कोरबा (सेंट्रल छत्तीसगढ़) :–कोरबा 26 दिसम्बर 2020/कोरबा जिले में राज्य सरकार ने दर्री को नई तहसील बनाकर आसपास के 48 गांवो के लोगों को अपने राजस्व संबंधी कामों के लिए बड़ी सुविधा दे दी है। अब इन गांवो के लोगों को नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, फौती सहित आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए 25 किलोमीटर दूर कटघोरा जाने से भी मुक्ति मिल गई है। इसके साथ ही कोरोना काल में वैवाहिक कार्यक्रमों से लेकर अन्य सामाजिक कार्यक्रमों के लिए अनुमति आदि के आवेदन भी अब दर्री तहसील कार्यालय में ही लिए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने जिले में 11 नवंबर को दर्री और हरदीबाजार को नई तहसील के रूप में स्थापित कर दिया हैं। यहां तहसीलदार कार्यालय भी शुरू कर दिये गए हैं। एक महीने में ही दर्री तहसील में 165 प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है। 85 नकल प्रकरण, 34 आय प्रमाण पत्र प्रकरण, 18 निवास प्रमाण पत्र प्रकरण इनमें शामिल हैं। दर्री तहसील क्षेत्र में 48 गांव शामिल किए गए हैं जिनमें से 30 गांव शहरी और 18 ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। तहसील 25 पटवारी हल्का और नौ राजस्व निरीक्षक मण्डल हैं। पूरी तहसील में आठ हजार 661 खातेदार हैं जिन्हें अब अपने किसी भी राजस्व संबंधी काम के लिए कटघोरा के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। राज्य शासन ने डाॅ. रविशंकर राठौर नायब तहसीलदार को दर्री का प्रभारी तहसीलदार भी नियुक्त कर दिया है। जेलगांव प्रेमनगर के सामुदायिक भवन में तहसील का कार्यालय शुरू हो गया है।
नई तहसील में कामकाज शुरू हो जाने से 48 गांवो के निवासी भी अब सरकार की इस पहल का स्वागत कर रहे हैं। दर्री निवासी श्री शंकर जायसवाल बताते हैं कि पहले छोटे से नामांतरण या फौती उठाने के काम के लिए भी 25 किलोमीटर दूर कटघोरा जाना पड़ता था। एक दिन में काम नहंी होने पर दूसरे दिन फिर उतनी ही दूर जाना होता था इससे समय के साथ-साथ किराये-भाड़े में भी काफी खर्चा हो जाता था। अब अपने घर के नजदीक दर्री में तहसील खुल जाने से इन सब झंझटों से छुटकारा मिल गया है। तहसीलदार के सहयोगी स्वभाव और तहसील के कर्मचारियों के व्यवहार से सभी काम आसानी से हो जा रहे हैं। वहीं तहसील स्तर पर प्रकरणों की पैरवी करने वाले वकील तुलसी विश्वकर्मा भी दर्री में तहसील कार्यालय शुरू हो जाने पर खासे खुश हैं। अब प्रकरणों की सुनवाई के लिए उन्हें काफी आसानी हो गई है। पहले अपने पक्षकार के राजस्व प्रकरणों की सुनवाई के लिए उन्हें पक्षकार सहित कटघोरा जाना पड़ता था। पक्षकारों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने पर उनका किराया, खाने-पीने का खर्चा आदि भी कभी-कभी वकील विश्वकर्मा के हिस्से आ जाता था। अब दर्री में तहसील खुल जाने से पक्षकार सीधे आकर उनसे संपर्क करते हैं और वकील विश्वकर्मा भी तहसील मंे आसानी से प्रकरणों की सुनवाई में शामिल हो जाते हैं। अब नई तहसील में राजस्व प्रकरणों की तेजी से सुनवाई हो रही है। प्रकरणों के निराकरण में भी तेजी आई है। डिंडोलभाठा गांव के निवासी श्री तामेश्वर बताते हैं कि कोरबा में बिजली बनाने के कारखानों के साथ-साथ कोयले की खदाने भी हैं और इनसे जुड़े राजस्व प्रकरणों के लिए पहले कटघोरा के चक्कर काटने पड़ते थे। फसल खराब होने, बाढ़ से पानी भर जाने से लेकर अन्य आपदाओं पर सर्वे-मुआवजा आदि प्रकरणो में पहले काफी समय लगता था। दर्री में ही तहसील कार्यालय शुरू होने से अब एक आवेदन पर उसी दिन अधिकारियों द्वारा सर्वे आदि कर लिया जाता है और प्रकरणों के निराकरण में भी तेजी आ गई है।