बिलासपुर के बिल्हा में महिलाएं गोबर और मिट्टी के रंग-बिरंगे दीये बनाकर आत्मनिर्भर की तरफ अपने कदम बढ़ा रही हैं. महिला समूह की महिलाएं बताती है कि वे रोजाना 5 हजार तक दीये बना रही हैं.

बिलासपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) साकेत वर्मा : महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई है, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर की दिशा ओर बढ़े रही हैं. बिल्हा जनपद की कई ग्राम पंचायतों में महिलाओं ने रोजगार की दिशा में अच्छा काम कर दिखाया है. गांव के गौठानों से गोबर एकत्र कर महिलाओं ने दीया बनाने का काम शुरू कर दिया है.

जिससे लोग ईको फ्रेंडली दीवाली मना सकें. जिले के लिटिया गांव में महिलाएं रंग-बिरंगे दीये बनाकर आत्मनिर्भर की तरफ अपने कदम बढ़ा रही हैं. महिलाएं गोबर और मिट्टी की मदद से रोजाना 5 हजार दीये तैयार कर रोजगार को नया आयाम दे रही है.

हिंदू धर्म में गोबर का महत्तव

समूह की महिला बताती है, वे गमला, दीया, खाद भी बनाकर कमाई कर लेती हैं. उन्होंने बताया कि पिछले साल दीपावली में गोबर से बने रंगीन दिये की मांग ज्यादा थी. इसे देखते हुए इस साल भी महिलाएं पूरे जोश में और दीया बनाने के लिए जुट गई हैं. महिलाओं के मुताबिक धर्म और आस्था में गोबर का विशेष महत्व होता है. ऐसे में इससे निर्मित दिये को शुभ माना जाता है, एक तरफ धर्म जागरण तो दूसरी तरफ स्वावलंबन और फिर गोबर को लेकर सरकारी सहयोग ने ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार को नया आयाम दे दिया है.


महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भर

एशिया के सबसे बड़े विकासखंड बिल्हा के दक्षिण परिक्षेत्र की ज्यादा से ज्यादा पंचायतों की महिलाओं को गोबर के दीये और गमले बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है. जहां से निपुण होकर महिलाएं अपने-अपने पंचायतों में निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. माना जा रहा है कि इस और बेहतर ध्यान दिया गया तो गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर होकर पंचायत, गांव, राज्य और देश को नई दिशा देने की ओर की सशक्त हो जाएंगी.