45 दिन से धरने पर बैठे कांकेर के ग्रामीण पैदल रायपुर के लिए हुए रवाना….


कांकेर( सेंट्रल छत्तीसगढ़): 
कोलर क्षेत्र के 58 गांव के ग्रामीणों ने राज्यपाल से मिलने पदयात्रा (Villagers foot march) शुरू कर दी है. पिछले 45 दिन से ग्रामीण धरने पर बैठे हुए थे. ग्रामीणों की मांग है कि कांकेर जिले के 58 गांव नारायणपुर में शामिल किया जाए. ग्रामीणों की मांग पूरी नहीं होने पर अब उन्होंने रायुपर के लिए पदयात्रा शुरू कर दी ( Villagers Padyatra to Raipur) है. ग्रामीणों को रोकने जगह-जगह भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. नारायणपुर जिले में शामिल करने की मांग को लेकर कांकेर जिले के 58 गांव के ग्रामीण रावघाट मंदिर के पास 45 दिन से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए थे.

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ग्रामीणों से बात करते अधिकारी

कांकेर जिले के 58 गांव के ग्रामीण साल 2007 में नारायणपुर जिले के गठन (Formation of Narayanpur District) के बाद से जिले में शामिल करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. विभिन्न प्रकार से अपनी मांग शासन तक पहुंचाने में लगे हुए है. इनमें कोलर क्षेत्र से भैसगांव, कोलर, तालाबेड़ा, बैंहासालेभाट, फूलपाड़ एंव बण्डापाल क्षेत्र से कोसरोंडा, देवगांव, गवाडी, बण्डापाल, मातला- ब, अर्रा, मुल्ले व करमरी ग्राम पंचायत शामिल है. इन पंचायतों में निवासरत ग्रामीणों को शासकिय काम के लिए 150 किलोमीटर का सफर तय कर कांकेर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है. जबकि इन गांवों से नारायणपुर जिला मुख्यालय की दूरी सिर्फ 20 किलोमीटर है.

नारायणपुर से मिलती है सुविधाएं

कांकेर जिला के 13 ग्राम पंचायत में निवासरत ग्रामीणों का रहन-सहन रिश्तेदारी, बाजार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाए नारायणपुर जिला मुख्यालय से पूरी होती है. नारायणपुर जिला चिकित्सालय सहित रामकृष्ण आरोग्य धाम से इन ग्राम पचांयत के ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधाए उपलब्ध होती है. इसके अलावा छात्र नारायणपुर के स्वामी आत्मानंद महाविद्यालय से उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं. इस तरह से इन 13 ग्राम पंचायतों में लोगों को नारायणपुर जिले से जन सुविधाएं प्राप्त हो रही है. लेकिन वहां से दूरी ज्यादा होने के कारण इन्हें काफी मुश्किलें उठानी पड़ती है. यहीं वजह है कि वे इन गांवों को नारायणपुर में शामिल करने की मांग कर रहे हैं.

कलेक्टर ने की थी मनाने की कोशिश
बीती रात कांकेर कलेक्टर चंदन कुमार, पुलीस अधीक्षक शलभ सिन्हा कोलर क्षेत्र के ग्रामीणों से मिलने पहुंचे थे. कलेक्टर ने पदयात्रा ना करने का निवेदन किया था. लेकिन ग्रामीणों ने कलेक्टर की एक ना सुनी और अपनी मांगों को लेकर पदयात्रा की बात पर अड़े रहे.