पाली: SECL की कारगुजारियों से विरासत और संस्कृति पर मंडराने लगा खतरा.. हेवी ब्लास्टिंग से महादेव के प्राचीन मंदिर को नुकसान पहुंचने की आशंका.. जनप्रतिनिधियों ने की प्रबन्धन के खिलाफ एफआईआर की मांग.

कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़)हिमांशु डिक्सेना:- कोरबा जिले के पौराणिक, आध्यात्मिक स्थल के तौर पर दर्ज पाली नगर के एक हजार साल पुराने शिव मंदिर के अस्तित्व पर अब खतरा मंडराने लगा है. कोयला उत्पादक कम्पनी एसईसीएल की लापरवाही और अनदेखी क्षेत्र की इस साझी विरासत को खत्म करने पर आमादा नजर आ रही है. सरईपाली-बुड़बुड़ कोल माइन्स के शुरुआत के साथ ही बड़े पैमाने पर विस्फोट किये जा रहे है. इससे खदान के आसपास के घरों में दरार आ चुकी है. क्षेत्र के लोग विस्थापन के लिए मजबूर हो रहे है लेकिन सबसे बड़ा खतरा पाली के महादेव मंदिर पर मंडरा रहा है. करीब 11 सौ साल पुराने इन मंदिर को संजोने की सारी कोशिशें बेकार नजर आ रही है.

पाली क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने एसईसीएल के इस हरकत पर कड़ी आपत्ति जाहिर किया है. सांसद प्रतिनिधि प्रशांत मिश्रा ने पाली थाने में अर्जी देते हुए एसईसीएल के खिलाफ तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने और हैवी ब्लास्टिंग बन्द कराने की मांग की है. उन्होंने बताया कि ब्लास्टिंग से आम जनजीवन ही नही बल्कि उनकी आस्था और शहर की पहचान को भारी नुकसान पहुंच रहा है. उन्होंने एसईसीएल से विवेकपूर्ण तरीके से काम करते हुए क्षेत्र के बड़े और गौरवशाली इमारने को सुरक्षित बनाये रखने की अपील की है.

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने मोड़ दिया फोरलेन का रुख.

पाली के महादेव मंदिर की संरचना इस समूचे क्षेत्र में सबसे ऐतिहासिक और गौरवशाली धरोहर के रूप में देखी जाती रही है. प्रादेशिक पर्यटन स्थल के अलावा यह राष्ट्रीय नक्शे पर अत्यंत संरक्षित इमारत है. जिला प्रशासन और राज्य की सरकार इस प्राचीन मंदिर की भव्यता और मूल संरचना को बनाये रखने के लिए सतत प्रयासरत है. मंदिर के महत्व को इसी बात से समझा जा सकता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने मंदिर की सुरक्षा को देखते हुए अपने फोरलेन निर्माण की दिशा को भी बदल दिया पर शायद एसईसीएल को इन प्रयासों से कोई प्रभाव नही पड़ रहा.

जांच जारी, एसईसीएल से करेंगे चर्चा.

इस बारे में पाली थाने के प्रभारी लीलाधर राठौर ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि मंदिर को नुकसान पहुंचने के आशंका से जुड़ी एक शिकायत उन्हें प्राप्त हुई है. मामले पर जांच की जा रही है. इस बारे में एसईसीएल के अफसरों से भी बात की जाएगी. मामला चूंकि एसईसीएल से जुड़ा है लिहाजा जिला मुख्यालय के शीर्ष अफसरों को भी मामले से अवगत कराया जाएगा.

जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा.. नीति निर्माण पर नही होती कोई चर्चा.. ना साझा करते जानकारी.

पाली क्षेत्र के राजनीतिक दलों के नेताओ ने एसईसीएल पर आमलोगों के सुविधाओं के अलावा बड़े जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का गम्भीर आरोप लगाया है. उन्होंने बताया है कि सरईपाली परियोजना दस वर्षों से प्रारम्भ है. इलाके के किसानों की अपेक्षा थी कि उन्हें जमीन के बदले नौकरी और अन्य बुनियादी सुविधाये हासिल होगी लेकिन ऐसा होता नही दिख रहा है. एसईसीएल ने पिछले वर्ष करीब दो सौ किसानों को रोजगार व मुआवजा उपलब्ध कराया था. इनमे एक एकड़ जमीन मालिको को प्राथमिकता दी गई थी जबकि 50 डिसमिल भू मालिको के रोजगार और विस्थापन का प्रकरण अबतक लंबित है. उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. जहां तक उपेक्षा के सवाल है इस साल के गणतंत्र दिवस पर कम्पनी के सीएमडी ने माइंस का मुआयना किया और उन्नयन के निर्देश दिए लेकिन इस दौरान भी न ही नगरीय निकाय और नही पंचायत से जुड़े प्रतिनिधियों को इसकी सूचना दी गई. एसईसीएल किसी से भी किसी तरह की जानकारी साझा नही करता. कम्पनी के इसी अड़ियल रवैय्ये से पूरा क्षेत्र परेशान है. विस्थापित लोग नौकरी के लिए भटक रहे, आमजन प्रदूषण और भारी विस्फोट की समस्याओं से जूझ रहा है.

विपक्ष खोलेगा मोर्चा, होगा आंदोलन.

सत्ताधारी दल के नेताओ के अलावा अब विपक्ष के नेता भी एसईसीएल के खिलाफ लामबंद हो रहे है. उन्होंने सख्त लहजे में शासन, प्रशासन व एसईसीएल को समझाइस दी है. नेताओ ने हैवी ब्लास्टिंग बन्द करने और विस्थापन के प्रकरणों के जल्द से जल्द निराकरण की मांग की है. किसी भी मांग की अनदेखी किये जाने पर उन्होंने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.