सूरजपुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़): पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम को लेकर जहां एक ओर आम जनता परेशान हैं, तो वही किसानों की हालत भी बदहाल होती जा रही है. हमेशा कुछ घंटों में ट्रैक्टर से जुताई कराने वाले किसान अब पारंपरिक तरीके से बैलों से खेती कर रहे हैं. जिसकी वजह से एक तरफ ज्यादा समय लग रहा है तो वहीं मेहनत भी उन्हें ज्यादा करनी पड़ रही है. किसानों का कहना है कि मेहनत तो कर रहे हैं लेकिन बारिश भी साथ नहीं दे रहा है. जिससे किसान मायूस है.
एक तरफ प्रदेश में मानसून की बेरुखी चल रही है. तो वहीं दूसरी तरफ डीजल के बढ़ें दामों के कारण किसानों को पहले से ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है. किसान एक बार फिर पारंपरिक खेती की ओर लौटने लगे हैं. ट्रैक्टर की जगह बैलों से खेती की जा रही है. कपिल साय राजवाड़े जो एक किसान हैं. उनका कहना है कि ‘डीजल महंगा हो गया है. डीजल महंगा होने के कारण ट्रैक्टर का किराया बढ़ गया है. उनके पास इतने पैसे नहीं है कि वे ट्रैक्टर का ज्यादा किराया देकर खेतों की जुताई करा सके. उन्होंने बताया कि उन्हें मेहनत ज्यादा करनी पड़ रही है लेकिन क्या करें’.
राजवाड़े बताते हैं कि डीजल के दाम बढ़ने के साथ ही ठीक से डीजल मिल भी नहीं रहा है. जिससे पंप भी नहीं चल रहा है. इसके साथ ही बारिश भी नहीं हो रही है. जिससे खेती भगवान भरोसे ही चल रही है.
धन साय बताते हैं कि ‘ डीजल के दाम बढ़ने के कारण ही उन्हें बैलों से खेती करना पड़ रहा है. जिससे ज्यादा समय लग रहा है. इसके साथ ही उम्र होने के कारण शरीर में भी दिक्कत हो रही है. लेकिन उनके पास इसके सिवाय और कोई चारा नहीं है. जिससे परेशान होने के बाद उन्हें बैलों से ही खेती करनी पड़ रही है’.
सूरजपुर कृषि प्रधान जिला है. यहां ज्यादातर लोग किसानी पर की निर्भर हैं. ऐसे में डीजल की बढ़ी हुई कीमत किसानों के लिए बड़ी समस्या है. साथ ही कम वर्षा भी इनके लिए मुसीबत बनी हुई है. यदि इस साल बारिश कम होती है तो निश्चित ही इन किसानों की हालत और बदतर हो जाएगी.