कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित मिट्टी परीक्षण किट को भारत सरकार से मिला पेटेंट, इसकी मदद से किसान अपने खेतों की मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की खुद कर सकेंगे जाँच..

रायपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़) साकेत वर्मा : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस के पाटिल के नेतृत्व में मृदा वैज्ञानिकों के एक दल ने खेतों की मिट्टी की जांच के लिए कम लागत वाला चलित मिट्टी परीक्षण किट विकसित किया है. जिसकी सहायता से किसान अपने खेतों की मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की जांच खुद कर सकेंगे.

कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित इस चलित मृदा परीक्षण किट की तकनीक को भारत शासन की ओर से पेटेन्ट प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है. यह इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और छत्तीसगढ़ राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. खेतों तक ले जाने में सुविधाजनक और उपयोग में आसान इस किट की मदद से किसान अपने खेतों की मिट्टी में उपलब्ध नत्रजन, स्फुर और पोटाश जैसे पौधों के लिए आवश्यक प्राथमिक पोषक तत्वों की जांच खुद कर सकेंगे. इसके मुताबिक किसान फसल में उर्वरक की मात्रा का निर्धारण कर सकेंगे. इसके साथ ही ऑर्गेनिक कार्बन और मिट्टी की अम्लीयता या क्षारीयता की जांच कर कृषि और बागवानी फसलों के लिए आवश्यक खाद और उर्वरकों की मात्रा का निर्धारण कर सकेंगे.

Soil test kit developed by the University of Agriculture got a patent from the Government of India

कृषि विश्वविद्यालय के मिट्टी परीक्षण किट को मिला पेटेंट

जल्द शुरू किया जाएगा किट का व्यावसायिक उत्पादन

कृषि विश्वविद्यालय इस किट का व्यावसायिक उत्पादन जल्द शुरू करेगा. कुलपति डॉ. एसके पाटिल के नेतृत्व में मृदा वैज्ञानिकों के जिस दल ने इस चलित मिट्टी परीक्षण किट की तकनीक विकसित की है, उनमें डॉ. एलके श्रीवास्तव, डॉ. वीएन मिश्रा और डॉ. आरओ दास शामिल हैं. बता दें कि कुलपति डॉ. एसके पाटिल खुद एक मृदा वैज्ञानिक हैं.

किसान खुद कर सकेंगे अपने खेतों की मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की जांच

लगभग ढाई किलो वजन के इस मिट्टी परीक्षण किट के साथ दी गई निर्देश पुस्तिका और CD के मदद से किसान खुद अपनी खेतों की मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की जांच कर सकते हैं. इस परीक्षण किट में विभिन्न सांद्रता के रासायनिक द्रव, अम्ल, रासायनिक पावडर, फिल्टर पेपर, प्लास्टिक स्टैंड, टेस्ट ट्यूब, फनल, डिस्टिल्ड वॉटर और कलर चार्ट दिए गए हैं.

इस तरह किया जा सकता है मिट्टी का परीक्षण

मिट्टी के नमूनों में अलग-अलग प्रकार के रसायनों का उपयोग कर विकसित होने वाले रंगों की गहराई के आधार पर मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा का पता लगाया जा सकता है. मिट्टी परीक्षण परिणाम और उर्वरक अनुशंसाओं के आधार पर प्रमुख फसलों के लिए उर्वरकों की आवश्यक मात्रा की गणना करने का तरीका भी पुस्तिका में दिया गया है. मिट्टी की जांच के आधार पर किसान विभिन्न फसलों के लिए आवश्यक यूरिया, सुपर फास्फेट, पोटाश और चूने की आवश्यक मात्रा का निर्धारण कर सकेंगे.

कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद

बता दें कि भारत सरकार की ओर से देशभर के किसानों को उनकी खेतों की मिट्टी के परीक्षण के बाद सॉइल हेल्थ कार्ड दिया जा रहा है. सॉइल हेल्थ कार्ड में किस खेत में किस पोषक तत्व की कमी है, इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया जाता है. जिसके तहत छत्तीसगढ़ के सभी जिला मुख्यालयों में मिट्टी परीक्षण केन्द्रों की स्थापना की गई है. जहां से परिणाम मिलने में चार से पांच दिन लग जाते हैं और आने-जाने में अलग से पैसा खर्च होता है. पोर्टेबल मिट्टी परीक्षण किट से अब किसानों की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं पर निर्भरता खत्म हो जाएगी. इससे भविष्य में कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे.