जगदलपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़):- बस्तर की जीवनदायिनी इंद्रावती नदी की हालत आज कुछ ऐसी है कि इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. नदी के संवर्धन के लिए छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने इंद्रावती विकास प्राधिकरण के गठन की घोषणा थी, लेकिन 2 साल बीतने के बाद भी इस प्राधिकरण को लेकर कोई काम शुरू नहीं हो सका है. गर्मी आते ही बस्तरवासियों को नदी के घटते जलस्तर को लेकर चिंता सताने लगी है.
इंद्रावती के अस्तित्व को खतरा
प्राधिकरण की घोषणा करने के 2 साल बाद भी नदी के संवर्धन के लिए कोई कार्य राज्य सरकार ने शुरू नहीं किया है. गर्मी आते ही ओडिशा की ओर से आने वाली इंद्रावती नदी सूखने लगेगी. इस प्राधिकरण की घोषणा के बाद बस्तरवासियों में एक उम्मीद जगी थी कि ओडिशा सरकार से बातचीत कर नदी को बचाने के लिए प्रयास किए जाएंगे, लेकिन इस नदी को बचाने के लिए अब तक कोई भी काम शुरू नहीं हो सका है. बस्तरवासियों ने मांग की है कि राज्य सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और जल्द ही प्राधिकरण के गठन का काम शुरू करे, ताकि नदी के अस्तित्व को बचाया जा सके.
इंद्रावती नदी
इंद्रावती बचाओ मंच ने की थी 100 किलोमीटर की पदयात्रा
देश में नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात इतिहास में पहली बार सूखने की कगार पर पहुंच गया था. लगातार इस नदी का जलस्तर घटने लगा, चूंकि बस्तरवासी इंद्रावती नदी के पानी पर ही आश्रित हैं, ऐसे में नदी को बचाने के लिए साल 2019 में शहर के जागरूक और बुद्धिजीवी लोगों द्वारा इंद्रावती बचाओ मंच का गठन किया. 14 दिनों तक पैदल सफर तय कर ओडिशा के जोरा नाला से चित्रकोट जलप्रपात तक लगभग 100 किलोमीटर की पदयात्रा निकाली गई थी. इस दौरान मांग की गई थी कि इंद्रावती के विकास और संवर्धन के लिए राज्य सरकार कोई ठोस पहल करे.
इंद्रावती नदी के अस्तित्व को खतरा
साल 2019 में 30 मई को बस्तर विकास प्राधिकरण की हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी कि इंद्रावती विकास प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, लेकिन घोषणा हुए 2 साल बीतने को है और अब तक प्राधिकरण के गठन का काम जीरो पर अटका हुआ है.
बजट में 90 लाख रुपये की हुई थी स्वीकृति
घोषणा के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 3 मार्च 2020 को विधानसभा में बजट भाषण पढ़ते हुए इंद्रावती नदी के लिए 90 लाख के बजट का प्रावधान किया. इस प्रावधान को वित्त विभाग से मंजूरी भी मिल गई, लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया. हालांकि कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों का कहना है कि कोरोना संक्रमणकाल और लॉकडाउन की वजह से प्राधिकरण के गठन में लेटलतीफी हुई है, जल्द ही प्राधिकरण के गठन का काम शुरू हो जाएगा. इधर लॉकडाउन खत्म हुए कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन प्राधिकरण को लेकर अब तक ना कोई बैठक हुई है और ना ही इसके गठन को लेकर आगे कोई काम बढ़ पाया है.
बस्तर विकास प्राधिकरण के तर्ज पर होगा प्रारूप
राज्य सरकार की ओर से यह कहा गया कि बस्तर विकास प्राधिकरण की तर्ज पर इंद्रावती नदी विकास प्राधिकरण का भी गठन किया जाएगा. बजट में मंजूरी के अनुसार एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होंगे, अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री और उपाध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा दिया जा सकता है. इसके अलावा अन्य कर्मचारियों के सेटअप के हिसाब से नियुक्ति होगी.
जल्द प्राधिकरण गठन करने की मांग
इंद्रावती बचाओ आंदोलन से जुड़े लोगों का कहना है कि प्राधिकरण को सबसे पहले इंद्रावती की मूल समस्या का हल निकालना होगा. इसके लिए ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच जल बंटवारे को लेकर बातचीत का माहौल बनाना होगा, क्योंकि अब तक ओडिशा सरकार से छत्तीसगढ़ सरकार की कोई बातचीत नहीं हुई है और आगामी कुछ महीनों में इंद्रावती सूखने के कगार पर पहुंच जाएगी.
मार्च तक हो सकता है प्राधिकरण का गठन
बस्तर विकासप्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल का कहना है कि मार्च तक इंद्रावती विकास प्राधिकरण का गठन होने की पूरी संभावना है. वहीं बस्तर सांसद दीपक बैज ने भी कहा कि बस्तर की प्राणदायिनी इंद्रावती नदी को बचाने को लेकर सरकार पूरी तरह गंभीर है. कोशिश की जाएगी कि इस साल प्राधिकरण का गठन हो जाए और फिर इस प्राधिकरण के तहत नदी के संवर्धन का काम जल्द से जल्द शुरू किया जाये.
घोषणा कर भूली सरकार
इधर प्राधिकरण के गठन को लेकर लेटलतीफी किए जाने से विपक्ष ने भी सरकार को इस मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया है. विपक्ष के नेताओं का कहना है कि प्रदेश की भूपेश सरकार बाकी घोषणाओं की तरह इस घोषणा को भी भूल चुकी है. मुख्यमंत्री ने 2 साल पहले प्राधिकरण की गठन की घोषणा की थी, ऐसे में सरकार इंद्रावती नदी को बचाने के लिए कितनी गंभीर है, इसका अंदेशा लगाया जा सकता है. बीजेपी नेता सुरेश गुप्ता का कहना है कि पूरे बस्तरवासी इंद्रावती नदी पर आश्रित है. गर्मी में यहां की जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.