‘हरे सोने’ से संग्राहकों को हुई 32 करोड़ 79 रुपए की आमदनी..

बीजापुर (सेंट्रल छत्तीसगढ़):- जिले में तेंदूपत्ता संग्राहकों को इस साल 32 करोड़ 79 लाख रुपए की आमदनी हुई है.तेंदूपत्ता सीजन 2020 के दौरान कोविड-19 संकट के बावजूद 80 हजार 500 मानक बोरा तेन्दूपत्ता संग्रहण लक्ष्य के विरूद्ध 81 हजार 998 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया. 41 हजार 944 संग्राहकों को 32 करोड़ 79 लाख 95 हजार 352 रूपए का भुगतान किया.

इमली, महुआ, टोरा, हर्रा, बहेड़ा, कालमेघ, चिरौंजी आदि लघु वनोपज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. इन सभी के संग्रहण करने के फलस्वरूप संग्राहकों को अच्छी आमदनी होती है. शासन की ओर से इन संग्राहकों को शोषण से बचाने और वनोपज का उचित दाम दिलाने के उद्देश्य से 52 प्रजाति के लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है.

वन-धन योजना

पिछले वर्ष 2019-20 में ट्रायफेड की ओर से वन-धन योजना लागू की गयी है. इसके तहत महिला स्व-सहायता समूहों को जोड़कर 25 हाट-बाजार संग्रहण केंद्रों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वनोपज की खरीदी की जा रही है. जिससे स्थानीय संग्राहकों को उनके लघु वनोपज का वाजिब दाम मिल रहा है. यही कारण है कि बीते वर्ष जिले में 9 हजार 174 क्विंटल लघु वनोपज का संग्रहण किया गया. संग्राहकों को 2 करोड़ 63 लाख 16 हजार 629 रुपये का भुगतान किया गया.

रोजगार के साथ हो रहा इजाफा

बीते साल की उपलब्धियों को देखते हुए जिले में इस साल 37 हजार क्विंटल लघु वनोपज संग्रहण करने सहित संग्राहकों को 15 करोड़ 22 लाख रुपए का भुगतान करने का लक्ष्य रखा गया है. वर्तमान में संग्राहकों को उच्च गुणवत्ता के लघु वनोपज का संग्रहण करने के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार कर वनोपज क्रय किया जा रहा है. हाट-बाजार संग्रहण केंद्रों से क्रय किये गये लघु वनोपज को 4 वन-धन केन्द्रों में भंडारित किया जा रहा है. इन वन-धन केंद्रों पर दस-दस महिला स्व-सहायता समूह संग्रहित लघु वनोपज का प्राथमिक प्रसंस्करण करती है. इससे महिलाओं को तो रोजगार मिला ही, इससे उन्हें फायदा भी हो रहा है.

आय का प्रमुख स्त्रोत है तेंदूपत्ता

जिले में लघु वनोपज के साथ ही हरा सोना (तेंदूपत्ता संग्रहण) स्थानीय ग्रामीण संग्राहकों के आय का प्रमुख स्रोत है. जिले के अंतर्गत 28 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के द्वारा 514 फड़ों में तेंदूपत्ता संग्रहण किया जाता है.