15 जून के बाद सोने पर hallmarking होगा जरूरी ,केंद्र सरकार ने जारी की तारीख

रायपुर (सेन्ट्रल छत्तीसगढ़ ): 15 जून के बाद देश में सोने पर हॉलमार्किंग (hallmarking) अनिवार्य होगी. इसका मतलब है कि 15 जून के बाद ज्वेलर्स (jewellers) सिर्फ हॉलमार्क वाली ज्वेलरी (hallmark jewellery) बेचेंगे. हॉलमार्किंग 1 जून से अनिवार्य होने वाली थी, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर (Second wave of corona) को देखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सोने की ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग के नियमों में एक बार फिर ढील देने का ऐलान किया है. 15 जून तक इसे टाला गया है. मतलब अब 16 जून से हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) के नियम लागू होंगे. इसके बाद देश में सिर्फ हॉलमार्क वाली ज्वेलरी की बिकेगी.

15 जून के बाद सोने पर hallmarking होगा जरूरी

15 जून के बाद सोने में हॉलमार्किंग अनिवार्य

केंद्र सरकार ने 15 जून के बाद सोने के कारोबार में हॉलमार्क को अनिवार्य कर दिया है. इस फैसले का रायपुर के सराफा कोरबारियों ने स्वागत किया है. वहीं उनकी कुछ समस्या भी है. दरअसल कोरोना के चलते पिछले डेढ़ साल से कारोबार औसत से काफी कम हुआ है. इसके चलते कई दुकानदारों के पास स्टॉक क्लियर नहीं हो पाया है.इसलिए उनकी चिंता है कि कैसे इतने कम समय में पुराना माल निकल पाएगा. इसलिए भी सराफा व्यापारी पुराने स्टार को क्लियर करने के लिए 6 माह का वक्त मांग रहे हैं. गौरतलब है कि इससे पहले भी कई बार हॉलमार्किंग अनिवार्य करने की डेट आगे बढ़ाई जा चुकी है.

Hallmarking on Gold

गोल्ड पर हॉलमार्किंग

सराफा कारोबारियों की मांग

छत्तीसगढ़ में फिलहाल हॉलमार्किंग करने वाले 8 लैब हैं. इनमें से 5 रायपुर में, दुर्ग में 2 और राजनांदगांव में 1 है. जबकि छत्तीसगढ़ में करीब 5500 छोटी-बड़ी ज्वेलरी शॉप हैं. रायपुर में ही करीब 1500 सराफा दुकानें हैं. कह सकते हैं कि प्रदेश का सराफा कारोबार काफी बड़ा है. ऐसे में सिर्फ 8 लैब के जरिए हॉलमार्किंग का काम होना संभव नहीं है. सराफा एसोसिएशन ने हर जिले में कम से कम एक हॉलमार्किंग सेंटर खोलने की मांग की है. इसके साथ ही रायपुर सराफा एसोसिएशन ने 20 कैरेट की ज्वेलरी को भी हॉलमार्किंग में शामिल करने की मांग की है. ज्यादातर लोग इसे पसंद करते हैं. इससे बने गहने मजबूत होते हैं. ज्यादातर व्यापारियों के पास 20 कैरेट के ही ज्वेलरी उपलब्ध हैं. अगर सरकार इसे मान्यता दे देती है तो बड़ी संख्या में लगभग 80 फीसदी व्यापारियों की समस्या का समाधान हो सकता है.

Hallmarking on Gold

गोल्ड पर हॉलमार्किंग

हॉलमार्किंग क्यों जरूरी ?

हॉलमार्क सरकारी गारंटी है. केंद्र सरकार सोने की शुद्धता के लिए काफी दिनों से हॉलमार्किंग को बढ़ावा दे रही है. अब इसको अनिवार्य किया जा रहा है. हॉलमार्क का निर्धारण ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (bureau of indian standards) करती है. सोने के सिक्के या गहने पर हॉलमार्क के साथ बीआईएस (BIS) का लोगो लगाना जरूरी है. ग्राहकों को नकली माल से बचाने और कारोबार की निगरानी के लिए हॉलमार्किंग बेहद जरूरी है. इसका फायदा यह है कि जब आप इसे बेचने जाएंगे तो किसी तरह की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी.

Hallmark printing machine

हॉलमार्क प्रिंटिंग मशीन


क्या होता है हॉलमार्क ?

बहुत से लोगों के मन में सवाल है कि आखिर ये हॉलमार्क होता क्या है. दरअसल, किसी भी गहने की शुद्धता को परखने के बाद हॉलमार्क सेंटर गहनों पर बीआईएस (BIS) के लोगों का निशान बना देता है. इसे खरीदने वाला ग्राहक निश्चिंत हो सकता है कि, वो जो सोना खरीद रहा है वो किस कैटेगरी का है और शुद्ध कितना है.

  • असली हॉलमार्क पर BIS बीआईएस का तिकोना निशान होता है.
  • उस पर हॉलमार्किंग केन्द्र का लोगो होता है.
  • सोने की शुद्धता भी लिखी होती है.
  • ज्वेलरी कब बनाई गई है इसका वर्ष लिखा होता है.
  • ज्वेलर का लोगो भी होता है.

क्या हॉलमार्किंग से बढ़ जाएगा सोने का दाम ?

फिलहाल छत्तीसगढ़ में किसी भी ज्वेलरी का हॉलमार्किंग कराने पर 41 रुपए 30 पैसे लगते हैं. इसका दाम पर पीस के हिसाब से लिया जाता है. वजन से इसका लेना-देना नहीं है. ऐसे में हॉलमार्किंग ज्वेलरी के दाम पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. बल्कि इससे ग्राहक को शुद्धता की गारंटी मिलेगी.

raipur bullion market

सराफा बाजार रायपुर

घर में रखे सोने का क्या होगा ?

हॉलमार्क अनिवार्य करने के बाद कुछ लोगों के मन में ये सवाल उठ रह है कि, घरों में रखे पुराने सोने के जेवरों का क्या होगा ?. जरूरत पड़ने पर क्या उसे दुकानदारों को बेचा जा सकेगा ?. सराफा एसोसिएशन के मुताबिक पुराने गहनों के लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन पर अंकित कैरेट के आधार पर जैसे पहले खरीदा जाता था. उसी तरह अभी भी उसे सराफ कारोबारी खरीद लेंगे. वहीं गोल्ड लोन भी पुराने गहनो पर भी मिल सकेगा.

raipur bullion market

सराफा बाजार रायपुर

छत्तीसगढ़ में सराफा कारोबार

छत्तीसगढ़ में छोटी-बड़ी 5500 ज्वेलरी शॉप हैं. करीब 1500 सराफा दुकानें तो राजधानी रायपुर में ही हैं. एक अनुमान के मुताबिक छत्तीसगढ़ में हर माह 500 करोड़ रुपए का कारोबार सराफा बाजार में होता है.