कोरबा: सरहदी इलाका पसान नही शामिल होगा नए जिले गौरेला-पेंड्रा मरवाही में.. SDM ने शासन को भेजा अंतिम प्रतिवेदन.. ग्राम सभा के बाद बहुमत के आधार पर फैसला.

सीएम भूपेश बघेल ने पिछले साल की थी पसान के शामिल होने की घोषणा.

बहुमत के आधार पर हुआ निर्णय. शासन को भेजी गई क्षेत्र की जनसंख्यात्मक, भौगोलिक जानकारी.

विरोध में प्रस्ताव पारित करने वाले ग्रामीणों की आपत्तियों का होगा निराकरण.

कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़)हिमांशु डिक्सेना:- बिलासपुर जिले से अलग होकर नवगठित गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में कोरबा जिले के सरहदी पसान क्षेत्र को शामिल करने की अटकलों पर फिलहाल पूर्ण विराम लग चुका है. पसान राजस्व क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 19 ग्राम पंचायतो में इस सम्बंध में पिछले दिनों ग्राम सभाओं का आयोजन कराया गया था. इन सभाओं के माध्यम से जीपीएम (गौरेला-पेंड्रा-मरवाही) में शामिल होने या नही होने के सम्बंध में ग्रामीणों से अभिमत मांगा गया था.

इस बैठक के पश्चात अलग-अलग ग्राम पंचायतों का प्रस्ताव प्रशासन को हासिल हुआ था जिसके तहत 08 पंचायतो ने नवगठित जिले में शामिल होने जबकि शेष 11 ने इसके विरुद्ध प्रस्ताव पारित किया. इस निर्णय के बाद पोंड़ी-उपरोड़ा खंड के अनुविभागीय दंडाधिकारी संजय मरकाम ने बहुमत के आधार पर पसान राजस्व क्षेत्र को नए जिले में शामिल नही करने का प्रतिवेदन शासन को प्रेषित किया है. इस प्रतिवेदन के बाद सम्भवतः कोरबा जिले की सीमाई स्थिति यथावत रहेगी.

बता दे कि जिन 19 ग्राम पंचायतों में से 08 ने नए जिले में शामिल होने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था उनमे राजस्व क्षेत्र के खोडरी, अड़सरा, चंद्रोटी, बैरा, सेमरा, कुम्हारीसानी, सैला व पोंड़ीकला शामिल है. वही जिन्होंने इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए कोरबा जिले में ही बने रहने का अभिमत दिया था उन 11 ग्रामो में सारिसमार, रामपुर (लैंगा), लैंगा, कोडगार, कर्री, लैंगी, सिर्री, कुम्हारीदर्री, पिपरिया, अमझर व पसान शामिल है.

“बीते दिनों सभी 19 गाँवो में ग्राम सभा के आयोजन करते हुए उनके निर्णय को जानने के प्रयास हुआ था. सभा के पश्चात 11 विरोध में जबकि 08 गांव नए जिले में शामिल होने के समर्थन में थे. बहुमत के आधार पर यह तय किया गया है कि पसान राजस्व क्षेत्र की स्थिति फिलहाल शासन के निर्णय तक यथावत रहेगी”

: संजय मरकाम, अनुविभागीय दंडाधिकारी, पोंड़ी-उपरोड़ा.

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही सबसे नवीन जिला.

पिछले साल फरवरी में छत्तीसगढ़ के 27वीं जिले के रूप में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला अस्तित्व में आया था. बिलासपुर जिले को अलग इस नए वनांचल जिले का गठन किया गया था. प्रदेश में नई सरकार बनने पर मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने 15 अगस्त 2019 में इसकी घोषणा की थी. इस एलान के छह महीने बाद इसका औपचारिक पुनर्गठन किया गया. इस जिले में कुल 166 ग्रामपंचायत और कुल गाँव की संख्या 225 है. इसकी कुल क्षेत्रफल 1 लाख 68 हजार 225 हेक्टेयर है. जनगणना 2011 के अनुसार इस जिले की कुल जनसँख्या 3 लाख 36 हजार 420 था. इसमें सबसे अधिक आबादी गौरेला विकासखंड में निवास कराती है. विधान सभा की दृष्टि से देखें तो 200 गॉंव मरवाही विधान सभा और 25 गॉव कोटा विधानसभा के गॉव को मिलकर बनाया गया है. लोकसभा में कोरबा लोकसभा क्षेत्र के 200 गॉव और बिलासपुर लोकसभा के 25 गॉव को मिलकर बनाया गया है. अमूमन जिलों के पुनर्गठन के दौरान उस जिले की सीमा को ही नए जिले की सीमा तक सीमित रखा जाता है लेकिन कोरबा जिले का पसान क्षेत्र मुख्यालय से 100 किमी की दूरी पर स्थित है इसलिए ग्रामीणों की मांग थी कि प्रशासनिक सुविधाओ के मद्देनजर उन्हें नए जिले में शामिल किया जाए जहां से जीपीएम की दूरी महज 30 किलोमीटर ही है.