कटघोरा: मौत कुंए से लेकर हवाई झूले की ऊंचाई का रोमांच.. किसान मेला अपने पूरे शबाब पर.. हर दिन उमड़ रही हजारों की भीड़.. कोविड प्रोटोकॉल नदारद.

कोरबा(सेंट्रल छत्तीसगढ़)हिमांशु डिक्सेना:- कोरोना काल में करीब दस महीने तक बीमार रहा कटघोरा शहर इन दिनों मेले के रोमांच में डूबा है. ऐतिहासिक और पारम्परिक किसान मेले का लुत्फ उठाने हर दिन हजारो की भीड़ मीना बाजार ग्राउंड में लगे किसान मेले में उमड़ रही है. किसान मेला इसी महीने की पहली तारीख से शुरू होकर आने वाले 14 फरवरी तक जारी रहेगा. मेले की भीड़ को देखकर लोग आश्चर्य में है कि यह वही कटघोरा नगर है जो दस महीने पहले कड़े पाबंदियों से घिरा था लेकिन आज लोगो मे ना ही कोरोना महामारी का दहशत नजर आ रहा और ना ही प्रशासन की कड़ाई असर दिख रहा है. मेले-झूले के आनन्द के बीच कोविड प्रोटोकॉल भी पूरी तरह गायब नजर आ रहा है.

दरअसल हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष में भव्य किसान मेले का आयोजन होता रहा है. इसका आयोजन पिछले पांच दशक से स्थानीय नगरीय निकाय की देखरेख में किया जाता रहा है. अमूमन यह मेला गणतंत्र दिवस के दिन शुरू होता था लेकिन इस बार प्रशासन इस मेले को लेकर काफी सख्त था. अलग-अलग तरह की सरकारी औपचारिकताओं को पूरा करने में मेले मालिको को पूरे हफ्ते लग गए लिहाजा उन्हें देर से सशर्त इजाजत मिल सकी. अनुमति मिलते ही अब मेले का उत्साह देखते ही बन रहा है. मेले के पहली पाली मे आसपास के ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंच रहे तो दूसरी पाली में शहर के स्थानीय लोग मेले का आनंद उठा रहे. मौत कुँए में कार-बाइक की रफ्तार, हवाई झूला और झूलो में आकर्षक लाइटिंग हर किसी का मन मोह रहा है. दुकानों में भी खरीदारों की भीड़ उमड़ रही है. स्वादिष्ट खान-पान के सामान भी लोगो को अपनी ओर आकर्षित कर रहे है.

मेले वालो का हुआ कोरोना टेस्ट.

मेले कि शुरुआत से पहले एसडीएम कार्यालय ने सख्ती दिखाते हुए स्वास्थ्य विभाग को सभी प्रवासी दुकानदार व झूला मालिकों के कोरोना टेस्ट के निर्देश दिए थे. जिसके पश्चात बीएमओ आरपीएस कंवर की अगुवाई में मेडिकल टीम ने कैम्प करते हुए दो दिनों मे करीब दो सौ लोगो का कोविड टेस्ट किया. कोरोना जांच कराने वालों में झूले के कर्मचारी और दुकानदार शामिल थे. राहत की बात यह रही कि आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट में सभी व्यक्ति स्वस्थ और कोविड नेगेटिव पाए गए हालांकि डॉ कंवर ने कर्मचारियों को मास्क, सेनेटाइजर का उपयोग करने, सामाजिक दूरी बनाए रखने की निर्देश दिए थे. स्वास्थ्य विभाग ने दुकानदारों को भी हैंड ग्लब्स लगाने की सलाह दी है.

लो.नि.वि. ने किया फिटनेस टेस्ट.

पिछले साल मौत का कुआं खेल दिखाने के दौरान एक स्टंटमैन करीब 40 फ़ीट की ऊंचाई से गिरकर गंभीर तौर पर घायल हो गया था. इसके बाद प्रशासन ने एहतियातन मौत के कुंए के सभी शो रद्द करते हुए उन्हें बोरिया बिस्तर समेट लेने को कहा था. इसी दुर्घटना से सबक लेते हुए इस साल प्रशासन ने लोक निर्माण विभाग को सभी झूले और दूसरे सर्कस के फिटनेस टेस्ट के निर्देश दिए थे. लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों के टेस्ट रिपोर्ट के बाद ही झूलो को संचालन की इजाजत दी गई. एसडीएम ने बताया कि मेले में वह किसी तरह घटना-दुर्घटना की पुनरावृत्ति नही चाहते इसलिए झूलो का फिटनेस टेस्ट कराया गया है. सभी झूले मालिको को यह हिदायत भी दी गई है कि हर घंटे झूलो की जांच की जाए. इस तरह के कार्यो में लापरवाही ना बरती जाए. इसके अतिरिक्त लाइटिंग और बिजली के इंतजामो का मुआयना भी सीएसपीडीसीएल की टीम ने किया और अपनी रिपोर्ट सौंपी.

