर्मी के मौसम में वनों में आग लगने का जोखिम हर समय बना रहता है, जिसके बचाव के लिए कटघोरा वन विभाग द्वारा जंगल में आग लगने को लेकर गम्भीर हो गया है और निरंतर जंगलों में लगी आग को बुझाने प्रयास किया जा रहा है, इसके तहत जंगलों में आग लगाना एक कानूनी अपराध है। जंगलों की रक्षा संभाल के लिए विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को वनों या अपने खेतों में आग नही लगाने के लिए लगातार जागरूक कर रहा है.
यह जानकारी कटघोरा रेंज अधिकारी मृत्युंजय शर्मा ने आसपास के गांवों के साथ लगते जंगलों के निरीक्षण करते हुए दी. उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से गांव स्तर पर सेमिनार कर लोगों को आग से होने वाले नुकसान तथा किसी भी स्थिति में आग न लगाने की अपील की जा रही है. गांव स्तर पर विभाग के कर्मचारी, लोगों से बैठकें कर वनों की संभाल संबंधी वनों की सुरक्षा महत्ता पर जागरूक कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वन विभाग के अंतर्गत 5 रेंज है जोकि जंगलों से भरपूर होने से इन पेड़ों के सूखे पत्ते वनस्पती के रूप में जमीन पर गिर जाते हैं तथा कई लोग सिगरेट, बीड़ी को बिना बुझाए ही चलते जंगल के समीप फेंक देते हैं. शरारती तत्व भी आग लगा देते हैं. मधु मक्खियां के छत्तों से शहद निकालने वाले भी आग का कारण बनते हैं, जिससे वनों को तो हानि होती है तथा जंगलों के बीच रह रहे जीव जंतु भी मौत का शिकार होते है.
अभी ग्रीष्म ऋतु आने से जंगलों में महुआ बिनने गए ग्रामीणों को यह सावधानी बरतने कहा जा रहा है कि महुआ बिनने के लिए पेड़ों के आसपास के पत्तों को साफ कर जलाएं नहीं इससे आग फैलने का खतरा बढ़ जाता है. आग लगने पर वन विभाग के कर्मचारी या अधिकारी को इसकी सूचना तत्काल देवें ताकि आग पर काबू पाया जा सके.