गोधन से चलेगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था:अम्बिकापुर का एम्पोरियम बना उदाहरण.

सरगुजा(सेंट्रल छत्तीसगढ़): छत्तीसगढ़ सरकार गोधन न्याय योजना के तहत 2 रुपए किलो गोबर खरीद रही है. सरकारी फरमान के बाद नगरीय निकाय और ग्रामीण निकाय सभी ने गोबर खरीदना तो शुरू कर दिया. लेकिन यह समस्या सामने आने लगी कि इतनी तादाद में गोबर स्टोर कहां तैयार किया जाए ? इस गोबर का प्रशासन क्या करे. लेकिन अंबिकापुर नगर निगम ने अपने यहां कचरा प्रबंधन की यूनिट का बेहतर उपयोग किया. और हमेशा की तरह उनका नवाचार सबको पसंद आ रहा है.

गोधन से चलेगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था

गोबर का ऐसा उपयोग

अंबिकापुर नगर निगम कचरे के प्रबंधन को लेकर नए-नए प्रयोग कर रही है. कचरे से कमाई करने का कीर्तिमान स्थापित किया है. जब सरकार ने गोबर खरीदने का फरमान जारी किया तब ज्यादातर विभागों के पसीने छूट गए. गोबर खरीदी का भुगतान, भंडारण, रख-रखाव, मैनपावर का खर्च इन सबके बीच गोबर खरीदना तो आसान था, लेकिन इसके बाद इस गोबर का करना क्या है ये एक भी एक बड़ा प्रश्न था. लिहाजा अंबिकापुर नगर निगम ने गोधन एम्पोरियम खुलवाया. यह छत्तीसगढ़ का पहला गोधन एम्पोरियम है. जहां गोबर से वर्मी कंपोस्ट, गोबर ब्रिक्स, गोबर के कंडे, घनजीवामृत, आकर्षक खिलौने और इंटीरियर डेकोरेशन के सामान का निर्माण शुरू किया. जिससे गोबर की खपत ज्यादा बढ़ गई और इससे आमदनी भी होने लगी.

गोधन एम्पोरियम प्रदेश के लिए मॉडल

गोधन एम्पोरियम खुलने से जहां नागरिकों को गोधन उत्पाद खरीदने में सुविधा हो रही है. वहीं स्व सहायता समूह की महिलाओं को अपने उत्पादों के विक्रय के लिए एक व्यवस्थित स्थान मिल रहा है. अंबिकापुर का गोधन एम्पोरियम प्रदेश के लिए एक मॉडल साबित हो रहा है. इस एम्पोरियम में गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में खरीदे गए गोबर से महिला स्व सहायता समूहों की ओर से निर्मित विभिन्न उत्पादों की बिक्री की जाती है. नगर निगम अब तक 60 लाख रुपए से अधिक का गोबर खरीदकर हितग्राहियों को भुगतान भी कर चुका है. यहां प्रतिदिन गोबर की खरीदी की जाती है. वजन कर उसे स्टोर किया जाता है. हितग्राही को पैसा दो किस्तों में सीधे खाते में भुगतान किया जाता है.

खुले में नहीं छोड़ सकते मवेशी

450 पशुपालक हैं जो नियमित नगर निगम को गोबर बेचते हैं, इनमें 11 बड़े पशु पालक हैं, जिन्होंने अकेले 1 लाख से ज्यादा का गोबर नगर निगम को बेचा है. इस योजना में एक नियम और है जिसका लाभ शहरवासियों को मिल रहा है. नगर निगम में गोबर बेचने वालों के पशु अगर खुले में पाए गए तो उन पर कठोर कार्रवाई का प्रावधान है. लिहाजा अब शहर की सड़कों पर आवारा मवेशियों का जमावड़ा नहीं दिखता.

योजना एक, फायदे अनेक

इस योजना के फायदे अनेक हैं. इससे सड़क पर घूमने वाले मवेशियों की वजह से होने वाली गंदगी भी नहीं हो रही है. वहीं पशुपालक गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं. वहीं पशुओं का संरक्षण भी हो रहा है. महिला स्व सहायता समूह को अतिरिक्त रोजगार मिल रहा है. अलग-अलग समूह अलग-अलग प्रोडक्ट बनाकर स्वरोजगार हासिल हुआ है. वहीं शहरवासियों को गोबर के वो सामान शहर में उपलब्ध हैं, जिनके लिए कभी गांव जाकर मशक्कत करनी पड़ती थी.

‘आम के आम गुठलियों के दाम’
छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार के इस मॉडल की तारीफ हर जगह हो रही है. नरवा, गरवा, घुरवा अउ बाड़ी मिशन को लेकर सरकार आगे बढ़ रही है. गोधन न्याय योजना के तहत गांवों में स्थापित आदर्श गौठान, पशुओं का सरंक्षण और उत्पादों को लेकर गांवों में बड़ा बदलाव आ रहा है. अंबिकापुर नगर निगम ने इस योजना पर जिस तरह काम कर रहा है. उसे देखकर कहावत याद आती है की ‘आम के आम गुठलियों के दाम’. एक छोटी सी चीज गोबर से इतने सारे फायदे और लोगों को आजीविका देने का काम इसमें किया जा रहा है. हालांकि अब भी कुछ स्थानों में गोबर का बेहतर प्रबंधन नही हो पा रहा है. सरकार को प्रदेश भर में अंबिकापुर का यह मॉडल लागू करना चाहिए ताकि गोधन न्याय योजना सफल हो सके.