सोम प्रदोष व्रत से मिलता है संतान सुख, ये है खास महत्व..


रायपुर(सेंट्रल छत्तीसगढ़):
 श्रवण नक्षत्र वव करण और बालव करण के साथ मकर राशि के चंद्रमा में चंद्रवार के दिन सोम प्रदोष का व्रत मनाया जाएगा. सोमवार होने की वजह से इस प्रदोष का नाम सोम प्रदोष है. इस शुभ दिन वस्तु क्रय करना भी शुभ है. दिन के प्रारंभ में सुबह 7:01 तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का प्रभाव रहेगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. सोम प्रदोष व्रत संतान की कामना हेतु विशिष्ट माना गया है. ऐसे जातक जिनकी संतान नहीं हो रही हो वे सभी श्रद्धापूर्वक-आस्थापूर्वक सोम प्रदोष व्रत (Soma Pradosh 2022 ) का विधि विधानपूर्वक पालन करे, जिससे उनकी यह समस्या भगवान शिव शीघ्रता से दूर करते हैं. भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने सिर में धारण किया हुआ है. चंद्रमा के रूप को भगवान शंकर ने ही लौटाया था और गंगा के प्रवाह को भी नियंत्रित किया था तभी से वे गंगाधर कहलाये.

कुंवारी कन्या भी कर सकती है सोम प्रदोष व्रत

संपूर्ण सृष्टि को हलाहल से बचाने वाले नीलकंठ भगवान ने सारा जहर अपने गले में ग्रहण कर लिया था. भगवान शिव धैर्य के प्रतिमूर्ति माने गए हैं. समय आने पर सकारात्मक क्रोध करने की भी वृत्ति संपूर्ण मानव को शिवजी से सीखना चाहिए. ऐसी कुंवारी कन्याएं, जिनके विवाह में बाधा आ रही हो उन सभी को सोम प्रदोष का व्रत पूरे समर्पण के साथ करना चाहिए. इस व्रत को करने से मनचाहे वर की प्राप्ति की संभावना बनती है. आज के शुभ दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए. सरोवर गंगा या संगम तट में स्नान करना भी शुभ माना जाता है. स्नान किए जाने वाले जल में थोड़ी मात्रा में गंगा जल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है. अनादि शंकर महाराज को श्वेत फूल श्वेत अक्षत श्वेत मिष्ठान बहुत ही प्रिय है.

सफेद वस्तुओं का होता है महत्व

इन चीजों का शिव का अभिषेक करना चाहिए. श्वेत चंदन गोपी चंदन अष्ट चंदन माल्या चल के चंदन से शिवजी का श्रद्धा पूर्वक अभिषेक किया जाना चाहिए. सोम प्रदोष के दिन शुद्ध जल गंगाजल नर्मदा जल गोदावरी के जल से शिवजी को अभिषेक करने पर वे जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं. इसके साथ ही श्वेत दूध दही पंचगव्य पंचामृत मधु आदि से भी शिव जी का अभिषेक करने पर अनुग्रह प्राप्त होता है. अभीर गुलाल चंदन वंदन परिमल और विभिन्न और सभी गुणों से युक्त पदार्थों से भी शिवजी का अभिषेक किया जाना चाहिए. यह अभिषेक निरंतरता के साथ किया जाना चाहिए. इसमें इसमें बाधा या विराम नहीं होना चाहिए. भगवान शिव जी को दूध और दूध की माला दोनों ही चढ़ाई जा सकती है. श्वेत पुष्प की माला भगवान शिव को विशेष प्रिय हैं. बेलपत्र शमी पत्र आक के फूल आदि शिवजी को चढ़ाए जाते हैं.

ये है विधान

सोम प्रदोष के दिन महामृत्युंजय मंत्र रुद्राष्टकम शिव अष्टकम पंचाक्षरी मंत्र महामृत्युंजय मंत्र शिव संकल्प मंत्र और शिव नमस्कार मंत्रों का पाठ करना चाहिए. शिवजी की आरती के द्वारा यह पूजा विधान संपन्न होता है. आरती के उपरांत कपूर के द्वारा आरती की जाती है. क्षमा याचना के मंत्र द्वारा इस अनुष्ठान को समापन किया जाता है. आज के दिन उपवास करना बहुत ही शुभ रहता है. एकाशना और निराहार रहकर भी इस व्रत को करने का विधान है, जो लोग व्रत नहीं करते हैं. उन्हें सादगी के साथ उच्च स्तरीय खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए. कोई भी निम्न स्तरीय भोजन या विचार अपने मन में नहीं लाना चाहिए. आज के दिन वाद विवाद-झगड़े फसाद कुतर्क से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए. भगवान शिव अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न होते हैं. अतः पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः शिवाय इस महामंत्र का पाठ यथा योग्य यथा संभव विधि-विधान अनुसार करना चाहिए.