पाकेटमारों ने किया पुलिस के नाक में दम.

किसान मेले के पहले इतवार को सबसे ज्यादा परेशान स्थानीय पुलिस नजर आई. छुट्टी होने की वजह से इस दिन सुबह से ही मेले में लोगो का आनाजाना शुरू हो चुका था. आलम यह था कि दोपहर तक मेले में कदम रखने की जगह भी बाकी नही था. इसी भीड़ का फायदा उठाते हुए करीब आधे दर्जन लोगों के पर्स, मोबाइल और बैग पाकेटमार उठाईगीरों ने पार कर दिए. पीड़िता लोग पुलिस से इसकी शिकायत करते रहे. वही चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था के बावजूद मेले में ऐसे अपराधी तत्वों की घुसपैठ से पुलिस की टीम भी परेशान नजर आई. थाना-प्रभारी अविनाश सिंह भी पूरे दिन मेले के हलचल की जानकारी लेते रहे. सुरक्षा व कानून-व्यवस्था के मद्देनजर एक दर्जन नगर सैनिकों को भी मेले में गश्त के लिए उतारा गया है. शराब पीकर या नशे की हालत में उत्पात करने वालो पर भी पुलिस की पैनी नजर बनी हुई है. महिलाओं की सुरक्षा का भी खास ख्याल रखा जा रहा है.

वाहनों की बेतरतीब पार्किंग से सड़के हुई जाम.

रविवार को वाहनों के बेतरतीब पार्किंग का खामियाजा आम लोगो को भुगतना पड़ा. सड़क किनारे खड़े दुपहिया और चारपहिया की वजह से मुख्य मार्ग पूरी तह जाम रहा. लोगो को अपनी गाड़िया बाहर निकालने के लिए घंटो मशक्कत करनी पड़ी. वही नो एंट्री के बावजूद भी भारी वाहनों के प्रवेश से भी यातायात व्यवस्था पूरी तरह अस्त व्यस्त रही. आयोजन स्थल से करीब दो सौ मीटर दूर तक वाहनो की कतार देखी गई. सही ढंग से वाहन पार्क नही करने की वजह से यह बदइंतजामी सामने आई.

मेले आयोजन की अनुमति क्यो?.

नगर के कुछेक प्रबुद्धजनों ने इस साल मेले के आयोजन को पूरी तरह गैरजरूरी बताया है. उनका कहना है कि नगर के भीतर अब भी कोरोना महामारी के फैलाव की आशंका बनी हुई है. शहर के लोग कोविड प्रोटोकॉल के बीच रह रहे है. जनजीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है. सार्वजनिक कार्यक्रमो में भी सामाजिक दूरी का कड़ाई से पालन किया जा रहा है ऐसे में नगरपालिका और स्थानीय प्रशासन को सुरक्षा के मद्देनजर किसान मेले की अनुमति नही दी जानी चाहिए थी. उनका मानना है कि मेले के भीतर कोविड नियमो का पालन अव्यवहारिक है. भारी भीड़ का सुपरविजन भी सम्भव नही है. जाहिर है इससे आम लोगो के बीच फिर से महामारी के पैर पसारने का खतरा बना हुआ है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी संख्या में कोरोना की जांच की है. महामारी के लिहाज से हालात पूरी तरह काबू में है.

यह है प्रशासन के प्रमुख निर्देश.

● कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाए.
● मारुति सर्कस, झूलो में सावधानी बोर्ड लगाया जाये.
● सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन किया जाए.
● संचालन व अलाउंसमेंट के दौरान जातिगत, धार्मिक शब्दो का उपयोग ना हो. साम्प्रदायिक सौहार्द कायम रहे.
● सर्कस, झूले और दुकानों में अस्त्र शस्त्र न रखा जाएं.
● मेले में ध्वनि विस्तार यंत्रो का उपयोग सुबह 6:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे के बीच ही हो.
● दुकानदार स्थानीय निकाय को सभी तरह के शुल्क का भुगतान अनिवार्य रूप से करें.
● खानपान के दुकानों में सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए. ताजे सामानों की बिक्री सुनिश्चित हो.
● उपरोक्त बिंदुओं का पालन नही करने पर संचालन की अनुमति रद्द कर दी जाएगी.